कटाव
भागलपुर. बिहार और बाढ़ का पुराना नाता रहा है, इसका कारण है उत्तर भारत की बड़ी नदियां बिहार से होकर ही बंगाल की खाड़ी में मिलती है. इसके साथ ही नेपाल की बारिश का भी बिहार में पुरजोर असर होता है. भागलपुर में हर साल कटाव भी होता है, जिसके कारण पूरे के पूरे गांव नदी में समां जाते हैं. लोगों का पाई-पाई जोड़कर बनाया गया घर भी कटान में समा जाता है. भागलपुर के लोग मां गंगा के रौद्र रूप से सहमे रहते हैं. गंगा नदी इस बार भी भीषण कटान कर रही है, जिसके कारण अबतक कई गांव गंगा नदी में समा चुके हैं. अब बारी है मसाढू गांव की, जिसका अस्तित्व खतरे में है. यहां के कई घर गंगा में विलीन हो चुके हैं.
ईंट भट्ठा पर मजदूरी करने वाली महिला का घर गंगा में हुआ विलीन
लोकल 18 की टीम बाढ़ का जायजा लेने के लिए मसाढू गांव पहुंची. यहां पर ईंट भट्ठा पर मजदूरी करने वाली महिला से टीम की मुलाकात हुई. महिला जागो देवी ने बताया कि,‘बाबू हमारे घर में कोई कमाने वाला नहीं है, मैंने ईंट भट्ठा पर 17 साल मजदूरी करके पाई-पाई जोड़कर इस घर को बनाया था. आज मेरी आंखों के सामने ही मेरा घर गंगा माई में समा गया…इतना कहते ही महिला रोने लगती है. आगे वह कहती हैं कि अभी इस घर को बनाए 5 साल भी नहीं बीते थे. प्रशासन चाहता तो पहले कुछ इंतजाम कर सकता था. लेकिन गंगा माई के आगे कहां किसी की चलती है’.
कटाव रोधी सामग्री नहीं आ रही काम
जिला प्रशासन के द्वारा कटावरोधी कार्य किया जा रहा है, लेकिन वह कटावरोधी कार्य भी काम नहीं आ पा रहा है. ट्रैक्टर के ट्रैक्टर बांस डाले जा रहे हैं, जिओ बैग डाला जा रहा है. लेकिन मां गंगा अपने तेज बहाव में उसे भी बहा कर चली जा रही है. बड़े-बड़े पेड़ तक को मां गंगा अपने आगोश में समा ले जा रही है. करीब 50 फीट से अधिक विशाल पीपल के पेड़ तक को मां गंगा ने अपने आगोश में समा लिया. लोगों का कहना है कि प्रशासन अगर बाढ़ आने से पहले जागता तो हो सकता है कटान न होता.
30 से 40 फीट नीचे से हो रहा कटान
गांव के स्थानीय लोगों ने बताया कि इस बार बहाव तेज होने की वजह से कटान 30 से 40 फीट नीचे से हो रहा है. 100-100 मीटर दूरी की जमीन मिनटों में गंगा नदी में समा जा रही है. लोगों का कहना कि कई बार इस स्थिति से यहां के जनप्रतिनिधि और प्रशासन को अवगत कराया गया है लेकिन किसी का ध्यान आकृष्ट इस ओर नहीं हो पाया, इसके कारण आज मसाढू गांव का अस्तित्व खतरे में है. उन्होंने बताया कि यहां करीब 30 से 40 फीट नीचे से मां गंगा मिट्टी को बहा ले जा रही है, जिसके बाद अचानक से घर के घर गंगा नदी में समा जा रहे हैं.
ग्रामीण बताते हैं कि अगर इस पर पहले से बांध बना दिया होता तो शायद आज यह स्थिति नहीं झेलनी पड़ती. ग्रामीण कहते हैं कि बाढ़ से नहीं कटाव से डर लगता है, क्योंकि जिंदगी की सारी कमाई इसमें चली जाती है और पुनः हम लोग दर-दर भटकने को मजबूर हो जाते हैं. स्थिति ऐसी हो जाती है कि हम अपने बच्चों को इस स्थिति में पढ़ा तक नहीं पाते हैं. क्योंकि बची पूंजी भी इसमें खत्म हो जाती है. इसलिए जितने भी घर बचे हुए हैं अगर इसको प्रशासन बचाना चाहती है तो जैसे ही गंगा के जलस्तर में पूरी तरीके से कमी आएगी इस पर कटावरोधी कार्य को शुरू करवा दिया जाए. तभी इसको बचाया जा सकेगा.
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FIRST PUBLISHED :
September 29, 2024, 06:31 IST