अररिया के छोटी रामपुर के इस किसान से जानिए कैसे करे ,लाल साग की खेती ,इस खेती से
अररिया: बिहार के अररिया में जैसे-जैसे समय बदल रहा है, वैसे-वैसे किसान भी खेती के नए-नए तरीकों को अपना रहे हैं. वे अब पारंपरिक खेती से हटकर अन्य प्रकार की खेती पर भी ध्यान दे रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके. पारंपरिक फसलों पर अधिक निर्भरता के कारण किसानों को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. यही कारण है कि अब किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ सब्जियों की खेती पर जोर दे रहे हैं, जिनमें लौकी, कद्दू, खीरा, झींगा, साग, लाल साग, टमाटर, फूलगोभी आदि शामिल हैं. लाल साग की खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकती है, क्योंकि इसकी बाजार में डिमांड काफी अधिक रहती है. इससे किसान लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं.
किसान सकील की सफलता की कहानी
अररिया जिले के छोटी रामपुर गांव के किसान सकील ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि वे एक एकड़ जमीन पर लाल साग की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि लाल साग लगभग 25-30 दिनों में तैयार हो जाती है. एक सीज़न में एक एकड़ जमीन पर वे लगभग एक लाख रुपए की कमाई कर लेते हैं. सकील ने वीडियो के माध्यम से इस खेती के बारे में पूरी जानकारी भी साझा की है.
पारंपरिक फसलों से अधिक सब्जी की खेती में मुनाफा
किसान सकील का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. खेती का शौक उन्हें बचपन से था, लेकिन पारिवारिक हालात को सुधारने के लिए उन्होंने शौक को पेशे में बदल लिया. उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर कुछ नया करने की शुरुआत की. सब्जी की खेती कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली होती है, यही कारण है कि उन्होंने एक एकड़ में लाल साग की खेती शुरू की, जो एक महीने में तैयार हो जाता है.
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लाल साग के स्वास्थ्य लाभ और बढ़ती मांग
लाल साग के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे. इसे रेड सोरेल भी कहा जाता है, लेकिन विभिन्न स्थानों पर इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. यह लाल साग कैलोरी में कम होता है और इसमें कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं. यह डाइजेशन को दुरुस्त करने के साथ-साथ हार्ट डिजीज और कैंसर के जोखिम को भी कम करता है. यदि सप्ताह में एक दिन भी इस साग का सेवन किया जाए तो कई बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 21, 2024, 15:03 IST