Last Updated:January 24, 2025, 16:42 IST
NiMe Diet for Weight Loss: वैज्ञानिकों ने ऐसा डाइट तैयार की है जो वजन कम करने वाली दवा की तरह असर करेगा. इसे निमे नाम दिया गया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि इस डाइट के सेवन से पेट भी साफ होगा और कोलेस्ट्रॉल, शु...और पढ़ें
NiMe Diet for Weight Loss: ज्यादा वजन से दुनिया परेशान है. वजन कम करने के लिए भी लोग उसी तरह परेशान हैं. वजन कम करने के लिए वीगोभी नाम का इंजेक्शन आया है. अमेरिका-यूरोप में इस इंजेक्शन का लोग खूब इस्तेमाल करने लगे हैं. अब वैज्ञानिकों ने वजन कम करने के लिए एक NiMe डाइट डिजाइन किया है जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि इससे तेजी से वजन कम होगा. वजन कम करने के साथ ही इस डाइट के सेवन से कोलेस्ट्रॉल और शुगर का लेवल भी नीचे आ जाएगा. इसे नीमे डाइट नाम दिया गया है. इस डाइट को लेकर साइंटिफिक जर्नल सेल में एक लेख प्रकाशित किया गया है. जर्नल में कहा गया है कि यह इस डाइट का इंसानों पर ट्रायल हो गया है जिसका बहुत अच्छा परिणाम सामने आया है.
क्या है NiMe डाइट
दरअसल, इस डाइट में इंसान के शुरुआती काल के भोजन को शामिल किया गया. जब दुनिया में औद्योगिक क्रांति नहीं हुई थी, उससे पहले जो लोगों का भोजन था, कमोबेश उसे ही कस्टमाइज्ड कर नई डाइट डिजाइन की गई है. नीमे का मतलब (NiMe-Non-industrialized Microbiome Restore) नॉन-इंडस्ट्रियलाइज्ड माइक्रोबायोम रिस्टोर होता है. इसमें ऐसी चीजों का समावेश किया गया जिससे इंफ्लामेशन पैदा होने वाले बक्टीरिया की कमी हो और इसे खत्म करने वाले बैक्टीरिया में वृद्धि हो. इस डाइट से आंत के वातावरण में आमूल-चूल परिवर्तन होता है जिससे आंतों की सफाई के साथ-साथ इसकी लाइनिंग में मजबूती आती है. इससे क्रोनिक बीमारियों का जोखिम भी कम होता है. नीमे डाइट में सब कुछ प्लांट बेस्ड चीजों को शामिल किया गया है. जैसे कि हरी सब्जियां, हर तरह की दालें, साबुत अनाज और थोड़ी मात्रा में एनिमल प्रोटीन. डेयरी प्रोडक्ट यानी दूध, दही, मिठाइयां, मीट और गेहूं से बनी चीजों को इस डाइट से बाहर कर दिया गया है. इसमें फाइबर वाली चीजों को प्रति 1000 कैलोरी के लिए 22 ग्राम निर्धारित किया गया है.
इस डाइट का पेट से लेकर हार्ट तक पर असर
एपीसी माइक्रोबायोम आयरलैंड में प्रोफेसर पॉल रॉस का कहना है कि यह हमारा पुराना भोजन है. इसमें मुख्य रूप से पेट को सुकून देने वाले भोजन को शामिल किया गया है. पेट को अगर सुकून मिलेगा तो इससे हर तरह की क्रोनिक बीमारियों से बचाव होगा. उन्होंने कहा कि इंडस्ट्रियलाइजेशन ने हमारे खान-पान को बुरी तरह प्रभावित किया है. इससे हमारे पेट का माइक्रोबायोम खराब हो गया. हमारे पेट में अच्छी चीजों का वातावरण तैयार नहीं हो रहा है. इसलिए हमें खाने-पीने में पुराने ढर्रे पर लौटना चाहिए. इस रिसर्च को यूनिवर्सिटी कॉलेज कॉर्क, यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बार्टा सहित कई यूनिवर्सिटीज के शोधकर्ताओं ने की है और इसका ह्यूमन ट्रायल हो चुका है और इसके गजब के परिणाम सामने आए हैं. ट्रायल में जब इस डाइट को फॉलो किया गया तो वजन कम होने के साथ ही 17 प्रतिशत कोलेस्ट्रॉल कम हो गया. इसके अलावा 6 प्रतिशत ब्लड शुगर कम हआ और 14 प्रतिशत सी-रिएक्टिव प्रोटीन कम हुआ. सी रिएक्टिव प्रोटीन अगर ज्यादा रहता है तो इससे हार्ट डिजीज और कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है.
First Published :
January 24, 2025, 16:42 IST