नई दिल्ली:
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra assembly elections) में एनडीए को शानदार जीत मिली. लोकसभा चुनाव में मिले झटके से उबरते हुए बीजेपी ने शानदार रणनीति के दम पर यह जीत हासिल की. इस साल हुए लोकसभा के चुनाव में बीजेपी को 2019 की तुलना में सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था. उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में ही सबसे अधिक लोकसभा की सीटें हैं. विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने जो रणनीति बनायी थी उसमें सबसे अहम था उम्मीदवारों का बेहतर चयन, राज्य सरकार की तरफ से अंतिम समय में उठाए गए कल्याणकारी उपाय और आरएसएस के साथ रिश्तों में सुधार.
'लड़की बहन' योजना का रहा बड़ा असर
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से लाए गए 'लड़की बहन' योजना जिसके तहत महिलाओं को प्रति माह 1,500 रुपये का नकद मिल रहे हैं ने महिला वोटर्स को एनडीए की तरफ मोड़ दिया. बीजेपी ने वादा किया था कि सत्ता में आने पर इसे बढ़ाकर 2,100 रुपये कर दिया जाएगा.
ओबीसी जातियों को बीजेपी ने साधा
इस चुनाव में बीजेपी की जीत में ओबीसी वोटर्स की भी बहुत बड़ी भूमिका रही. भाजपा ओबीसी के बीच विभिन्न जाति समूहों तक पहुंचने में सफल रही. बीजेपी ने उन्हें समझाया कि उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी और यह कांग्रेस की एक फर्जी कहानी थी कि उनका आरक्षण छीनने के लिए संविधान को बदल दिया जाएगा.
किसानों का जीता विश्वास
सूत्रों के अनुसार उत्तर महाराष्ट्र के प्याज किसानों और विदर्भ के कपास और सोयाबीन किसानों को बीजेपी की तरफ से मिली राहत ने भी बड़ा खेल खेला.ऋण माफी के वादे ने नाराज किसानों को बीजेपी के साथ ला दिया. जिन किसानों ने लोकसभा चुनाव में पार्टी को वोट नहीं दिया था. वो भी वापस बीजेपी के साथ आ गए. प्रचार के बीच में बीजेपी ने यह भी संकेत दिया कि वह मुख्यमंत्री पद के सवाल को खुला रख रही है. इससे पार्टी को विदर्भ में देवेन्द्र फड़णवीस की लोकप्रियता को बनाए रखने में मदद मिली. बीजेपी कई बागी नेताओं को मनाने में भी कामयाब रही. एमवीए ऐसा नहीं कर सका और उसे नुकसान उठाना पड़ा.
महायुति को मिली बड़ी जीत
महाराष्ट्र में ऐसी जीत की कल्पना बीजेपी ने भी नहीं की होगी. 288 की विधानसभा में 145 बहुमत का मैजिक नंबर है और बीजेपी अकेले 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. उसकी अगुआई वाले महायुति के पार्टनर एकनाथ शिंदे और अजित पवार का कद अब छोटा लग रहा है. शिंदे की शिवसेना को 57 तो अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिली हैं. दोनों ने असली शिवसेना और असली एनसीपी की जंग तो जीत ली है, लेकिन गठबंधन की बात करें, तो बीजेपी की बंपर सीटों ने उनकी मोलभाव की ताकत कम कर दी है. महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में महायुति के खाते में कुल 236 सीटें हैं. उधर कांग्रेस, उद्धव और शरद पवार वाले महाविकास अघाड़ी का इन चुनावों में बेहद खराब प्रदर्शन देखने को मिला है.
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