अहमदाबाद: शादी तो भारत की कल्चर का एक जबरदस्त पार्ट है, और शादी की हर एक सेरेमनी अपनी अलग ही इम्पोर्टेंस रखती है, लेकिन शादी के साथ कुछ इंटरेस्टिंग रस्में भी जुड़ी हुई हैं जैसे जूते छुपाना, अंगूठी ढूंढ़ना, लड्डू फेंकना, और दूल्हे को घोड़े पर बिठा के साथी साथ में उछालना. ये रस्में हर जगह अलग-अलग तरीके से होती हैं और कुछ तो अब सिर्फ कुछ ही गांव में बची हैं.
शादी के रस्मों का इम्पोर्टेंस
इंटरनेशनल एस्ट्रोलॉजर और वास्तु एक्सपर्ट रविभाई जोशी कहते हैं कि हर हिंदू शादी अपने आप में यूनिक होती है और हर एक रस्म का अलग ही महत्व है. जैसे गणेश की स्थापना, मंडपरोपणा, हल्दी, दूल्हे को पोंखवाना, वरमाला, हाथ मिलाना, मंगल फेरा, डोली और उकारदी. कहते हैं कि यही रस्में श्रीराम जी ने सीताजी से और श्रीकृष्ण ने रुक्मणी से शादी के वक्त अपनाई थी, और तब से ही शादियां इसी तरह होती हैं.
रस्मों के पीछे का साइंस
शादी में मेहंदी लगाना हो या अंगूठी ढूंढ़ने तक का खेल, सब के पीछे एक साइंटिफिक रीजन है. इसी के साथ जूते छुपाना, अंगूठी ढूंढ़ना और दूल्हे-दुल्हन को कंधे पर बिठा कर घूमना जैसे रिवाज भी हैं. अब आजकल शादियां सुबह से लेकर दोपहर तक कंप्लीट हो जाती हैं जिससे कुछ पुराने रस्में धीरे-धीरे खो गई हैं.
जूते छुपाने का रिवाज
जब दूल्हा शादी के मंडप में आता है, उसे अपने जूते बाहर उतार के रखने होते हैं. तब दुल्हन की बहनें या फ्रेंड्स उसके जूते छुपा देती हैं और दूल्हे से गिफ्ट की उम्मीद करती हैं. शादी के बाद, दुल्हन की बहनें जूते वापस करती हैं. ये रिवाज इसीलिए है ताकि साला-साली के रिश्ते में मिठास बनी रहे.
अंगूठी ढूंढ़ने का रिवाज
शादी के बाद जब दूल्हा-दुल्हन घर आते हैं तो अंगूठी ढूंढ़ने का खेल होता है. एक बड़े प्लेट में गुलाब के फूल और दूध या कंकू का पानी भर के उसमें अंगूठी छुपाई जाती है. फिर दोनों को अंगूठी ढूंढ़ने का टास्क मिलता है. ये माना जाता है कि जिस तरफ अंगूठी पहले मिलती है, उस तरफ की डॉमिनेंस ज्यादा होती है शादी के बाद.
कंधे पर दूल्हा-दुल्हन को घूमने का रिवाज
ये रिवाज छोटा उदेपुर के ट्राइबल कम्युनिटी में होता है. मंगल फेरों के बाद दूल्हा और दुल्हन को घोड़े पर बिठा के कंधों पर घुमाया जाता है. फिर इन्हें गोबर से भरी टोकरी ऑफर की जाती है दुल्हन की मां की तरफ से.
लापसी बनाने का रिवाज
शादी के बाद जब दुल्हन अपने नए घर आती है तो परिवार की औरतें लापसी बनाती हैं और दूल्हा-दुल्हन को खिलाती हैं. इसका मतलब होता है कि दुल्हन को परिवार अपना कहता है और उसके नए घर में शुभ आगमन का स्वागत करता है.
लडवा फेंकने का रिवाज
साउथ गुजरात के कुछ गांव में ये रिवाज अब भी देखा जा सकता है. जब दुल्हन अपने पति का स्वागत करती है, तो एक चावल का लडवा दूल्हे पर फेंकती है और दूल्हे को उससे बचना होता है. कहते हैं कि ये रिवाज सिखाता है कि हस्बैंड-वाइफ कैसे अपने मैरिड लाइफ में चैलेंजेस को खुशी से पार कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 15, 2024, 09:56 IST