संविधान दिवस : शुरुआती दिनों से ही PM मोदी ने बाबा साहेब के आदर्शों को किया आत्मसात

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नई दिल्ली:

देश में 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाया जाता है. भारत के संविधान की मंगलवार को 75वीं वर्षगांठ रही. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने देशवासियों को शुभकामनाएं दी. केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद वर्ष 2015 से 'संविधान दिवस' मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई. संविधान के प्रति प्रधानमंत्री मोदी कितने सक्रिय और सजग रहे हैं, इसकी बानगी उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के वक्त से ही देखने को मिली.

'मोदी आर्काइव' नाम के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक वीडियो शेयर किया गया, जिसमें बताया गया कि कैसे शुरुआती दिनों से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहेब अंबेडकर के आदर्शों का पालन किया.

Today, connected the historical completion of #75YearsOfConstitution, the Modi Archive presents a singular travel of reverence, dedication, and enactment that began decades agone and continues to this day. This travel belongs to @narendramodi, who has devoted his nationalist beingness to championing… pic.twitter.com/rhw3d0zgJd

— Modi Archive (@modiarchive) November 26, 2024

वीडियो में बताया गया, ''अंबेडकर का जीवन पीएम मोदी के लिए हमेशा से प्रेरणा का स्त्रोत रहा है. सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण का सपना जिसे बाबा साहेब अंबेडकर ने देखा था. आज भी भारत की नीतियों का आधार बना हुआ है. पीएम मोदी का इस दिशा में समर्पण 1980 के दशक से स्पष्ट हो गया था. जब उन्होंने अंबेडकर और उनके संवैधानिक मूल्यों को भारतीय राजनीति के केंद्र में लाने का प्रयास शुरू किया. संविधान के प्रति पीएम मोदी का जुड़ाव बहुत व्यक्तिगत और गहरा रहा है. 'संविधान दिवस' पर 1999 में नरेंद्र मोदी की एक डायरी एंट्री में उनके विचारों की झलक देखने को मिली है. इसमें लिखा गया था कि 'संविधान दिवस' के 50 साल पूरे हो रहे हैं, देश में व्यापक चर्चा होना जरूरी है कि हमारे कर्तव्य देश को आगे बढ़ाएंगे कि हमारे अधिकार अगली सदी के राष्ट्र निर्माण का जन आंदोलन कैसे बनें.''

वीडियो में आगे जिक्र है, ''2010 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने संविधान के 60 साल पूरे होने पर 'संविधान गौरव यात्रा' का आयोजन किया था. सुरेंद्र नगर में संविधान की एक विशाल प्रति एक हाथी के ऊपर रखी गई. इस यात्रा में 15,000 लोग नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों के साथ शामिल हुए. 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने 'भारत नू संविधान' का गुजराती संस्करण जारी किया. उनका मानना था कि यह प्रयास संविधान की बारीकियों को हर भाषा के लोगों को आसानी से समझने में मदद करेगा.''

इसके अलावा पोस्ट में पीएम मोदी के 'संविधान दिवस' पर कार्यक्रम के भाषण भी शेयर किए गए. इसके अलावा नई संसद जाने से पहले पुरानी संसद के सेंट्रल हॉल में पीएम मोदी ने अपना आखिरी भाषण दिया था. उन्होंने अपने संबोधन में पुरानी संसद का नाम 'संविधान सदन' रखने का सुझाव भी दिया था.

वहीं, एक्स पोस्ट में पीएम मोदी का वीडियो शेयर करते हुए लिखा गया, "संविधान के 75 साल के ऐतिहासिक सफर के पूरे होने पर यह श्रद्धा, समर्पण की एक उल्लेखनीय यात्रा है, जो दशकों पहले शुरू हुई और आज भी जारी है. यह यात्रा नरेंद्र मोदी की है, जिन्होंने अपना सार्वजनिक जीवन हमारे संविधान में निहित आदर्शों की वकालत करने, एक मजबूत और अधिक समावेशी भारत की दिशा में काम करने के लिए समर्पित किया है."

इसमें आगे कहा गया, "अपने सार्वजनिक जीवन के शुरुआती दिनों से, नरेंद्र मोदी ने बाबा साहेब के आदर्शों को राष्ट्रीय चेतना के दिल में लाने की कोशिश की."
 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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