Brajkishore Sharma
आदर्श कुमार/ ढाका: शिक्षक का समाज पर प्रभाव पीढ़ियों तक रहता है और राजकीय उर्दू मध्य विद्यालय, चंदनबारा के हिंदी शिक्षक ब्रजकिशोर शर्मा इसका उत्कृष्ट उदाहरण हैं. 36 वर्षों की सेवा के बाद उनकी सेवानिवृत्ति पर आयोजित विदाई समारोह ने एक नई मिसाल कायम की. इस मौके पर विद्यालय में ऐसा जनसैलाब उमड़ा कि समारोह का वीडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया.
शिक्षक की विदाई में उमड़ा जनसमूह
ब्रजकिशोर शर्मा की विदाई पर विद्यालय ने एक भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया. यह कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों और विद्यालय कर्मियों तक सीमित रहा, बल्कि इसमें प्रखंड अधिकारी, स्थानीय नेता और आसपास के गाँवों के ग्रामीण भी शामिल हुए. वीडियो में दिखा कि शर्मा की एंट्री किसी सेलिब्रिटी जैसी हुई तालियों और जयकारों के बीच उनका स्वागत किया गया. समारोह का वीडियो वायरल होने के बाद लोग इसे एक नेता या फिल्मी सितारे के स्वागत जैसा मानने लगे, लेकिन यह वास्तव में एक शिक्षक की विदाई का दृश्य था.
सामाजिक सौहार्द का प्रतीक
राजकीय उर्दू मध्य विद्यालय, चंदनबारा एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र में स्थित है और एक उर्दू विद्यालय है. ब्रजकिशोर शर्मा हिंदू समुदाय से हैं, लेकिन 36 वर्षों की उनकी सेवा ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश की. न केवल शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच बल्कि पूरे समाज में उनके प्रति गहरा सम्मान देखने को मिला. यह रिश्ता सामाजिक सौहार्द और आपसी भाईचारे का अद्वितीय उदाहरण बन गया.
सोशल मीडिया पर तारीफों की बौछार
शर्मा के योगदान की चर्चा सोशल मीडिया पर भी खूब हो रही है. एक यूजर माँज जफ़र ने लिखा, 2017 में इलाके में बाढ़ आई थी, लेकिन शर्मा सर ने विद्यालय आना नहीं छोड़ा. वहीं, रमीज़ रज़ा ने उनकी अनुशासनप्रियता को सराहा और लिखा, शर्मा सर का योगदान विद्यालय और विद्यार्थियों के लिए अविस्मरणीय है. ऐसे सैकड़ों पोस्ट और टिप्पणियों ने उनके प्रति जनता के सम्मान को उजागर किया.
शिक्षक के योगदान को सलाम
अनुशासनप्रिय और समर्पित शिक्षक ब्रजकिशोर शर्मा न केवल अपने विषय में उत्कृष्ट थे, बल्कि उन्होंने अपने जीवन के माध्यम से विद्यार्थियों और समाज को अनुशासन, समानता और नैतिकता का पाठ पढ़ाया. उनकी सेवानिवृत्ति पर उमड़ा जनसमूह यह दिखाता है कि एक शिक्षक का प्रभाव किसी नेता या सेलिब्रिटी से कम नहीं हो सकता. ब्रजकिशोर शर्मा की यह विदाई केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि समाज में उनके योगदान का भावुक और गरिमामय सम्मान था.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 18:18 IST