सतना के नामकरण की गुत्थी: इतिहासकारों के अलग-अलग मत
Satna News: सतना के नाम की कहानी आज भी अनसुलझी है. वरिष्ठ इतिहासकारों ने इस पर चार किताबें लिखी हैं, लेकिन नाम के पीछे ...अधिक पढ़ें
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated : November 27, 2024, 13:14 IST
सतना. सतना शहर का नाम कैसे पड़ा, यह सवाल अब तक अनसुलझा रहस्या बना हुआ है. सतना के इतिहास पर अब तक चार किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें से दो में सतना के नामकरण के अलग-अलग कारण बताए गए हैं. लेकिन इन कारणों का प्रमाणित न होना आज भी विवाद का विषय बना हुआ है. इस रहस्य को सुलझाने और समझने के लिए लोकल 18 की टीम वरिष्ठ लेखक और इतिहासकार डॉक्टर इलियास सिद्दीकी के पास पहुंची.
चार इतिहासकारों ने लिखा सतना का इतिहास
82 वर्षीय डॉ. इलियास सिद्दीकी ने बताया कि सतना के इतिहास को अब तक चार इतिहासकारों ने लिखा है. इनमें शिवानंद श्रीवास्तव, भगवानदास सफाडिया, चिंतामणि मिश्रा और स्वयं डॉ. इलियास शामिल हैं. इसके अलावा, इतिहासकार डॉक्टर कन्हैयालाल अग्रवाल की किताब भी जल्द आने वाली है, जिसमें सतना के नाम को लेकर नई जानकारी हो सकती है.
पहली कहानी: नदी के नाम पर पड़ा सतना
शिवानंद श्रीवास्तव ने अपनी किताब सतना नगर के पहले संस्करण (1968) में लिखा कि सतना का नाम पास बहने वाली सुतीक्ष्णा नदी के नाम पर सूतना पड़ा और फिर वक्त के साथ बदलकर सतना होगया , उन्होंने अपनी किताब के पांच संस्करणों में इस विचार को दोहराया.
दूसरी कहानी: अंग्रेज़ और धोबी का संवाद
चिंतामणि मिश्रा ने अपनी किताब मेरी बस्ती मेरे लोग (2002) में बताया कि सतना का नामकरण एक रोचक घटना से जुड़ा है. उन्होंने लिखा कि रेलवे लाइन बिछने के समय एक अंग्रेज़ अधिकारी ने एक धोबी से इस जगह का नाम पूछा. धोबी ने अनजाने में सूखते हुए कपड़ों की ओर इशारा कर \”सुतन्ना\” कहा जिसका अर्थ बघेल में पैजामा होता है, जिसे अंग्रेज़ ने “सूतना” समझ लिया. बाद में यही नाम घिसकर सतना हो गया.
दूसरी कहानी में बदलाव: बांध की घटना
हालांकि, चिंतामणि मिश्रा ने 2015 के संस्करण में अपनी पहली कहानी को खारिज करते हुए लिखा कि बांध टूटने से बचाने के प्रयास में सुरतदीन मल्हार की बेटी सुतानिया ने अपनी जान गंवाई. इस घटना के बाद उस क्षेत्र को सतना कहा जाने लगा.
इतिहासकारों का मतभेद
डॉ. इलियास सिद्दीकी का कहना है कि दोनों कहानियों में प्रमाण की कमी है. उन्होंने बताया कि सतना का नाम न तो रीवा रियासत के पुराने दस्तावेज़ों में मिलता है और न ही अन्य ऐतिहासिक पुस्तकों में , उनका मानना है कि सतना के नाम का विवाद इतिहासकार कन्हैयालाल अग्रवाल की आगामी किताब में हल हो सकता है.
नामकरण की गुत्थी बरकरार
सतना के नामकरण की कहानी अब भी अधूरी है. अलग-अलग मत और प्रमाणों की कमी के कारण यह गुत्थी सुलझ नहीं पाई है. इतिहासकारों और लेखकों की अगली कृतियों से ही इस सवाल का उत्तर मिलने की उम्मीद की जा रही है.
Editer- Anuj Singh
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FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 13:14 IST