जल संसाधन विभाग का कार्य नहीं होते देख लोगों ने उठाया खुद से सुरक्षा का जिम्मा
सहरसा: कोसी नदी एक बार फिर उफान पर है, जिससे सहरसा जिले के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. इस स्थिति ने लोगों को 2008 की भयावह घटना की याद दिला दी है, और एक बार फिर से इलाके में चिंता बढ़ गई है. कोसी नदी के जलस्तर में भारी वृद्धि के चलते उत्तर बिहार और सीमांचल क्षेत्रों में भी बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है.
बाढ़ से निपटने के लिए सरकार और जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रहे हैं, और जिले में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. हालांकि, सहरसा जिले के नोहटा प्रखंड के केदली इलाके में जल संसाधन विभाग की निष्क्रियता के कारण स्थानीय लोगों ने अपनी सुरक्षा का जिम्मा खुद उठाया है और कटाव निरोधक कार्य शुरू कर दिया है.
ग्रामीणों ने खुद उठाया कदम
कटाव रोकने में जुटे ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार जल संसाधन विभाग से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. लगातार शिकायतों के बावजूद भी जब विभाग की ओर से कोई काम शुरू नहीं हुआ, तो गांव के लोगों ने खुद से कटाव निरोधक काम शुरू किया.
विभाग पर नाराज़गी
ग्रामीणों ने जल संसाधन विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि विभाग को कई बार सूचना देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस लापरवाही के कारण गांववाले मजबूर हो गए और उन्होंने खुद बालू से भरे बोरे रखकर कटाव रोकने का काम शुरू कर दिया. उनका मानना है कि अगर उन्होंने यह कदम नहीं उठाया होता, तो कोसी नदी का पानी चारों ओर फैल जाता और पूरा इलाका जलमग्न हो जाता, जिससे स्थिति और विकट हो जाती.
बाढ़ से जीवन हुआ प्रभावित
स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि बाढ़ के कारण उनके घर पानी में डूब चुके हैं, सामान कोसी नदी में बह गया है, रहने को छत नहीं बची और खाने के लिए अनाज की भी कमी हो गई है. बावजूद इसके, जल संसाधन विभाग ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, जिससे उनकी समस्याएं और बढ़ गई हैं. ग्रामीणों का यह प्रयास उनकी जीवटता और संघर्षशीलता का परिचायक है, जो बाढ़ की इस विकट परिस्थिति में भी हार मानने को तैयार नहीं हैं.
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FIRST PUBLISHED :
September 30, 2024, 10:53 IST