साहब ने की हां, साथ बैठे 300 धुरंधर, मिला ऐसा 'ग्रंथ', आज भी पूजते हैं भारतीय

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Last Updated:January 20, 2025, 14:24 IST

समाज के विभिन्‍न वर्गों का प्रतिनिधित्‍व करने वाले 300 धुरंधरों ने तीन साल लंबी बहस के बाद एक ऐसा ग्रंथ तैयार किया, जिसने भारत को न केवल गणतंत्र बनाया, बल्कि ब्रिटिश राज से पूरी तरह से मुक्ति भी दिला दी. कौन सा है यह ग्रंथ...और पढ़ें

साहब ने की हां, साथ बैठे 300 धुरंधर, मिला ऐसा 'ग्रंथ', आज भी पूजते हैं भारतीय

26 January 1950: भारत को आजादी भले ही 15 अगस्‍त 1947 को मिली हो, पर पहली अंतरिम सरकार का गठन 2 सितंबर 1946 को हो गया था. इस अंतरिम सरकार का कार्यकात 2 सितंबर 1946 से 14 अगस्‍त 1947 तक रहा और 15 अगस्‍त 1947 को स्‍वतंत्र भारत की पहली सरकार मिली. पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्‍व में गठित पहली पहली अंतरिम सरकार में नेतृत्‍व भले ही भारतीय चेहरों के हाथ में आ गया हो, पर कानून अभी भी ब्रिटिश सरकार का ही काबिज था.

ऐसे में, अपने संविधान की मांग को लेकर लुटियंस में कवायद काफी तेज हो गई थी. लंबी कवायद के बाद 1946 में लॉर्ड वेवेल आखिरकार भारतीय संविधान की मांग को लेकर सहमत हो गए. लॉर्ड वेवेल की सहमति मिलने के बाद प्रांतीय चुनावों के माध्‍यम से संविधान सभा के सदस्‍यों का चुनाव शुरू हो गया था. हालांकि, भारतीय संविधान को लेकर मुस्लिम लीग ने पुरजोर विरोध किया था और उसने संविधान सभा की लगभग सभी बैठकों का बहिस्‍कार कर दिया था.

कुछ नहीं कर पाया मुस्‍लिम लीग का विरोध
मुस्लिक लीग के तमाम कोशिशों के बावजूद देश के विभिन्‍न हिस्‍सों से करीब 300 सदस्‍यों का चुनाव पूरा कर लिया गया. संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को निर्धारत हुई. लेखक रामचंद्र गुहा अपनी पुस्‍तक ‘भारत-नेहरू के बाद’ में लिखते हैं कि बैठक के दौरान, पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार बल्‍लभ भाई पटेल जैसे कांग्रेस के अग्रणी नेता अगली कतारों में बैठे हुए थे. बैठक में शरत बोस जैसे विरोधी नेताओं को भी उसी पंक्ति में जगह दी गई थी.

बैठक में शरीक होने वालों में नौ महिला सदस्‍य भी शामिल थी. इसके अलावा, ब्रिटिश भारत के प्रांतों से चुनकर आए सदस्‍यों के साथ रजवाड़ों और जमींदारों को भी शामिल किया गया था. इतिहास में दर्ज इबारत के अनुसार, संविधान सभा में करीब 82 फीसदी सदस्‍य कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए थे. बावजूद इसके, वैचारिक रूप से इसमें कुछ धर्मनिरपेक्ष, कुछ नास्तिक और कुछ आध्‍यात्मिक तौर पर जुड़ाव रखने वाले लोग शामिल थे.

11 अंकों में प्रकाशित हुई सभा की कार्रवाही
इसके अलावा, संविधान सभा में सभी धर्मो और जातियों की सहभागिता हो, लिहाका कांग्रेस की तरफ से कुछ सस्‍यों को नामांकित भी किया गया था. लेखक राम चंद्र गुहा अपनी पुस्‍तक में लिखते हैं कि संविधान सभा में महिलाओं की नुमाइंदगी को भी सुनिश्चित किया गया. पार्टी ने खासतौर पर ऐसे लोगों को तरजीह दी, तो कानून के ज्ञाता थे. इस तरह, आम जनजीवन से जुड़ा शायद ही कोई विचार हो, जिसकी नुमाइंदगी संविधान सभा में न की गई हो.

भारती संविधान के निर्माण का काम दिसंबर 1946 में शुरू हुआ और दिसंबर 1949 तक चला. तीन साल की समयावधि में संविभान सभा की कुल 11 सत्रों में बैठक हुई और तकरीबन 165 दिन विभिन्‍न विंदुओं पर बहस की गई. भारतीय संविधान सभा की कार्रवाही को 11 अंकों में प्रकाशित किया गया. इसमें बहुत से अंक ऐसे थे, जिसमें 1000 से अधिक पन्‍ने थे. तीन वर्ष लंबी कवायद के बाद भारतीय संविधान बन कर तैयार हो चुका था. 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को लागू कर दिया.

First Published :

January 20, 2025, 14:24 IST

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