Agency:News18 Himachal Pradesh
Last Updated:February 05, 2025, 15:12 IST
Mandi News: चंबा जिले के पारंपरिक चक्कों से बनी छतें अब मंडी जिले में पुनः प्रचलन में आ रही हैं. इन छतों की मजबूती और टिकाऊपन, सीमेंट की छतों से कहीं ज्यादा है. लोग अब चक्कों से बनी छतों को प्राथमिकता दे रहे है...और पढ़ें
चक्कों की तस्वीर
हाइलाइट्स
- चंबा में पहाड़ों से चक्के बनाकर छतों में उपयोग होते हैं.
- मंडी जिले में चक्कों से बनी छतों का पुनरुद्धार हो रहा है.
- चक्कों की छतें 50-60 साल तक टिकाऊ होती हैं.
मंडी. हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में ऐसे पहाड़ स्थित हैं, जिन्हें काट कर और तराश कर चक्के बनाए जाते हैं. इन चक्कों का उपयोग कई जगहों पर किया जाता है और चंबा के कुछ लोग इन्हें जिले के अन्य हिस्सों में बेचते भी हैं. हिमाचल प्रदेश अपनी पुरानी सभ्यता और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है और चक्कों का उपयोग भी इसी पुरातन काल से जुड़ा हुआ है. जब सीमेंट और ईंटों का आविष्कार नहीं हुआ था, तब हिमाचल के लोग घरों के निर्माण में मिट्टी, लकड़ी और अन्य चीजों का इस्तेमाल करते थे, और चक्कों का उपयोग घरों की छत बनाने के लिए करते थे.
चक्कों को घरों और गौशालाओं की छतों पर इंस्टॉल किया जाता था. यह छतें बहुत टिकाऊ होती थीं और सालों-साल बिना किसी लीकेज के काम करती थीं. चक्कों में इतनी इंसुलेशन पावर होती है कि गर्मियों में यह घर को ठंडा और सर्दियों में गर्म रखती थीं.
आधुनिकता से पारंपरिकता की ओर लौटते लोग
आधुनिक सीमेंट और ईंटों से बनी छतें आमतौर पर 15 से 20 साल में लीकेज दिखाने लगती हैं, जबकि चक्कों से बनी छतें 50 से 60 साल तक बिना किसी लीकेज के कार्य करती रहती हैं.
मंडी जिले में चक्कों से बनी छतों का पुनरुद्धार
हाल ही में मंडी जिले में एक नया ट्रेंड देखा जा रहा है, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में लोग सीमेंट और ईंटों की छत बनाना छोड़कर फिर से चक्कों से बनी छतों का निर्माण कर रहे हैं. लोग अब समझ चुके हैं कि यह छतें ज्यादा मजबूत और टिकाऊ साबित होती हैं.
Location :
Mandi,Himachal Pradesh
First Published :
February 05, 2025, 15:12 IST