गुप्त नवरात्रि का हिंदू धर्म विशेष स्थान है। माना जाता है कि इस नवरात्रि में साधक अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा को जागृत और सशक्त बना सकते हैं। मुख्यत: गुप्त नवरात्रि को तंत्र और सिद्धि के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। माना जाता है कि इस नवरात्रि में कुछ पूजा विधि करने से साधक के घर में सुख-समृद्धि आती है। वहीं, इस नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवरात्रि के समापन पर साधक 17 सामग्रियों का इस्तेमाल कर अपनी पूजा सफल बना सकते हैं। आइए जानते हैं कि क्या हैं वह सामग्री और पूजा विधि...
क्या है पूजा विधि?
साधक को नवरात्रि के अंतिम दिन सुबह उठना चाहिए और स्नान आदि करना चाहिए। फिर नीचे बताई गई पूजा सामग्री को इकट्ठा करें और पूजा की थाली सजा लें। इसके बाद मां दुर्गा कि प्रतिमा या तस्वीर को लाल रंग के वस्त्र में सजा दें। फिर मिट्टी के बर्तन पर आम की पत्तियां चंदन आदि से सजाकर कलश बना दें और फिर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और मां की प्रतिमा के सामने लाल फूल अर्पित करें। इसके बाद मां दुर्गा को लौंग, इलायची और मिठाई का भोग लगाएं। अब प्रतिमा के सामने दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके साथ ही फल, हलवा, पूरी, और श्रीफल भी चढ़ा दें। अब पूजन के बाद दुर्गा आरती करें। इसके साथ ही दोपहर या कन्या पूजन करें और उन्हें भोजन भी कराएं। इसके बाद अगले दिन नवरात्रि व्रत का पारण करें।
क्या है ये साम्रगियां?
- लाल चुनरी
- मां दुर्गा की प्रतिमा
- आम की पत्तियां
- अक्षत
- दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती की किताब
- लाल कलावा
- गंगाजल
- चंदन
- नारियल
- कपूर
- श्रीफल
- मिट्टी के बर्तन
- गुलाल
- सुपारी
- पान का पत्ता
- लौंग और इलायची
- सरसों का तेल
- मिठाई
- फूल
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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