Agency:News18 Madhya Pradesh
Last Updated:January 21, 2025, 17:25 IST
Sohawal fort past Satna: सोहावल स्टेट का इतिहास और किला भारतीय धरोहर का अनमोल हिस्सा है. हालांकि, उपेक्षा और संरक्षण की कमी ने इसे खतरनाक स्थिति में ला दिया है.
सोहावल स्टेट: बघेल राजवंश की ऐतिहासिक धरोहर पर मंडराता समय का खतरा
शिवांक द्विवेदी ,सतना: मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित सोहावल स्टेट, 16वीं शताब्दी की एक ऐतिहासिक धरोहर है, जिसकी स्थापना फतेह सिंह ने की थी. यह रियासत बघेल वंश के गौरवशाली और सांस्कृतिक परंपराओं की गवाह रही है. हालांकि, वर्तमान में सोहावल का ऐतिहासिक किला उपेक्षा की धूल में खोता जा रहा है.
सोहावल स्टेट का इतिहास और स्थापना
सोहावल स्टेट की नींव 16वीं शताब्दी के मध्य में फतेह सिंह ने रखी. फतेह सिंह रीवा के महाराजा अमर सिंह के दूसरे पुत्र थे, जिन्होंने अपने पिता के खिलाफ विद्रोह कर इस स्वतंत्र रियासत का गठन किया.यह रियासत 213 वर्गमील के क्षेत्र में फैली थी.1809 में रईस अमन सिंह को ब्रिटिश शासन द्वारा एक अलग सनद प्रदान की गई. हालांकि, 1830-1833 के बीच यह रियासत पूरी तरह ब्रिटिश प्रशासन के अधीन आ गई.1 जनवरी 1950 को सोहावल स्टेट का भारतीय संघ में विलय कर दिया गया.
गौरवशाली शासकों की परंपरा
सोहावल स्टेट के शासकों ने न केवल राज्य की सांस्कृतिक पहचान बनाई, बल्कि इसकी राजनीतिक शक्ति को भी मजबूती दी. प्रमुख शासकों में पृथ्वीराज सिंह, पृथीपाल सिंह, लाल अमन सिंह, शेर जंग बहादुर सिंह, भगवंत राज बहादुर सिंह, और जागेंद्र बहादुर सिंह के नाम शामिल हैं. फतेह सिंह के शासनकाल में यह रियासत अपने चरम पर पहुंची.
सोहावल किलासोहावल किला, जो कभी 9 एकड़ भूमि में फैला हुआ था, इस रियासत की पहचान और गौरव का प्रतीक है.भव्य स्थापत्य कला और मजबूत दीवारों के कारण यह किला अद्वितीय रहा है. किले की स्थिति अब जर्जर हो चुकी है. संरक्षण की कमी और उपेक्षा के कारण यह धरोहर धीरे-धीरे समाप्त हो रही है.किले के भीतर राजा-महाराजाओं के वंशज आज भी निवास करते हैं, जो इसे ऐतिहासिक रूप से जीवंत बनाए हुए हैं.
84 वर्षीय वंशज ने सुनाई इतिहास की दास्तां
लोकल 18 से बातचीत में सोहावल डायनेस्टी के आखिरी वंशज माने जाने वाले सुरेंद्र प्रताप सिंह ने किले और रियासत के सुनहरे अतीत की कई कहानियां साझा कीं. उन्होंने बताया कि फतेह सिंह के शासनकाल में सोहावल स्टेट का सबसे अधिक विस्तार हुआ. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने किले की वर्तमान स्थिति पर चिंता जताई और कहा कि इसका संरक्षण करना बेहद चुनौतीपूर्ण है.
संरक्षण की मांग सोहावल स्टेट और किले की विरासत केवल ऐतिहासिक महत्व नहीं रखती, बल्कि यह नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन सकती है. ऐतिहासिक दस्तावेजों का संरक्षण न किया गया, तो यह धरोहर खो जाएगी.किले को संरक्षित कर इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल में बदला जा सकता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.
Location :
Satna,Madhya Pradesh
First Published :
January 21, 2025, 17:25 IST