चित्रकूट: धर्म नगरी चित्रकूट प्रभु श्री राम की तपोस्थली रही है. यहां राम ने अपने वनवास काल के साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए थे. ऐसे में आज भाई-भाई के प्रेम और आदर्श को जीवन में उतारने का संदेश लेकर हर साल की तरह इस वर्ष भी अयोध्या के मणिराम छावनी से चलकर भरत-यात्रा चित्रकूट पहुंची. इस यात्रा में राम वनगमन मार्ग से होते हुए अयोध्या के साधु-संतों और विभिन्न प्रदेशों से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ भरत और शत्रुघन के स्वरूप शामिल थे.
श्रद्धालुओं ने किया भव्य स्वागत
बता दें कि चित्रकूट पहुंचने पर यात्रा ने सबसे पहले कामदगिरि की परिक्रमा की जो भगवान राम और उनके भाई भरत के मिलन की ऐतिहासिक स्थल मानी जाती है. इसके बाद परिक्रमा पथ पर स्थित भरत मिलाप मंदिर में प्रभु राम और भरत के मिलन की लीला का भावपूर्ण मंचन किया गया. मंचन को देख वहां मौजूद हजारों श्रद्धालुओं की आंखों में आंसू थे और सभी भक्त भावुक हो गए. यह दृश्य एक बार फिर रामायण काल की स्मृतियों को ताजा कर गया.
अयोध्या के महंत ने दी जानकारी
अयोध्या से यात्रा के साथ आए महंत कमलनयन दास ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए बताया कि भगवान राम धर्म, आदर्श और भाईचारे के प्रतीक हैं. राम-भरत के बीच जो भाईचारे और प्रेम का संदेश था, उसे जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से यह यात्रा आयोजित की जा रही है. उन्होंने बताया कि यह परंपरा 52 वर्ष पहले महंत नृत्य गोपाल दास जी ने शुरू की थी और आज भी इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ जारी रखा जा रहा है.
यात्रा में शामिल नेपाल से आए श्रद्धालुओं ने लोकल 18 से अपनी भावनाओं का इजहार करते हुए कहा कि इस यात्रा ने उन्हें त्रेतायुग की यादें ताजा कर दी हैं. प्रभु राम और भरत के मिलन की लीला को देखकर उन्हें ऐसा अहसास हुआ जैसे वे स्वयं त्रेतायुग में लौट गए हों. उन्होंने कहा यह दृश्य शब्दों में बयां करना संभव नहीं है. यह अनुभव आत्मा को शांति और अद्भुत सुख देता है.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 20:54 IST