रांची. झारखंड में ऐसा गांव है, जहां के पुरुष कुछ समय पहले तक नशे की गिरफ्त में थे. गांव के हालात भी अच्छे नहीं थे. लेकिन, आज उस गांव का नजारा देख पूरा प्रदेश हैरान है. यहां तक कि खुद पीएम मोदी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इस गांव की तारीफ कर चुके हैं. इस गांव में आज इतनी सफाई है कि स्मार्ट सिटी भी शर्मा जाए. यहां स्कूल में ऐसी पढ़ाई होती है कि बड़े-बड़े स्कूल फीके दिखें.
आरा केरम नाम के गांव की कहानी बेहद दिलचस्प है. झारखंड की राजधानी रांची से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव की खूबसूरती देखते बनती है. इस गांव में पहुंचने से करीब 5 किलोमीटर पहले ही सुंदर बड़ा पहाड़ दिखने लगता है. इसी पहाड़ की तलहटी पर आरा केरम गांव बसा है. यह गांव ओरमांझी ब्लॉक से करीब 2 किलोमीटर आगे की तरफ स्थित है. अब तो तमाम लोग इस गांव को देखने आते हैं.
टॉप क्लास का स्कूल
गांव के स्कूल में जाएंगे तो वहां करीब 200 बच्चे पढ़ते मिलेंगे. इतनी शांति कि पता ही नहीं चलेगा कि यहां बच्चे पढ़ रहे हैं. प्रधानाध्यापक सूरज बताते हैं, हम बच्चों को मोरल शिक्षा भी देते हैं. सिर्फ किताब का कीड़ा नहीं बनाते. साफ-सफाई पर जोर देते हैं. बच्चों को चार ग्रुप में बांट देते हैं और हर ग्रुप, हर हफ्ते स्कूल की सफाई करता है. स्कूल में डिजिटल माध्यम से पढ़ाई होती है. यहां 8वीं तक पढ़ाई कराई जाती है.
खेतों की सिंचाई का तरीका अनोखा
इस गांव की सिंचाई का तरीका देखकर भी लोग दंग रह जाते हैं. पहाड़ की तलहटी में गांव बसा है, जिस कारण पहाड़ के ऊपर से बरसात में काफी तेज बहाव में पानी आता है. इस पानी को गांववाले ब्लॉक बनाकर रोकने का काम करते हैं. जगह-जगह तालाब और छोटे-छोटे चैंबर बनाए गए हैं. इससे यह पानी उसी में जाता है और वहां से पाइप डालकर सारे खेत तक इसी पानी को पहुंचाने का काम किया गया है.
एक कचड़ा दिख जाए तो बताना…
इसके अलावा एक चीज जो यहां पर देखने को मिलती है, वो है सफाई. इस गांव में अगर एक बिस्किट का रैपर भी इधर-उधर पड़ा मिल जाए तो कहना. महिला मंडल की सदस्य सीमा बताती हैं कि हम लोग छोटे-छोटे बच्चों को समझाने का काम करते हैं कि इधर-उधर रैपर मत फेंका करो. पूरे गांव वाले सुबह 5 बजे उठकर सारे गांव की एक साथ सफाई करते हैं, इसलिए आपको कहीं भी गंदगी नहीं दिखेगी.
महिलाओं ने सुधार दिया…
सीमा बताती हैं, पूरे साल भर गांव में खेती होती है. 2 साल पहले तक गांव के सारे आदमी नशे में डूबे रहते थे. घर में मारपीट करते थे. ऐसे में महिला मंडल ने ठाना कि हम लोग शराब का विरोध करेंगी. न बनाएंगी न पीने देंगी. जो आदमी शराब पीकर आएगा, सारी महिला उसके घर में जाकर उस आदमी को समझाएंगी और खाना-पीना भी नहीं देंगी. इस कारण आज गांव का हर आदमी पशुपालन और कृषि में अच्छा खासा कमा रहा है. बच्चे स्कूल जाते हैं और वातावरण अच्छा हो चुका है.
IAS सिद्धार्थ त्रिपाठी की अहम भूमिका
प्रधानाध्यापक सूरज बताते हैं, इस गांव के विकास में IAS अफसर सूरज त्रिपाठी का काफी अहम योगदान है. वह समय-समय पर आते थे और गांववालों को प्रेरित करते थे कि आप नशा न करें. वह बताते थे कि कैसे नशा एक व्यक्ति की जिंदगी को बर्बाद करता है. सिंचाई के लिए पहाड़ के पानी को इस्तेमाल कर सकते हैं, ये भी उन्होंने ही बताया था. स्कूल में कैसे अनुशासन ला सकते हैं, ये भी उन्होंने सिखाया था. वह हमारे लिए मसीहा से कम नहीं हैं.
FIRST PUBLISHED :
November 24, 2024, 17:25 IST