20 साल बाद आजाद हुई 'बालिका वधू', पहली बार कोर्ट ने दिलवाया वाद का खर्च

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टूटी बाल विवाह की डोर ,20 साल बाद आजाद हुई 'बालिका वधु'

जोधपुर:- महज चार महीने की उम्र में बाल विवाह की बेड़ियों में जकड़ी एक मासूम को करीब 20 साल तक दंश झेलने के बाद बाल विवाह से आखिरकार मुक्ति मिल गई. जोधपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र की निवासी किसान परिवार की बेटी 21 वर्षीय अनीता का महज 4 महीने की उम्र में बाल विवाह हुआ था, जिसके बाद से लगातार बाल विवाह का दंश झेलती रही. डॉ. कृति भारती के प्रयासों पर बालिका वधू को जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय संख्या 2 ने बाल विवाह को निरस्त करने का फैसला सुनाया है. इसके साथ ही कोर्ट ने बालिका वधू का उसके पति पक्ष से वाद का खर्च दिलवाने के भी आदेश दिए हैं. दावा किया जा रहा है कि बाल विवाह मामले में बालिका वधू को वाद खर्च दिलवाने का यह पहला फैसला है.

अब तक 52 मासूम जोड़ों का बाल विवाह कराया निरस्त
सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी और पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती ने लोकल 18 को बताया कि अनीता की महज 4 महीने की उम्र में शादी करवा दी गई थी. पिछले बीस साल से वह बाल विवाह का दंश झेल रही थी. जोधपुर के परिवारिक न्यायालय संख्या 2 के न्यायाधीश वरुण तलवार ने अनीता के बाल विवाह निरस्त का ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने यह फैसला 23 सितंबर को सुनाया था. वहीं सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति भारती के प्रयासों से संभवतः पहली बार बाल विवाह निरस्त के प्रकरण में पारिवारिक न्यायालय ने तथाकथित पति से बालिका वधु को वाद खर्च भी दिलवाने की अनूठी नजीर पेश कर फैसला सुनाया. डॉ. कृति भारती ने बताया कि ट्रस्ट की पहल पर अब तक 52 मासूम जोड़ों का बाल विवाह निरस्त करवा दिए हैं.

21 की उम्र में निरस्त हुआ
जोधपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्र की निवासी किसान परिवार की बेटी 21 वर्षीय अनीता का महज 4 महीने की उम्र में बाल विवाह हुआ था, जिसके बाद से लगातार बाल विवाह का दंश झेलती रही. लगातार ससुराल पक्ष उसका गौना करवा कर ससुराल भेजने का दबाव बनाए हुए था. वहीं कई तरह से प्रत्यक्ष और परोक्ष धमकियां मिल रही थी.

इस बीच अनीता को सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी और पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती की बाल विवाह निरस्त की मुहिम के बारे में जानकारी मिली. अनीता ने डॉ. कृति से मुलाकात कर खुद की पीड़ा बयां की. जिसके बाद डॉ. कृति ने अनीता के बाल विवाह निरस्त का वाद जोधपुर के पारिवारिक न्यायालय संख्या 2 में दायर किया.


कोर्ट ने बाल विवाह की कुरीति समाज से मिटाने का दिया संदेश
सारथी ट्रस्ट की डॉ. कृति के प्रयासों पर बालिका वधु को न्यायालय ने तथाकथित पति से वाद खर्च दिलवाने का फैसला देकर नई नजीर पेश कर दी. न्यायाधीश तलवार ने बाल विवाह के खिलाफ समाज को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि बाल विवाह केवल कुरीति ही नहीं एक अपराध भी है. इससे बच्चों का भविष्य खराब हो जाता है. बालिका या बालक बाल विवाह को निरंतर नहीं रखना चाहते हैं, तो उनको बाल विवाह निरस्त का अधिकार है. बाल विवाह की कुरीति को मिटाने के लिए समाज के स्तर पर महत्ती प्रयासों की जरूरत है. डॉ. कृति भारती ने पारिवारिक न्यायालय में अनीता की ओर से पैरवी कर बाल विवाह और आयु सम्बंधी तथ्यों से अवगत करवाया, जिसके बाद पारिवारिक न्यायालय संख्या दो के न्यायाधीश वरुण तलवार ने अनीता के महज 4 महीने की उम्र में 20 साल पहले हुए बाल विवाह को निरस्त करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया.

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देश का पहला बाल विवाह निरस्त
देश का पहला बाल विवाह निरस्त करवाने के बाद लगातार मुहिम चलाकर डॉ. कृति भारती ने अब तक दर्जनों जानलेवा हमलों, बलात्कार व अन्य धमकियों के बावजूद साहसिक मुहिम जारी कर डॉ. कृति भारती ने देश का पहला बाल विवाह निरस्त करवाया, जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स और कई वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया. डॉ. कृति ने अब तक 52 जोडों के बाल विवाह निरस्त करवा दिए हैं. साथ ही 2100 से अधिक बाल विवाह होने से पहले रूकवाए भी हैं. डॉ. कृति ने अब तक 6500 से अधिक बच्चों और 5500 से अधिक महिलाओं का पुनर्वास एवं पुनरूत्थान किया है.

डॉ. कृति को बीबीसी 100 वीमेन की सूची में शामिल किया गया. चाइल्ड एंड वूमेन राइट एक्टिविस्ट और एडवोकेट डॉ. कृति का नाम 9 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड्स बुक्स में दर्ज हो चुका है. इसके अलावा मारवाड़ रत्न, मेवाड़ रत्न से अलंकृत किया गया.

Tags: Child marriage, Jodhpur News, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED :

October 1, 2024, 14:57 IST

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