26/11अटैक की आंखों देखी हकीकतः पूर्व निदेशक, सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया सी.एम. पुरी
ग्रेटर नोएडा: भारत देश में ’26 नवंबर 2008′ एक ऐसी तारीख है, जिसे याद कर सबकी आंखें गमगीन हो जाती हैं. दहशत की तस्वीर आंखों के सामने अपने आप तैरने लगती हैं. यह तारीख देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के पुराने घाव को कुदेरती हैं. आज ही के दिन 16 साल पहले दुनिया की सबसे भीषण आतंकी हमले में से एक की गवाह मुंबई भी बनी थी.
उस दौरान जब आतंकी हमला हुआ तो 3-3 AK 47 की गोलियां लगने और कॉफी खून बहने के बाद भी सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व निदेशक चन्दर मोहन ने अपनी जान की परवाह किए बिना आदम्य साहस और सर्वोंच्च कोटि के संयम, समय और सूचकता को दिखाते हुए अपने निर्देशक साथियों तथा अन्य लोगों की अमूल्य जान बचाई थी.
पूर्व निदेशक ने बताई उस आतंकी रात की हकीकत
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व निदेशक चन्दर मोहन ने लोकल 18 से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि 26 नवंबर 2008 की तारीख हमें कभी नहीं भूलती. जैसे ही नवंबर का महीना शुरू होता है. उस आतंकी रात की एक-एक तस्वीरें मेरे आंखों में झलकने लगती हैं.
उन्होंने बताया कि 26 नवंबर 2008 को वह सेंट्रल बैंक की बोर्ड मीटिंग के लिए मुंबई गया था. वह और मेरे 2 अन्य निर्देशक मित्र ओबेरॉय होटल में बोर्ड मीटिंग के लिए रुके हुए थे. हम तीनो ने साथ में 9:30 बजे का खाने पर मिलने का प्लान बनाया था.
लिफ्ट के बाहर चल रही थी गोलियां
पूर्व निदेशक ने बताया कि जब वह खाना खाने के लिए अपने रूम से लिफ्ट में गए, तब मुझे जैसे की गोलियां चल रही हैं. वैसी आवाजें सुनाई रही थी. मुझे लगा इंडिया मैच जीत गयी है. शायद लोग होटल के बाहार पटाखे जला रहे हैं, लेकिन जैसे ही वह लिफ्ट से बाहर निकले और आगे की तरफ बढ़े तो पीछे से मुझे एक के बाद एक तीन गोलियां लगी. जब मैं अपने दोनों हाथो से बैक चेक की तो मेरे दोनों हाथ गंभीर रूप से घायल हो चुके थे. जब तक वह कुछ समझ पाता, तब तक ब्लड निकलना शुरू हो चुका था. फर्श से लेकर कपड़ों में हर जगह ब्लड फैल गया था.
पूर्व निदेशक ने बताया कि मुझे कुछ नहीं पता था कि मुझे क्या हुआ है. फिर वह तुरंत अपने रूम में जाने का फैसला किया. इस से पहले वह लिफ्ट के अंदर प्रवेश कर पाते , लिफ्ट के पास एक हाउसकीपिंग का दरवाजा था. जहां से वहां के स्टॉफ ने मेरी चीख सुन मुझे उनकी तरफ आने का इशारा किया और मैं उनकी तरफ मुड़ गया, मुझे बताया गया कि आतंकवादी हमला हुआ है.
दोस्त कर रहे थे इंतजार
जैसे ही मुझे पता चला कि आतंकवादी हमला हुआ है. मेरे दिमाग में ख्याल आया कि मेरे अन्य साथी जो मेरे बाहर खाने पर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं और जो लोग बाहर बैठे हुए हैं, जिनको पता नहीं हैं कि होटल पर आतंकी हमला हो गया है. उन्हें कैसे बचाऊं. मेरी आंखें बंद हो रही थी मैं लड़खड़ा रहा था. मुझे अपने दोस्तों की चिंता हो रही थी.
दोस्तों को फोन कर भागने की अपील की
पूर्व निदेशक ने बताया कि ने बताया कि उन्होंने तुरंत फोन कर उन्हें भागने को कहा और आतंकवादी हमले की सूचना दी और कहा कि आप लोग फौरन वहां से निकल जाइए. मुझे गोलियां लग चुकी हैं. आप लोग अपनी अपनी जान बचाओ और वहां बैठे सभी लोंगो को वहां से भागने के लिए कहें. होटल स्टाॉफ मुझे पीछे के दरवाजे से बेसमेंट में ले गया.
लोगों की जान बचाना था मेरी प्राथमिकता
उन्होंने बताया कि मुझे गोलियां लग गई थी. उसके बाद भी मैंने उन लोगों की जान बचाना पहली प्राथमिकता समझी. मेरे दोस्त और मेरे अन्य साथी मैंने सभी को फोन करके इसकी सूचना दी.और तुरंत ही सुरक्षित जगहों पर पहुंचने के लिए कहा. उसके बाद होटल का स्टॉफ मुझे दूसरे रास्ते से मुंबई हॉस्पिटल के लिए लेकर निकला.
पूर्व निदेशक ने बताया कि इसी दौरान उनके मन में ख्याल आया कि कल मैं रहूं या ना रहूं. इससे पहले मैं अपने परिवार और अपने बच्चों से बात कर लूं. उन्हें इसके बारे में बता दूं. सबसे पहले मैंने अपने छोटे बेटे और चेन्नई के एक दोस्त को फोन कर कहा कि मुझे गोलियां लग गई हैं, लेकिन परेशानी की कोई बात नहीं है.
मुंबई हॉस्पिटल के चारों तरफ मची थी चीख पुकार
उन्होंने बताया कि जब मुझे मुंबई हॉस्पिटल ले जाया गया, तो मुझे याद है कि जिस तरफ मैं देख पा रहा था, उस तरफ लोग सिर्फ चीख और चिल्ला रहे थे. वहां लोग ताज और होटल ओबेरॉय चीला रहे थे और एम्बुलेंस की आवाज आ रही थी. उन्होंने बताया की उन्हें लोगों ने टैक्सी से निकला और अंदर हॉस्पिटल ले गए और ईश्वर की कृपा से डॉक्टर ने उन्हें चेक कर इलाज शुरू कर दिया. उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं मैं बेहोश हो गया था. उन्होने बताया बॉम्बे हॉस्पिटल के सीनियर सर्जन डॉक्टर मम बेगानी जी ने उनकी सर्जरी की.
पीएम नरेंद्र मोदी से अपील
उन्होंने और आगे कहा कि वह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करना चाहते हैं कि 26 नवंबर को भारत आतंकवाद मुक्त भारत का संकल्प दिवस मनाया जाना चाहिए, जिससे पूरे देश से आतंकवाद को खत्म किया जा सके और हर उस परिवार के उन लोगो को श्रद्धांजलि दी जाये. जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को 26/11 आतंकवादी हाद्से में खोया है.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 11:10 IST