Last Updated:January 19, 2025, 12:00 IST
Dhamtari News: छत्तीसगढ़ के धमतरी में श्रवण बाधित बच्चियों के लिए एक स्कूल खोला गया था. अब ये स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. शासन से भी मदद की लगातार गुहार लगाई जा रही है.
धमतरी. छत्तीसगढ़ के धमतरी का श्रवण बाधित बालिका विद्यालय सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रहा है. 2005 में शुरू हुआ ये स्कूल पहले दिन से ही शिक्षक की किल्लत झेल रहा है. लगातार शासन से मदद भी मांगी जारी है. 10 क्लास, 97 बच्चे और 1 शिक्षक. ऐसे में क्या ये पढ़ेंगे और क्या ये बनेंगे. श्रवण बाधित लोगों के कल्याण विकास और उन्हें समान अवसर देने के लिए कई तरह के दावे किए जाते रहे हैं, कई तरह की योजनाएं भी है. लेकिन उन सभी दावों की जमीनी सच्चाई क्या है? उन योजनाओं का कितना लाभ दिव्यांगजनों को मिल पा रहा है, जमीनी हकीकत क्या है? ये देखना जरूरी है.
धमतरी में 2005 में विशेष बेटियों के लिए एक स्कूल खोला गया. ऐसी बच्चियां जो सुन या बोल नहीं सकती, उनको भी दूसरो के जैसे शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर अवसर देने का लक्ष्य रखा गया. बेशक ये महत्वपूर्ण शुरुआत की गई. धमतरी का ये स्कूल पहले किराए के भवन में चला. बाद में एक बड़ा स्कूल भवन और एक छात्रावास बनवाया गया. अब इस स्कूल में 10वीं तक कक्षा लगती है. कुल 97 छात्राएं पढ़ रही हैं, लेकिन शिक्षक सिर्फ एक ही है.
शासन से मांगी जा रही मदद
2005 में जब ये शुरू हुआ तो 5वीं तक के सेटअप की मंजूरी थी. इसमें 5 शिक्षक के पद स्वीकृत थे, लेकिन मिले सिर्फ 2 ही शिक्षक. अब यहां कक्षा 8वीं तक के सेटअप की मंजूरी है, जिसमें 8 शिक्षक का पद है, लेकिन मौजूद है सिर्फ एक रेगुलर शिक्षक. कार्यालय के पदों को मिला दें तो कुल 19 पद स्वीकृत हैं, लेकिन मौजूद सिर्फ 5 है. इनमें से एक अधीक्षक है और एक शिक्षक है, बाकी रसोइया और चौकीदार, माली जैसे पद है, जो पढ़ाने का काम नहीं कर सकते. ऑफिस में बाबू के काम के लिए भी डेलीवेजेस पर कर्मचारी रखना पड़ा है. साफ है कि ये 20 साल पुराना स्कूल पहले दिन से ही शिक्षक संकट झेल रहा है.
विशेष बच्चों को पढ़ाने और सिखाने के लिए खास रूप से प्रशिक्षित शिक्षक होने चाहिए. अगर शिक्षक ही नहीं होंगे तो ये बेटियां क्या पढ़ेंगी, कैसे पढ़ेंगी, क्या इन्हें सामान्य बच्चियों के बराबर की शिक्षा मिल सकती है? ये बड़ा सवाल है. ऊपर से मुसीबत ये भी है कि वीरान इलाके में होने के कारण रात में स्कूल के आसपास बदमाश, नशेड़ी जैसे लोगों का जमावड़ा होता है. जिनके डर के कारण अधीक्षिका यहां बने सरकारी आवास में नहीं रह पाती. ऐसे में श्रवण बाधित बच्चियों की सुरक्षा भी खतरे में है.
इस मामले में अधीक्षिका ने बताया कि लगातार सरकार को पत्र लिखा जा रहा है. स्टाफ और सुरक्षा की मांग की जा रही है. इस मामले में धमतरी कलेक्टर नम्रता गांधी ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति शासन स्तर का मुद्दा है. वो भी शासन तक समस्याओं को पहुंचाएंगी.
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Dhamtari,Dhamtari,Chhattisgarh
First Published :
January 19, 2025, 12:00 IST