पेड़ों की कटाई रोकने के लिए बिश्नोई समाज का आंदोलन, 294 साल पुराना है मुद्दा

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Last Updated:January 19, 2025, 14:20 IST

Jodhpur Bandh: देवेंद्र बूड़िया ने जोधपुर के लोगों और विश्नोई समाज से आज जोधपुर बंद का समर्थन करने की अपील की थी. लोगों से अपने प्रतिष्ठान बंद रखने, नौकरी से छुट्टी लेने और जरूरी कामों को टालने का आग्रह किया था.

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जोधपुर

जोधपुर बंद 

जोधपुर. पेड़ों के लिए समर्पित रहते बिश्नोई समाज द्वारा आज बंद का आह्वान किया गए, जिसका असर जोधपुर में साफ तौर पर दिखा रहा है. बिश्नोई समाज के सपोर्ट में लोगों ने आज अपनी दुकानों नहीं खोली है. ऐसे में जोधपुर बंद का असर दिख रहा है. जोधपुर का घंटाघर, सोजती, गेट, सरदारपुरा, त्रिपोलिया, चौपासनी हाउसिंग बोर्ड और लगभग सभी मार्केट बंद हैं.

बिश्नोई समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बुड़ीया के आह्वान पर बिश्नोई समाज को एकता भी नजर आ रही है. बड़ी संख्या में समाज के लोग भी इकट्ठे हुए और आमजन से सहयोग की अपील भी करते नजर आए. यह वही बिश्नोई समाज है जिन्होंने ने पेड़ों की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था. उन अमृता देवी जी को आज भी सब नमन करते हैं.

ट्री प्रोटेक्शन एक्ट’ बनाने की मांग कर रहा समाज
बूड़िया ने बताया कि उन्होंने पहले भी पूर्व सरकार को इस समस्या से अवगत कराया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने यह भी बताया कि पहले भी सीएम को इस समस्या से अवगत करवाने के बाद भी कोई कठोर एक्शन नहीं लिया गया. अब महासभा पेड़ों, खासकर खेजड़ी, की कटाई रोकने के लिए नया ‘ट्री प्रोटेक्शन एक्ट’ बनाने की मांग कर रही है. साथ ही, वे ‘वन्यजीव अधिनियम 1972-1992’ में संशोधन करके सजा के प्रावधानों को और सख्त बनाने की भी मांग कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले. यह बंद ना केवल पेड़ों की कटाई के विरोध में है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए एक बड़ा आंदोलन बनता जा रहा है. देखना होगा कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है. क्या सरकार उनकी मांगों पर ध्यान देगी या फिर यह आंदोलन और भी बड़ा रूप ले लेगा? आने वाले दिनों में स्थिति और स्पष्ट होगी. जोधपुर बंद के दौरान लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है.

मां के नाम पेड़ लगाओ, दादी-नानी के लगाए पेड़ काटो, यह नहीं चलेगा
देवेंद्र बुड़ीया ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार की पहल अच्छी है कि एक पेड़ मां के नाम लगाया जाए. लेकिन हम हमारी नानी और दादी के हाथ के लगाए हुए पेड़ काटते हुए नहीं देख सकते. तीन सौ साल पहले हमारे लोगों ने प्राणों की आहुति पेड़ों के लिए दी थी. इसलिए हमें आंदोलन करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि पेड़ काटने पर जुर्माने के लिए जो कानून बनाया गया है, वह पुराना हो चुका है. इसे बदलने की सख्त आवश्यकता है.

Location :

Jodhpur,Jodhpur,Rajasthan

First Published :

January 19, 2025, 14:20 IST

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पेड़ों की कटाई रोकने के लिए बिश्नोई समाज का आंदोलन, 294 साल पुराना है मुद्दा

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