BJP के 'आदमी' ने कराई कांग्रेस की दुर्गति, आते ही राहुल के घर में बना ली पैठ!

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Maharashtra Chunav Result Analysis: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन किया है. राजनीतिक पंडितों से लेकर कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं तक को समझ में नहीं आ रहा है कि इस बुरी हार पर वह क्या प्रतिक्रिया दें. वह भी तब जब चंद महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी राज्य में सबसे बड़ा दल बनकर उभरी थी. पार्टी के भीतर का एक धड़ा कांग्रेस की इस दुर्गति के लिए खुद प्रदेश पार्टी अध्यक्ष नाना पटोले को जिम्मेदार ठहराता है. उसका कहना है कि पटोले भाजपा द्वारा प्लांट किए गए नेता हैं, जिनके चक्रव्यूह में कांग्रेस आलाकमान फंस गया.

दरअसल, यह पूरी बात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को लेकर हो रही है. नाना पटोले 2021 से महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष हैं. उनकी पहचान एक जुझारू नेता ही है. लेकिन, आपको बता दें कि यह वही नाना पटोले हैं जिन्होंने 2014 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और संसद पहुंचे. उन्होंने भंडारा गोंडिया से एनसीपी के दिग्गज नेता प्रफुल्ल पटेल को हराया. फिर 2017 में कथित तौर पर किसानों की बात कर उन्होंने अपनी सांसदी छोड़ दी. उसके कुछ ही महीने बाद जनवरी 2018 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए.

कांग्रेस से आए राजनीति में
हालांकि, वह राजनीतिक करियर के शुरुआती दिनों में कांग्रेसी थे. वह 1999 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने. फिर 2004 में विधायक बने. लेकिन, 2008 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गए. वह 2008 से 2018 तक करीब 10 वर्षों तक भाजपा में रहे. फिर कांग्रेस में वापसी की. 2019 में राज्य में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने के बाद वह विधानसभा के स्पीकर बनाए गए. लेकिन, उद्धव ठाकरे की सरकार के संकट में आने से कुछ महीने पहले उन्होंने स्पीकर पद छोड़ दिया. नाना पटोले पर आरोप है कि वह पार्टी के भीतर अपनी दादागिरी चलाते हैं. वह आक्रामक राजनीति करते हैं. ऐसे में कांग्रेस का दामन थामने के तीन साल के भीतर वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिए गए और उनकी पहुंच सीधे राहुल गांधी तक हो गई.

नाना पटोले के उभार के साथ प्रदेश कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता खुद को अलग-थलग महसूस करने लगे. यही कारण था कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कई बड़े कांग्रेस नेताओं- पूर्व सीएम अशोक चव्हाण, मिलिंद देवड़ा, संजय निरुपम और बाबा सिद्दिकी ने पार्टी छोड़ी दी.

कांग्रेस का बुरा हाल
1990 के दशक तक महाराष्ट्र की राजनीति में एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस इस वक्त अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. वह मात्र 16 सीटों पर सिमट गई है. 1975 के आपातकाल के बाद 1978 में हुए विधानसभा चुनाव में भी राज्य में कांग्रेस को 62 सीटें मिली थीं. नाना पटोले खुद सकोली विधानसभा सीट से करीब 200 वोटों से विजयी हुए हैं. इनके अलावा राज्य कांग्रेस के बड़े नेता बाला साहेब थरोट संगमनेर सीट से हार गए हैं. वह इस सीट से 1985 से लगातार जीत रहे थे. इसी तरह पूर्व सीएम पृथ्वीराव चव्हाण कराद दक्षिण सीट से हार गए हैं.

हार की वजह
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के नेता ही खुद बता रहे हैं कि हमारी प्रचार रणनीति के कारण हम पराजित हुए. राज्य में भ्रष्टाचार, क्राइम, छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति का ढहना जैसे कई अहम मुद्दे थे लेकिन पार्टी संविधान बचाने की रट लगा रही थी. दूसरी तरफ महायुती महिलाओं के खाते में पैसे डालने की बात कर रही थी. इतना ही नहीं पार्टी लोकसभा चुनाव के बाद ओवर कंफिडेंट थी और वह जमीन पर काम करने के बजाय गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे पर माथा पच्ची कर रही थी.

Tags: BJP, Congress, Nana Patole

FIRST PUBLISHED :

November 25, 2024, 10:39 IST

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