BJP को परिवारवाद से परहेज नहीं, 2 पूर्व CM पुत्र को उतार किसे साधने का प्‍लान?

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Last Updated:January 12, 2025, 11:00 IST

Delhi Election 2025: दिल्‍ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल को हराने के लिए बीजेपी पूरी योजना के साथ मैदान में है. पंजाबी और जाट वोटर्स को साधने के लिए अमित शाह ने दिल्‍ली के दो पूर्व सीएम के बेटों को मैदान में उतारा है. बीजेपी कैंडिडेट...और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में परिवारवाद को जमकर मुद्दा बनाया था.
  • अब बीजेपी खुद ही अपने दो पूर्व सीएम के बेटों को टिकट दे रही है.
  • प्रवेश वर्मा को नई दिल्‍ली और हरीश खुराना को मोती नगर से सीट दिया गया.

नई दिल्‍ली. दिल्‍ली में पांच फरवरी को वोटिंग होनी है, जिसके बाद आठ तारीख को चुनावों के नतीजे आएंगे. अरविंद केजरीवाल के 10 साल के शासन को उखाड़-फेंकने के लिए दिल्‍ली बीजेपी ने शनिवार को अपने उम्‍मीदवारों की दूसरी लिस्‍ट जारी की. इस लिस्‍ट में दिल्‍ली के दो पूर्व सीएम मदन लाल खुराना और साहेब सिंह वर्मा के बेटों को भी मौका दिया गया है. हरीश खुराना को मोती नगर से मैदान में उतारा गया है जबकि प्रवेश वर्मा को नई दिल्‍ली सीट से सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मौका दिया गया है. बीजेपी हर हाल में दिल्‍ली का चुनाव जीतना चाहती है. इसके लिए चाहे उसपर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप ही क्‍यों ना लगे, उसे कोई गुरेज नहीं.

भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस को परिवारवाद से ग्रसित बताकर जनता के बीच जमकर इसे मुद्दा बनाती आ रही है. गांधी परिवार के लिए यह मुद्दा दुखती रग की तरह रहा है. पीएम मोदी राहुल गांधी के लिए कई मौकों पर शहजादे शब्‍द का इस्‍तेमाल करने से भी नहीं चूके. चाहे लोकसभा चुनाव हो या फिर राज्‍यों का चुनाव, इन मुद्दों से बीजेपी को खूब फायदा भी हुआ है. केवल राहुल गांधी और सोनिया गांधी पर ही बीजेपी नहीं रुकी, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और लालू परिवार पर भी परिवारवाद के गंभीर आरोप वो लगाते रहे.

राहुल-आखिलेश पर तंज कसते रहे हैं पीएम
बीजेपी देश में बड़े-बड़े नेताओं की सत्‍ता को राज्‍यों से उखाड़ फेंकने में सफल रही है. चाहे ओडिशा में नवीन पटनायक हों या फिर उत्‍तर प्रदेश में अखिलेश यादव, पीएम मोदी की आंधी के आगे कोई नहीं टिक सका. बंगाल में ममता बनर्जी और दिल्‍ली में अरविंद केजरीवाल को बीजेपी चाहकर भी सत्‍ता से बेदखल नहीं कर पाई है. ऐसे में बीजेपी के चाणक्‍य अमित शाह दिल्‍ली के किले को ध्‍वस्‍त करने के लिए पूर्व सीएम के बेटों का सहारा ले रही है. ऐसा करने के लिए अगर उसपर परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते हैं तो भी उसे कोई परेशानी नहीं है.

जाट-पंजाबी वोटर्स पर नजर
अब बड़ा सवाल यह है कि अमित शाह ने दिल्‍ली का रण जीतने के लिए दो सीएम के बेटों को मैदान में क्‍यों उतारा. दरअसल, मदन लाल खुराना दिल्‍ली के गद्दावर नेता रहे हैं. वो पंजाबी समाज से आते हैं. पश्चिमी दिल्‍ली में सिख और पंजाबी कम्‍यूनिटी बड़ी संख्‍या में रहती है. यही वजह है बीजेपी ने उनके बेटे हरिश खुराना को पश्चिमी दिल्‍ली की मोती नगर सीट से मैदान में उतारा है. इसी तर्ज पर साहेब सिंह वर्मा दिल्‍ली के बड़े जाट नेता रहे हैं. दिल्‍ली की आबादी में जाट वोटर्स की संख्‍या करीब 10 प्रतिशत है. प्रवेश वर्मा को डायरेक्‍ट अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मैदान में उतारकर बीजेपी ने जाट वोटर्स को यह संदेश दिया है कि पार्टी के लिए उनकी क्‍या अहमियत हैं.

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