दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हो रहा है और इसके लिए वोटिंग सुबह सात बजे से शुरू हो चुकी है। इस बार दिल्ली चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। आम आदमी पार्टी को भाजपा इस बार कड़ी टक्कर दे रही है तो वहीं कांग्रेस भी पूरे दम खम के साथ चुनाव मैदान में उतरी है। अब जीत किसे मिलेगी आज जनता तय कर देगी और ईवीएम आठ फरवरी को खुलेंगे जो बता देंगे कि दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी। क्या अरविंद केजरीवाल को जनता फिर से बहुमत से जिताएगी या भाजपा का सूखा खत्म होगा या कांग्रेस फिर से सत्ता पर काबिज होगा। रिजल्ट का दिन आठ फरवरी को है।
चुनाव में क्या होगा, जानें 10 प्वाइंट्स में...
- अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने पिछले दो चुनावों में बड़ी जीत हासिल की है। लेकिन शराब नीति के संबंध में भारी भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही है, तो क्या जनता फिर से आम आदमी पार्टी को चुनेगी?
- भाजपा इस बार पीएम मोदी के नेतृत्व में विशाल रैलियों और अपनी विशाल चुनावी मशीनरी के दम पर जीत की उम्मीद कर रही है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने देश के कई प्रदेशों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा का चुनाव जीता है, तो क्या दिल्ली की जनता इस बार भाजपा पर भरोसा करेगी?
- दिल्ली की राजनीति में पहले कांग्रेस का दबदबा रहा है और जनता ने आम आदमी पार्टी से पहले कांग्रेस को ही चुना था, इस तरह से 10 साल बाद कांग्रेस भी इस बार वापसी की उम्मीद कर रही है।
- आप के लिए माइनस प्वाइंट है शराब नीति घोटाले का आरोप जिसमें अरविंद केजरीवाल और उनके करीबी सहयोगी मनीष सिसोदिया समेत उनके कई मंत्री महीनों तक जेल में रहे और आप प्रमुख को खुद मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा और आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया गया। तो क्या आम आदमी पार्टी नैतिक रूप से अपने आरोपों को धोते हुए "ईमानदारी के प्रमाण पत्र" के साथ फिर से वापसी करेगी। क्योंकि कई मुद्दों पर उपराज्यपाल के साथ बार-बार टकराव के कारण भी आप सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
- सुप्रीम कोर्ट के इस स्पष्ट निर्णय के बावजूद कि निर्वाचित सरकार के पास सारी शक्तियां हैं और एलजी के पास केवल तीन विशिष्ट क्षेत्रों - भूमि, सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस - पर अधिकार है, केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश के माध्यम से एलजी को नौकरशाहों पर अधिकार दे दिया। आम आदमी पार्टी की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ गईं।
- शराब घोटाले की जांच के लिए उपराज्यपाल की मंजूरी से मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी भी हुई। केजरीवाल को पिछले साल मार्च में गिरफ्तार किया गया था और उन्होंने लगभग छह महीने जेल में बिताए थे और मनीष सिसोदिया 17 महीने तक जेल में रहे।
- इनके साथ ही आप नेता संजय सिंह, सत्येन्द्र जैन और अमानतुल्ला खान सहित आप के कई अन्य मंत्रियों और नेताओं को भी विभिन्न आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था। भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के दम पर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी के लिए भ्रष्टाचार के आरोप महत्वपूर्ण रहे हैं तो क्या जनता इन आरोपों को दरकिनार कर सकेगी।
- आम आदमी पार्टी, जिसने अपने पहले कार्यकाल के दौरान केवल 48 दिनों के बाद कांग्रेस के साथ अपनी गठबंधन सरकार को खत्म कर दिया था, अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली के लोगों से माफी मांगने और एक और मौका मांगने के बाद 2015 का चुनाव जीता, उन्होंने वादा किया कि वह पूरे पांच साल तक सरकार चलाएंगे और सरकार चलाई।
- अरविंद केजरीवाल ने अपने कार्यकाल में शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित करने वाले शासन मॉडल को अपनाया और चलाया जिसकी काफी प्रशंसा हुई। भाजपा के "रेवड़ी संस्कृति" के आरोप के बावजूद, दिल्ली मॉडल ने आप को पंजाब में भी सफलता दिलाई और पार्टी को अन्य राज्यों में अपना विस्तार करने में मदद मिली, जिससे इसे एक राष्ट्रीय पार्टी का टैग भी मिला, इस बार केजरीवाल मॉडल फिर दिल्ली में चलेगा।
- इस बार के चुनाव में अगर दिल्ली में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को हार मिलती है तो 10 साल पुरानी इस पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका होगी, जबकि सभी बाधाओं के बावजूद चुनाव में जीत भाजपा की साख को मजबूती से स्थापित करेगी और अगर कांग्रेस को जीत मिलती है तो उसकी इस बार बड़ी वापसी होगी। क्या होगा आज जनता तय कर देगी।