Last Updated:January 31, 2025, 08:31 IST
क्षुद्रग्रह और उल्कापिंड पृथ्वी के पास से गुजरते रहते हैं. उनके टकराने की संभावना भी कम होती है. लेकिन एक पिंड को लेकर वैज्ञानिक 7 साल पहले से ही चिंतित हो रहे हैं , जो कि काफी अजीब है. हैरानी की बात ये है कि क...और पढ़ें
हर सप्ताह ही पृथ्वी के पास से कई पिंड गुजरते हैं. उनकी जानकारी भी नासा या अन्य स्पेस एजेंसियां समय समय पर जारी करता है. वे यह भी बताती हैं कि ये क्षुद्रग्रह कितनी रफ्तार से आ रहे हैं, पृथ्वी के कितने पास तक आ सकते हैं और पृथ्वी के लिए किस तरह का खतरा हैं, लेकिन यह भी सच है कि जब से वैज्ञानिकों ने इनकी निगरानी शुरू की है, टकराव जैसे हालात बने नहीं हैं. लेकिन एक सच ये भी है कि वैज्ञानिक इसे मामूली खतरा नहीं मानते है. ऐसे में एक खबर ये आई है कि वैज्ञानिक एक ऐसे क्षुद्रग्रह को लेकर चिंतित हैं जो एक हफ्ते या महीने नहीं बल्कि पूरे 7 साल बाद पृथ्वी तक आने वाला है. आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों है और यह क्षुद्रग्रह असल में कितना खतरनाक है?
2032 में टकरा सकता है क्षुद्रग्रह
वैज्ञानिक असल में उस क्षुद्रग्रह के लिए चिंतित हैं जो साल 2032 में पृथ्वी के सबसे नजदीक ही नहीं होगा, बल्कि हो सकता है पृथ्वी से टकरा भी जाए. यह खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने किया है जिसका कहना है कि यह कोई मामूली अंतरिक्ष चट्टान नहीं है और यह पृथ्वी के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है.
टकराएगा भी या नहीं?
एजेंसी एस्टोरॉयड 2024 YR4 नाम के क्षुद्रग्रह पर नजदीक से नजर रखे हुए है. उनका कहना है कि यह चट्टान एक फुटबॉल के मैदान के बराबर है. इतना ही नहीं उसकी 83 में से एक संभावना है कि वह पृथ्वी सी सीधे टकरा जाएगा और यह स्थानीय इलाके में बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है.
पृथ्वी के पास से हर हफ्ते कोई ना कोई क्षुद्रग्रह गुजरता ही रहता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
चिंता का विषय
यूरोपीय स्पेस एजेंसी की अगुआई में विएना में हुए स्पेस मिशन प्लानिंग एडवाइजरी ग्रुप की मीटिंग में इस मुद्दे पर चर्चा होगी. मीटिंग फरवरी के पहले सप्ताह में आयोजित की जा रही है. लोगों के लिए यह चिंता की बात इसलिए हो सकती है क्योंकि वैज्ञानिक पहले ही इसके टकराव से बचने के उपायों पर विचार कर रहे हैं. लेकिन सबसे खास बात ये है कि वैज्ञानिक मानते हैं कि इस तरह का टकराव हर कुछ हजार सालों में एक बार होता है.
अभी दूर जा रहा है ये
यह क्षुद्रग्रह 100 मीटर गुना 40 मीटर के आकार का है, और फिलहाल पृथ्वी से 4 करोड़ 35 लाख किलोमीटर की दूरी पर है. फिलहाल ये पृथ्वी से दूर जा रहा है और बाद में इसके वापस आने की संभावना है और तब यह खतरनाक तरीके से पृथ्वी के नजदीक आ जाएगा. यह पृथ्वी के सबसे पास से 22 दिंसबर 2032 को गुजरेगा. जो की करीब कुछ लाख किलोमीटर ही दूर होगा. लेकिन वैज्ञानिक इसमें जोखिम लेने की स्थिति में नहीं हैं.
नासा ने पहले ही इस तरह के हालात से निपटने के लिए एक प्रयोग किया हुआ है. (तस्वीर: NASA)
रखी जा रही है नजर
आने वाली मीटिंग में इस क्षुद्रग्रह का और उससे होने वाले संभावित खतरे का आंकलन किया जाएगा. यदि इस बात की पुष्टि हो जाती है कि टकराव हो कर रहेगा. तो इस क्षुद्रग्रहों के अवलोकनों को संयुक्त राष्ट्र को अवगत कराया जाएगा. इसे पहले एक टेलीस्कोप से चिली में देखा गया था और जनवरी की शुरूआत से ही इस पर नजदीकी से नजर रखी जा रही है.
चार साल बाद दिखेगा
लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यही है कि फिलहाल यह दूर जा रहा है और कुछ ही महीनों में दिखाई देना भी बंद हो जाएगा. तब इसे देखना भी मुश्किल हो जाएगा जिससे इसके बारे में आंकड़े नहीं मिल सकेंगे. फिर खगोलविद शक्तिशाली टेलीस्कोप का इस्तेमाल कर इस पर निगरानी रखने पर विचार कर रहे हैं. फिर 2028 में यह फिर से दिखने लगेगा जिसके बाद वैज्ञानिकों को पास उससे बचने के लिए केवल 4 साल होंगे.
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लेकिन ऐसा नहीं है कि वैज्ञानिक पहले से ऐसे हालात के लिए खुद को तैयार नहीं कर रहे हैं. नासा का डबल एस्टोरॉयड रीडायरेक्सन टेस्ट मिशन के जरिए 2022 में इसके लिए एक परीक्षण कर चुका है. इसमें उसने एक अंतरिक्ष यान को डिमोर्फोस नाम के क्षुद्रग्रह से टकरा दिया था और आंकलन किया था कि क्या इस तरह से क्षुद्रग्रह का पृथ्वी से टकराव रोका जा सकता है? नतीजे उम्मीद के मुताबिक मिले थे. अब वैज्ञानिकों को लगता है कि इस तकनीक से वे ऐसे टकराव के टाल सकते हैं.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
January 31, 2025, 08:31 IST