Last Updated:January 19, 2025, 13:50 IST
टाइम ट्रैवल को संभव बनाने के लिए बहुत सी रिसर्च चल रही है. लेकिन इससे संभव बनाने के लिए पहले ग्रैंडफादर पैराडॉक्स सुलझाने की दलील दी जाती है. यह एक खास तरह का विरोधाभास है जो टाइम ट्रैवल को ही असंभव बनाने की पैरवी करता...और पढ़ें
Time Travel: टाइम ट्रैवल विज्ञान फंतासी फिल्मों और कहानियों के सबसे लोकप्रिय विषयों में से एक है. वैज्ञानिक भी इस पर बहुत सी रिसर्च कर चुके हैं. कई ने इसे असंभव बताया है तो कई इसे खारिज नहीं कर सके और इस पर रिसर्च कर रहे हैं अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत के बाद टाइम ट्रैवल ने विज्ञान जगत में हलचल मचाई. लेकिन एक विरोधाभास ने इस विचार पर लंबे समय तक लगाम लगाई और उसे कई वैज्ञानिकों को इस विषय पर आगे रिसर्च करने से भी रोका. इसे ग्रैंडफादर पैराडॉक्स (Grandfather Paradox) के नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं आखिर यह है क्या और इसने कैसे विज्ञान की दुनिया को प्रभावित किया है?
क्या है ये पैराडॉक्स?
आज भी टाइम ट्रैवल को संभव बनाने की बात होती है, तो यही पूछा जाता है कि क्या इस विरोधाभास को सुलझाया जा सकता है. दरअसल यह एक प्रसिद्ध विचार प्रयोग है जो समय यात्रा (time travel) के सिद्धांतों और उनके संभावित विरोधाभासों को समझने में मदद करता है. यह पैराडॉक्स पूछता है कि यदि कोई शख्स अतीत में यात्रा करता है और अपने दादा (या दादी) को मार डालता है, तो वह खुद कैसे पैदा हो सकता है?
एक साथ दो उलटी बातें?
मान लीजिए कि किसी भी तरह से कोई व्यक्ति भविष्य से अतीत में यात्रा करता है. अतीत में सफर करने के बाद वह व्यक्ति अतीत में जाकर अपने दादा को उनकी खुदी की शादी से पहले ही मार डालता है. ऐसे यदि दादा मर जाते हैं, तो व्यक्ति का जन्म नहीं हो सकता. यहां विरोधाभास ये है कि अगर व्यक्ति का जन्म नहीं हुआ, तो वह अतीत में जाकर अपने दादा को कैसे मारेगा? और, यदि वह अतीत में नहीं गया, तो दादा मरेंगे नहीं और फिर वह पैदा हो सकेगा. यानी इस पूरी चक्रीय प्रक्रिया में सारी बातों का सच होने संभव ही नहीं है.
ग्रैंडफादर पैराडॉक्स करीब 80 साल पहले बताया गया था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
किसने बताया इसे सबसे पहले?
यह एक प्रकार का समय का विरोधाभास है, जिससे सबसे पहले विज्ञान फंतासी लेखक नैथेनियल शैचनर ने अपनी लघु कथा एंसेस्ट्रल वॉयस में किया था. इसके बाद इसे रेने बारजावेल ने अपनी 1943 की पुस्तक ले वोयाजुर इंप्रूडेंट (फ्यूचर टाइम्स थ्री) में किया था.
असंभव लगने लगेगी ये
इस पैराडॉक्स का मकसद यह दिखाना है कि समय यात्रा में अतीत को बदलने के प्रयास से कई सिद्धांतिक विरोधाभास पैदा हो जाएंगे ऐसे में तार्किक तौर पर समय की यात्रा ही असंभव लगने लगती है यहां तक कि कई लोग इस विरोधाभास की वजह से टाइम ट्रैवल को नामुमकिन ही मान लेते हैं. यह टाइम ट्रैवल को मुश्किल इसलिए बना देता है क्योंकि यह समय यात्रा के तर्क और सिद्धांतों में विरोधाभास पैदा करता है.
आज भी कई वैज्ञानिकों को लगता ह कि टाइम ट्रैवल असंभव नहीं है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
कारण और प्रभाव का गलत होना
इस विरोधाभास की एक वजह कारण और प्रभाव का सिद्धांत हैं. इस पैराडॉक्स में शख्स अतीत में जाकर अपने पैदा होने के कारण को ही खत्म कर रहा है. ऐसे में उसका प्रभाव, यानी उसका खुद ही पैदा होना संभव नहीं हो पाएगा. फिर वह अतीत में जा कर अपने दादा को मार ही कैसे सकता है. यह एक चक्रव्यूह जैसा हाल बना देते है, जिसमें कोई भी घटना सही तर्क से पूरी ही नहीं हो पाती है.
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टाइम ट्रैवल से जुड़ी यह समस्या एक दार्शनिक और भौतिकी संबंधी समस्या है, क्योंकि यह तर्क के नियमों और भौतिक कानूनों का उल्लंघन कर सकती है. ग्रैंडफादर पैरेडॉक्स यह दिखाता है कि जब हम अतीत में बदलाव करने की कोशिश करते हैं, तो परिणाम अनिश्चित और तर्कहीन हो जाते हैं. कुल मिलाकर, ग्रैंडफादर पैरेडॉक्स यह बताता है कि अगर समय यात्रा संभव है, तो उसके साथ जुड़ी समस्याएं और विरोधाभास समय के लीनियर (सीधे) प्रवाह को चुनौती देते हैं, और इससे टाइम ट्रैवल को एक व्यवहारिक और सिद्धांतगत स्तर पर समझना मुश्किल हो जाता है.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
January 19, 2025, 13:50 IST