मानव इतिहास के दो हिस्से हैं. एक हिस्सा उस समयके बाद का है जब इंसान ने लिखना शुरू किया था. इसके पहले के इतिहास को प्रागैतिहास कहते हैं. इसमें मानव का जैविक विकास कैसे हुए इस की पड़ताल बहुत कठिन काम है. यही पर पुरातत्विदों का किरदार आता है. मानव इतिहास के इसी हिस्से की ज्यादा कौतूहल पैदा करने वाली खोज एक कंकाल की खोज है, जिसके बारे में यह ऐलान किया गया था वह इंसानी परिवार का सबसे पुराना और पहला सदस्य है. यह कंलाल एक मादा ह्यूमोनाइड का था . इससे कई इतिहासकारों ने “इंसानियत की दादी” कहा और इसे नाम दिया गया था लूसी! लूसी की खोज को 50 साल हो चुके हैं पर ये आज भी उतनी ही रहस्यमी और अहम है जितनी की शायद 50 साल पहले. आइए जानते है कि लूसी का इतना महत्व क्यों है और उसे आज भी बहुत अहम क्यों माना जाता है.
कहां हुई थी लूसी की खोज
50 साल पहले, 24 नवंबर 1974 को इथोपिया के उत्तर पूर्वी इलाके में मॉरिस तैयब सहित कुछ वैज्ञानिकों की अगुआई में एक टीम ने एक कंकाल खोजा गया था जिसकी हड्डियां 31.8 लाख साल पुरानी थी. 52 बिखरे हुए हड्डियों के इस टुकड़े में लूसी के कंकाल का 40 फीसदी हिस्सा था. इसे इंसानी परिवार का सबसे पुराना ज्ञात सदस्य माना गया था और यह आज भी है.
गीत के आधार पर दिया नाम
यह दुनिया का सबसे मशहूर ऑस्ट्रेलियोपिथिकल एफ्रेंसिस प्रजाति का कंकाल उस दौर में खोजा गया सबसे बड़ा कंकाल था. शुरुआत में इसे ए.एल-288-1 नाम दिया गया था, जो उसकी लोकेशन के आधार पर था. पर बाद में शोधकर्ताओं ने बीटल्स के मशहूर गीत लूसी इन द स्काय विद डायनमंड्स के आधार पर उसे लूसी नाम दिया था, जो उन्होंने अपनी खोज के बाद सुना था.
कैसी थी लूसी?
लूसी दो पैरों पर चलती थी और ऐसा माना गया कि वह 11 -13 साल की उम्र में ही मर गई होगीजो कि इस प्रजाति के लिए वयस्क आयु बताई जाती है. 1.1 मीटर लंबी लूसी का वजन करीब 29 किलोग्राम था.
लूसी दुनिया का इकलौता कंकाल है जिसके अध्ययन के लिए उसकी दुनिया भर में मांग है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
मानव इतिहास के लिए क्रांतिकारी खोज
जीवाश्म विज्ञान विभाग की 31 वर्षीय प्रमुख साहलेसेलासी मेलाकू के मुताबिक इयह खोज मानव विकास इतिहास ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया पर ही बहुत गहरा असर डालने वाली साबित हुई. लूसी की खोज मानव विकास इतिहास के लिए क्रांतिकारी साबित हुए. इससे पता चला कि मानव परिवार 30 लाख साल से भी ज्यादा पहले मौजूद था और यह बात बाद के कंकालों की खोज से भी मेल खाती थी.
क्यों मानी गई उसकी अहमियत
लेकिन लूसी की खोज ऐसे दौर की खोज थी जो मानव पूर्वजों की हमारी जानकारी का सबसे काला युग माना जाता है. इस विषय के जानकारों का कहना है कि 30 लाख साल पहले के उस दौर के पास वैज्ञानिकों के पास बहुत ही कम या नहीं के बराबर जानकारी है और ऐसा कुछ नहीं है जिसके आधार पर किसी जानकारी को पूरी कहा जा सके. भले ही लूसी को इंसानियत की दादी कहा जाता हो पर नई पड़तालें इशारा करती हैं कि वह अपने चाची या मामी जैसी ही दिखती होगी.
लूसी का कंकाल की केवल 40 फीसदी हड्डियां ही वैज्ञानिकों को मिल सकी थीं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
हो सकता है ये सबसे पुरानी इंसान ना हो!
एक और समस्या ये है कि इथोपिया, दक्षिण अफ्रीका और केन्या आदि में कई इलाकों में मिले कंकालों ने मामले को और जटिल ही बनाया है जिससे होमिनिड की प्रजातियां कब दुनिया में आई जैसे सवाल पर बहुत बहस छिड़ गई. वहीं 2001 में चाड में मिले तोउमाई खोपड़ी खोज ने संकेत दिया कि इंसानों का परिवार को 60 से 70 लाख साल पुराना हो सकता है.
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लूसी पर हुए एक शोध में से एक में दावा किया गया है कि उनसे अपने जीवन का एक तिहाई जीवन पेड़ों पर गुजारा था. वहीं 2022 की स्टडी ने नतीजा निकाला था कि ऑस्ट्रेलियोपिथेकस के नवजातों को बहुत अधिक देखभाल की जरूरत होती थी जैसा की आज के इंसानों के शिशुओं को होती है. लेकिन कई शोधकर्ताओं को उन्नत तकनीक का इंतजार है और उन्हें उम्मीद है कि वे एक दिन उस दौर के होमिनिड प्रजातियों के इंसानों के बारे में और अधिक पता लगा सकेंगे.
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FIRST PUBLISHED :
November 25, 2024, 14:24 IST