राजीव सागर डैम, बालाघाट
Balaghat News: बालाघाट का एक प्रमुख पर्यटन स्थल अब सैलानियों के आकर्षण का केंद्र नहीं रहा. सड़कों से लेकर पार्क तक, सब ...अधिक पढ़ें
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated : November 24, 2024, 12:12 IST
बालाघाट. बालाघाट जिले के अंतिम छोर पर एक बांध है, जिसका नाम सीतेकसा बांध है. यह बांध राजीव सागर परियोजना के तहत बना है, जो कि एक अंतर्राज्यीय परियोजना (मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र) है. यह मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल हो सकता है. लेकिन कुछ खामियां ऐसी है, जो इस पर्यटकों को दूर कर रही है. इन्हीं खामियों को जानने Local 18 की टीम बालाघाट जिले से 100 किलोमीटर दूर स्थित राजीव सागर डैम पहुंचा, देखिए वहां के जमीनी हालात…
राजीव सागर डैम जाने वाली सड़क हैं बेहद जर्जर
राजीव सागर डैम को जोड़ने वाली सड़क बेहद खराब है. डैम पहुंचने से ठीक 5 किलोमीटर पहले से सड़क और गड्ढे में कोई अंतर नजर नहीं आता. स्थानीय बताते है कि लगभग 25 सालों से सड़क लगभग ऐसा ही हाल है. वहीं, बारिश के दिनों में इस सड़क से गुजरना बेहद मुश्किल हो जाता है. इस दौरान सड़क पर कीचड़ रहता है, जिससे वाहन तो दूर पैदल चलना मुश्किल हो जाता है. साथ ही छोटे-मोटे हादसे होना यहां आम बात है. ऐसे में राजीव सागर डैम से पर्यटकों का मोहभंग हो रहा है.
राजीव सागर डैम के जीरो पर स्थित पार्क भी खराब हालत में
राजीव सागर डैम के शुरू होने से ठीक पहले एक स्थान है, जिसका नाम जीरो है. यहां पर स्थित पार्क भी जर्जर हालत में है. इसकी देखरेख करने वाले शर्मन शर्मा बताते हैं कि डैम के पास स्थित पार्क में सिंचाई न होने के कारण यहां के पेड़-पौधे भी सुख रहे है. साल 2021 यानी कोरोना काल से ही यहां की मोटर की वाल्व खराब है, जिससे सिंचाई नहीं हो पा रही है. साथ ही यहां बने स्मारक भी जर्जर हालात में है. वहीं, पार्क में सफाई नहीं पा रही है.
पर्यटकों के लिए न पानी की सुविधा न शौचालय की
स्थानीय बताते है कि इतनी बड़ी परियोजना होने का कारण यहां लगभग साल भर पर्यटक पिकनिक मनाने और मनोरम दृश्यों को देखने के लिए आते हैं. लेकिन इन पर्यटकों के लिए न पीने के पानी की सुविधा है न ही शौचालय की. ऐसे में उन सैलानियों को समस्या का सामना करना पड़ता है.
इन दिनों रहती है सैलानियों की भीड़
वैसे तो राजीव सागर डैम को देखने के लिए महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों से साल भर सैलानी आते आते रहते हैं. लेकिन वह बारिश के मौसम में मनोरम रूप धारण करता है. ऐसे में बारिश के दिनों में यहां पर्यटक हरियाली और डैम को देखने के लिए बड़ी संख्या में आते हैं. वहीं, मकर संक्रांति के मौके पर हर साल यहां मेला लगता है, तब यहां सबसे ज्यादा भीड़ लगी रहती है.
पर्यटन बढ़ा, तो स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार
स्थानीय बताते हैं कि डैम के आसपास के गांवों के लोग रोजगार के लिए दूसरे शहरों की ओर पलायन करते हैं. वहीं, यहां के हालात सुधरे तो स्थानीय लोगों को काम की तलाश में कहीं बाहर नहीं जाना पड़ेगा. इस पर्यटन स्थल के सुधार के लिए स्थानीय लोगों ने कई प्रयास किए लेकिन अब तक किसी ने मामले में संज्ञान नहीं लिया. ऐसे में इसके हालात जस के तस बने हुए है.
Editer- Anuj Singh
FIRST PUBLISHED :
November 24, 2024, 12:12 IST