कुल्लूः देश भर में आज 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जा रहा है. वहीं, हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में सबसे अलग 13 अक्टूबर को दशहरा का त्यौहार मनाया जाएगा. कुल्लू का दशहरा अमूमन देश भर से अलग तरह से ही मनाया जाता है. यहां के अराध्य देव भगवान रघुनाथ के सम्मान में दशहरा मनाया जाता है. तो आइये जानते हैं इसको लेकर क्या मान्यता है और क्यों यहां पर एक दिन बाद दशहरा का मानाया जाता है.
देशभर में दशहरा का त्यौहार खत्म होने पर ही कुल्लू का दशहरा शुरू होता है. यहां भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ दशहरा उत्सव का आगाज होता है. विजय दशमी के दिन जहां सब जगह रावण के पुतले जलाकर दशहरा मनाया जाता है. वहीं, कुल्लू में अनोखी परंपराओं का निर्वहन कर भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ दशहरा की शुरूआत होती. यह दशहरा उत्सव यहां 7 दिनों तक चलता है. जिसमें हर एक दिन अलग परंपराओं का निर्वहन किया जाता है.
इस बार क्यों 13 को मनाया जा रहा कुल्लू का दशहरा
भगवान रघुनाथ के कारदार दानवेंद्र सिंह ने बताया की यहां हमेशा उदय तिथि के साथ ही त्यौहार मनाए जाते है. इस बार विजय दशमी 12 अक्टूबर को दोपहर बाद शुरू हो रही है जो 13 अक्टूबर को दोपहर तक रहेगी. इसलिए कुल्लू में 13 अक्टूबर को दशहरा मनाया जा रहा है. कुल्लू में रघुनाथ जी की रथयात्रा 13 अक्टूबर को निकाली जाएगी.
रघुनाथ की रथयात्रा के साथ होगा दशहरा उत्सव
कुल्लू में दशहरा उत्सव भगवान रघुनाथ की रथयात्रा के साथ शुरू होता है. इस देव मिलन के त्यौहार में शामिल होने के लिए घाटी के सभी देवी देवता ढालपुर मैदान में आते है. कुल्लू दशहरा 7 दिनों तक मनाया जाता है. रघुनाथ भगवान के कारदार दानवेंद्र सिंह बताते है की जिस तरह रामायण में लिखा गया है की 9 दिनों तक देवी भगवती की आराधना करने के बाद भगवान राम ने दसवें दिन लंका की ओर कूच किया था. उसी तरह यहां भी दसवीं तिथि पर भगवान रघुनाथ अपने रथ में बैठकर अस्थाई शिविर तक जाते है. माना जाता है की दसवीं के बाद पूर्णिमा के दिन रावण का वध हुआ था. इसलिए यहां भी सातवें दिन ये लंका दहन का दिन मनाया जाता है. हालांकि कई बार पूर्णिमा का दिन आगे पीछे हो जाता है. लेकिन लंका के दिन यहां दशहरे का समापन किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 12, 2024, 08:31 IST