ब्राह्मण पुत्र रावण में कैसे आए राक्षसत्व वाले गुण? क्या है उसके जन्म का रहस्य

2 hours ago 1

Ravan Janm Rahsya: देशभर में आज दशहरा की धूम मची है. जगह-जगह रामलीला हो रही है. भगवान राम के जन्म से लेकर लंका फतह तक का मंचन किया जा चुका है. आज रावण, मेघनाद और कुंभकरण दहन होगा. रामलीला में दिखाए गए तमाम प्रसंगों से हम रूबरू होते हैं. कई बार मंचन से हमें ऐसी जानकारियां भी मिल जाती हैं, जिन्हें हम नहीं जानते हैं. ऐसी ही एक जानकारी रावण जन्म को लेकर है. हालांकि, रामलीला में इसका मंचन नहीं होता है, लेकिन रामायण में इसका वर्णन जरूर है. अब सवाल है कि आखिर, रावण जन्म को लेकर हम कितना जानते हैं? ब्राह्मण पुत्र होकर भी रावण में कैसे आए राक्षसत्व वाले गुण? कौन से शृाप बने रावण जन्म के रहस्य? राक्षस कुल की कैकसी कैसी बनी रावण के पिता महर्षि विश्रवा की पत्नी? आइए जानते हैं इन सवालों के बारे में-

ये तो हम सभी जानते हैं कि, रावण लंका का राजा था और युद्ध में श्रीराम ने उसका वध किया था. लेकिन, आपको बता दूं कि, लंकापति रावण महाज्ञानी पंडित था. रावण के अंदर सत्व, रज और तम तीनों ही गुण विद्मान थे. उसमे तमोगुण सबसे अधिक और सत्व गुण सबसे कम था. वाल्मीकि रामायण के अनुसार, रावण पुलत्स्य मुनि के पुत्र महर्षि विश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र था. ऐसा माना जाता है कि उसका जन्म 3 श्राप के कारण हुआ था. एक श्राप सनकादिक बाल ब्राह्मणों ने दिया था. इसी तरह अलग-अलग जगह दो श्राप का और भी जिक्र मिलता है.

ब्रह्मा जी से वरदान के बाद राक्षसों का बढ़ा अत्याचार

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, पौराणिक काल में माली, सुमाली और मलेवन नाम के 3 क्रूर दैत्य भाई हुआ करते थे. तीनों ने ब्रह्मा जी की तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें बलशाली होने का वरदान दिया. वरदान मिलते ही तीनों स्वर्गलोक, पृथ्वीलोक और पाताललोक में देवताओं सहित ऋषि-मुनियों और मनुष्यों पर अत्याचार करने लगे. इससे संपूर्ण पृथ्वी लोक परेशान होकर भगवान विष्णु से मिले.

अत्याचार से दुखी देवगण विष्णु जी से मिले

अत्याचार जब काफी बढ़ गया तब ऋषि-मुनि और देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और व्यथा सुनाई. इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि मैं इन दुष्ट राक्षसों का अवश्य विनाश करूंगा. यह बात जब माली, सुमाली और मलेवन ने सुनी तो उन्होंने अपनी सेना लेकर इंद्रलोक पर आक्रमण कर दिया.

भगवान विष्णु को रण क्षेत्र में देख पाताल भागे राक्षस

राक्षसों का अत्याचार देख भगवान विष्णु इंद्रलोक आकर राक्षसों का नरसंहार करने लगे. रण क्षेत्र में उनके आने के कुछ क्षण बाद ही सेनापति माली सहित बहुत से राक्षस मारे गए और शेष लंका की ओर भाग गए. उसके बाद शेष बचे राक्षस सुमाली के नेतृत्व में लंका को त्याग कर पाताल में जा बसे. बहुत दिनों तक सुमाली और मलेवन परिवार के साथ पाताल में ही छुपा रहा.

देवताओं पर विजय पाने के लिए बेटी को बनाया मोहरा

सुमाली और मलेवन ने एक दिन सोचा कि हम राक्षसों को देवताओं के भय से यहां कितने दिनों तक छुपकर रहना पड़ेगा? ऐसे में कौन सा उपाय किया जाए, जिससे देवताओं पर विजय प्राप्त की जाए. कुछ क्षण बाद उसे कुबेर का ध्यान आया. तब उसके मन में ये विचार आया कि क्यों न वो अपनी पुत्री का विवाह ऋषि विश्रवा से कर दे, जिससे उसे कुबेर जैसे तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हो जाएगी. इस पर सुमाली अपनी पुत्री कैकसी के पास पहुंचा और बोला हे पुत्री तुम विवाह के योग्य हो चुकी हो. परन्तु मेरे भय की वजह से कोई तुम्हारा हाथ मांगने मेरे पास नहीं आता. इसलिए राक्षस वंश के कल्याण के लिए मैं चाहता हूं कि तुम परमपराक्रमी महर्षि विश्रवा के पास जाकर उनसे विवाह कर पुत्र प्राप्त करो.

धर्मपरायण कैकसी ने पिता की इच्छा को माना अपना धर्म

राक्षसी होते हुए भी कैकसी एक धर्मपरायण स्त्री थी, इसके चलते उसने अपने पिता की इच्छा को पूरा करना अपना धर्म माना और विवाह के लिए स्वीकृति दे दी. इसके बाद कैकसी महर्षि विश्रवा से मिलने पाताल लोक से पृथ्वीलोक चल पड़ी. महर्षि विश्रवा के आश्रम तक आते-आते कैकसी को शाम हो चुकी थी. आश्रम पहुंचकर कैकसी ने सबसे पहले महर्षि का चरण वंदन किया और फिर मन की इच्छा बतलाई. इस पर महर्षि विश्रवा ने कहा, हे भद्रे मैं तेरी ये अभिलाषा पूर्ण कर दूंगा किंतु तुम कुबेला में मेरे पास आई हो, अत: मेरे पुत्र क्रूर कर्म करने वाले होंगे. उन राक्षसों की सूरत भी भयानक होगी. महर्षि विश्रवा के वचन सुन कैकसी उनको प्रणाम कर बोली आप जैसे ब्राम्हणवादी दौर मैं ऐसे दुराचारी पुत्रों की उत्पत्ति नहीं चाहती. अतः आप मेरे ऊपर कृपा करें. तब महर्षि ने कैकसी से कहा कि तुम्हारा तीसरा पुत्र मेरी ही तरह धर्मात्मा होगा.

इस तरह कैकसी को हुई संतान की प्राप्ति

महर्षि से विवाह के पश्ताच कैकसी ने वीभत्स राक्षस रूपी पुत्र को जन्म दिया, जिसके दस सिर थे उसके शरीर का रंग काला और आकार पहाड़ के सामान था. इसलिए महर्षि विश्रवा ने कैकसी के सबसे बड़े पुत्र का नाम दशग्रिव रखा, जो बाद में रावण के नाम से तीनों लोकों में जाना गया. उसके बाद कैकसी के गर्भ से कुम्भकरण का जन्म हुआ उसके समान लम्बा-चौड़ा दूसरा कोई प्राणी न था. तदन्तर बुरी सूरत की सुपर्णखा उत्पन्न हुई सबके पीछे कैकसी के सबसे छोटे पुत्र धर्मात्मा विभीषण ने जन्म लिया.

3 श्राप भी बने रावण जन्म के कारण

सनकादिक बाल ब्राह्मणों का शृाप: ऐसा माना जाता है कि रावण और उसका भाई कंभकर्ण पूर्व जन्म में भगवान विष्णु के द्वारपाल जय-विजय थे. एक समय की बात है बाल ब्राह्मण वैकुंठ जाने के लिए प्रवेश द्वार पहुंचे, जहां जय-विजय पहले से ही मौजूद थे. बाल ब्राह्मणों ने अंदर जाने की मंशा जाहिर की तो जय-विजय ने उन्हें जाने से रोक दिया. इसी से नाखुश बाल ब्राह्मणों ने दोनों को मृत्युलोक में जन्म लेने का श्राप दे दिया.

नारद शृाप से शिव गण बने राक्षस: मान्यताओं के मुताबिक, एक बार नारद मुनि को अहंकार हो गया कि वह माया को जीत चुके हैं. भगवान विष्णु उनके अहंकार को समझ गए. उन्होंने माया से एक नगर बनाया. नारद मुनि माया के प्रभाव में उस नगर में पहुंच गए और वहां के राजा से मिले. राजा ने मुनि को अपनी क्या का हाथ दिखाया और विवाह योग्य वर के बारे में पूछा. कन्या को देख नारद मुनि उस पर मोहित हो गए. उन्होंने राजा से कहा कि कन्या का स्वयंवर रचाइए, योग्य वर मिल जाएगा. इसपर नारद वैकुंठ पहुंचे और भगवान विष्णु से कहा कि प्रभु संसार में आप से सुंदर कोई नहीं है. मुझे हरिमुख (यानी आप अपना रूप दे दीजिए दे दीजिए. भगवान ने पूछा- क्या दे दूं, नारद बोले- हरिमुख, प्रभु हरिमुख. संस्कृत में हरि का एक अर्थ बंदर भी होता है. नारद जी यही रूप लेकर स्वयंवर गए.

वहां शिवजी ने, विष्णुजी के कहने पर अपने दो गणों को भेज रखा था. स्वयंवर में नारद मुनि उछल-उछल कर अपनी गर्दन आगे कर रहे थे कि कन्या उन्हें देखे और उनके गले में वरमाला डाल दे. उनकी यह हरकत देख शिवजी के गण भेष बदलकर पहुंचे और उन्होंने उनका उपहास उड़ाना शुरू कर दिया. कहने लगे- कन्या को देखकर बंदर भी स्वयंवर के लिए आ गए. इस पर नारद जी ने दोनों को शृाप दिया कि तुमने मुझे बंदर कहा, जाओ तुम लोगों को मृत्युलोक में बंदर ही सबक सिखाएंगे. फिर शिवजी के ये दोनों गण रावण और कुंभकर्ण बने.

जब नारद जी ने श्रीहरि को भी दे दिया शृाप: इसके बाद नारद ने देखा कि कन्या ने जिसके गले में वरमाला डाली वह खुद ही श्रीहरि हैं. तब नारद ने उन्हें शृाप दिया कि जिस तरह तुम मेरी होने वाली पत्नी को ले गए और मैं वियोग-विलाप कर रहा हूं, एक दिन तुम्हारी भी पत्नी का हरण होगा और तुम विलाप में वन-वन भटकोगे. इस तरह राम और रावण का जन्म होना तय हो गया.

ये भी पढ़ें:  दशहरे के दिन करें ये 5 शक्तिशाली उपाय, धन-लाभ के साथ दरिद्रता से मिलेगी मुक्ति, साढ़ेसाती का प्रभाव भी होगा कम!

ये भी पढ़ें:  Dussehra 2024: रावण दहन की लकड़ी और राख क्यों लाते हैं घर? 99% लोगों में होती कंफ्यूजन, पंडित जी से जानें सच

प्रतापभानु के कारण रावण बना राक्षस: सतयुग के अंत में एक राजा हुआ करते थे प्रतापभानु. वह एक बार जंगल में राह भटक गए और एक कपटी मुनि के आश्रम में पहुंच गए. यह कपटी प्रतापभानु के द्वारा ही हराया हुआ एक राजा था. उसने राजा को पहचान लिया, लेकिन प्रतापभानु कपटी मुनि की असलियत नहीं पहचान पाया. इस तरह मुनि ने राजा की ऐसी बातें बताईं जो सिर्फ उसके जानने वाले ही जानते थे. इससे राजा को लगा कि यह कोई सिद्ध पुरुष है. राजा ने उससे चक्रवर्ती होने का उपाय पूछा. कपटी मुनि ने कहा कि तीन दिन बाद ब्राह्मणों को भोजन कराओ और उन्हें प्रसन्न कर लो. उनके आशीष से ही तुम चक्रवर्ती बनोगे. ब्राह्मणों का भोजन बनाने मैं खुद आऊंगा.

तीन दिन बाद वह कपटी मुनि पहुंचा. राजा ने एक लाख ब्राह्मणों को भोजन पर बुलाया था. जैसे ही भोजन परोसा जाने लगा उसी समय आकाशवाणी हुई कि भोजन में मांस मिला हुआ है. यह अभक्ष्य है. प्रतापभानु से नाराज ब्राह्मणों ने उसे, कुटुंब समेत राक्षस हो जाने का श्राप दिया. यही प्रतापभानु रावण बना, उसका भाई कुंभकर्ण बना और प्रतापभानु का मंत्री वरुरुचि विभीषण बनकर जन्मा. विभीषण को सिर्फ राक्षस कुल में जम्न लेने का श्राप था, इसलिए वह राक्षस होकर भी धर्मपरायण था. रावण के जन्म का ये संपूर्ण रहस्य था. इस तरह तीन श्राप के कारण एक रावण का जन्म हुआ था.

Tags: Dharma Aastha, Dussehra Festival, Ravana Dahan, Ravana Dahan Story

FIRST PUBLISHED :

October 12, 2024, 10:28 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article