बाबाजी डोसा वाले कि तस्वीर
Bokaro: बोकारो में बेहतरीन डोसा खाना चाहते हैं तो सेक्टर 2 दुर्गा मंदिर के सामने बने बाबा जी डोसा स्टॉल जा सकते हैं. यहां का बटर डोसा खाने लोग दूर-दराज से आते हैं. वैसे तो यहां के सभी प्रकार के आइटम डिमांड में रहते हैं लेकिन बटर डोसा खासा पसंद किया जाता है. स्टॉल चलाने वाले मुरली बाबा पिछले 30 सालों से यहां इडली-डोसा का स्टॉल लगा रहे हैं. साथ में परोसी जाने वाली सांभर और बादाम की चटनी खाने के लिए लोग दीवाने रहते हैं. डोसे की यहां बहुत वैरायटी हैं आप अपनी पसंद से फेवरेट डोसा चुन सकते हैं.
जेब पर नहीं पड़ेगा बोझ
यहां के डोसे का स्वाद जितना अच्छा है उसकी कीमत उससे भी ज्यादा अच्छी है. इस टेस्ट के लिए आपको बहुत पैसा नहीं खर्च करना होगा. स्टॉल के मालिक मुरली बाबा ने लोकल 18 को बताया कि उनके यहां सादा डोसा 40 रुपये में और मसाला व बटर मसाला डोसा 50 रुपये में मिलता है. ग्राहक दूर-दराज से ये स्वाद चखने आते हैं. हालांकि इस लेवल पर पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत और संघर्ष किया है.
बचपन में उठा मां-बाप का साया
अपने संघर्षों को लेकर मुरली बाबा ने बताया कि जब वे छोटे थे, तभी उनके माता-पिता का देहांत हो गया था. इसके बाद उनके नाना-नानी ने उनका पालन-पोषण किया लेकिन बेहतर जीवन की तलाश में उन्होंने पश्चिम बंगाल का रुख किया. यहां उन्होंने कई अलग-अलग जगहों पर काम किया. इसी दौरान पश्चिम बंगाल के एक होटल में काम करते हुए उन्होंने एक मद्रासी कुक से डोसा बनाना सीखा और अपने हुनर को और निखारते हुए मुरली बाबा ने बोकारो में आकर बीएसएल प्लस टू हाई स्कूल सेक्टर 2 के पास साइकिल पर इडली और डोसा बेचना शुरू किया.
साइकिल पर डोसा बेचने से शुरू हुआ था सफर
धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और साइकिल पर डोसा बेचने से शुरू हुआ ये सफर आज स्थायी दुकान तक पहुंच गया है. आज वे सेक्टर 2 में अपनी खुद की दुकान चलाते हैं जिसे लोग प्यार से से टबाबाजी डोसा वाले’ के नाम से बुलाते हैं. यहां डोसा की बिक्री के साथ भजन कार्यक्रम भी होता है. उनकी दुकान पर डोसा खा रहे ग्राहक भरत ने बताया कि यहां के डोसा का स्वाद अनोखा और लाजवाब है और वे पिछले 10 सालों से यहां डोसा खाने आ रहा है. हर बार यहां का स्वाद एक जैसा होता है.
कैसे बनता है खास डोसा?
डोसा बनाने की प्रक्रिया के बारे में मुरली बाबा ने बताया कि सबसे पहले उड़द दाल और चावल का इस्तेमाल किया जाता है. इसे फुलाकर पीसकर बैटर तैयार होता है जिसे तवे पर फैलाया जाता है. इसके बाद आलू का चोखा फैलाया जाता है और खूब सारा बटर भी डाला जाता है. ऊपर से और बटर डालकर इसे सांभर और चटनी के साथ ग्राहक को परोस दिया जाता है. रोजाना उनकी दुकान पर 70 से 100 बटर डोसा की खपत हो जाती है. दुकान सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे तक खुलती है.
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FIRST PUBLISHED :
October 12, 2024, 12:51 IST