28 साल तक सरहद पर दुश्मनों को चटाई धूल,अब AMU स्टूडेंट्स के लिए बना आविष्कार
अलीगढ़: UP के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है, जो उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्थित है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक आवासीय शैक्षणिक संस्थान है, जिसे 2009 में वायुसेना का मिग लड़ाकू विमान तोहफे में मिला था. मौजूदा समय में एएमयू में रखा वायुसेना का मिग लड़ाकू विमान यहां के स्टूडेंट्स के लिए ज्ञान का स्रोत बना हुआ है. साथ ही यहां आने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र भी है.
विमान प्राप्ति का इतिहास
भारतीय वायुसेना ने 2009 में तोहफे में एएमयू प्रशासन को लड़ाकू विमान MIG-23 BN दिया था. यूनिवर्सिटी के जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिग एंड टेक्नोलॉजी के तत्कालीन प्रिसिपल प्रो. मुस्लिम ताज मुहम्मद ने इसे प्राप्त किया था. 6 मार्च 2009 को विमान ने आखिरी उड़ान भरी थी. 28 साल तक यह वायुसेना के बेड़े में शामिल रहा. बाद में इसके कुछ पुर्जे निकालकर वायुसेना ने एएमयू कैंपस में ही इसे रखवा दिया.
MIG-23 BN का इतिहास
MIG-23 BN का सबसे चर्चित इतिहास ‘आपरेशन सफेद सागर’ का रहा है. 25 मई, 1999 को ‘आपरेशन सफेद सागर’ चलाया गया. जिसके तहत वायु सेना को सुबह पहली किरण के साथ आक्रामक कार्रवाई करनी थी. इसकी जिम्मेदारी मिग-23 बी एन को सौंपी गई. मिग-23 बी एन का लक्ष्य टाइगर हिल पर शत्रु के ठिकानों पर 57 एमएम राकेट और 500 किलोग्राम वजन वाले बम गिराना था. 26 मई से 15 जुलाई के बीच के 7 सप्ताहों के दौरान इस स्क्वैड्रन ने 155 आक्रमक उड़ानें भरीं जो दिसम्बर, 1971 के दौरान भरी गयी आक्रमक उड़ानों से कहीं अधिक थीं.
ज्ञान का स्रोत
वायुसेना की याद दिलाने वाला लड़ाकू विमान MIG-23 BN अब यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए ज्ञान का स्रोत बना हुआ है. विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों को विमान और इसके इंजन के बारे में पढ़ाया जाता है. वहीं दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी घूमने आने वाले लोगों के कदम विमान के पास आते ही रुक जाते हैं और सेल्फी के बाद ही आगे बढ़ते हैं.
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विमान की प्रेरणा
LOCAL 18 से खास बातचीत करते हुए AMU के जनसंपर्क अधिकारी उमर पीरजादा ने बताया कि इस तरह के लड़ाकू विमान, आर्टिलरी गन, टैंक जब रिटायर्ड हो जाते हैं, तो इंडियन आर्मी द्वारा चाहे वो थल सेना हो, जल सेना हो या वायु सेना हो, किसी एजुकेशन संस्था को दे दिया जाता है. इसके पीछे मकसद यह होता है कि वहां के स्टूडेंट्स उससे प्रेरणा ले सकें और देश के लिए इस तरह के आविष्कार खुद से कर सकें. जिससे न की सिर्फ ऐसे फाइटर जेट भारत में बनाए जा सकें बल्कि इससे बेहतर आविष्कार किए जा सकें.
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FIRST PUBLISHED :
October 9, 2024, 10:29 IST