AI ने दी राहुल गांधी को कौन सी 5 सीख, कहा-क्रेडिबिलिटी क्यों खतरे में

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हाइलाइट्स

आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस ने कहा - लीडरशिप में मजबूती की जरूरत पहले राहुल और कांग्रेस वादों को पूरा करें फिर उन्हें चुनाव में दोहराएं अति आत्मविश्वास से बचें और जमीनी हकीकत को जानने की कोशिश करें

हरियाणा में कांग्रेस लगातार तीसरी बार बीजेपी को सत्ता में आने से नहीं रोक सकी. इसके बाद राहुल गांधी की लीडरशिप और कांग्रेस दोनों पर सवाल खड़े हो गए. हमने दुनिया के टॉप एआई टूल परप्लेक्सिटी से पूछा कि आखिर वो क्या सोचता है कि उन्हें इस हार से क्या सीख लेना चाहिए. एआई ने तुरंत हमें पांच वजहें गिना दीं.

परप्लेक्सिटी आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस (perplexity ai)की इन बात सीखों को हम यहां दे रहे हैं. वैसे हम आपको बता दें कि एआई ने ये राय तमाम एक्सपर्ट्स, तमाम दलों के नेताओं की राय के विश्लेषण के बाद ही बनाई है. क्या हैं वो पांच वजहें

1. लीडरशिप को मजबूत करने की जरूरत
भारत राष्ट्र समिति (BRS) के प्रमुख नेता केटी रामा राव ने ज़ोर दिया कि कांग्रेस की हार का एक मुख्य कारण राहुल गांधी का कथित कमज़ोर नेतृत्व था. तो एआई की सलाह ये है कि राहुल गांधी और कांग्रेस को एक मज़बूत और विश्वसनीय नेतृत्व के बिना आगे भी चुनावी विफलताओं का जोखिम उठाना पड़ सकता है, खासकर भाजपा के ख़िलाफ़ सीधे मुक़ाबले में.
आंतरिक कलह भी कांग्रेस को खत्म करनी चाहिए. कांग्रेस चुनाव जरूर लड़ रही थी लेकिन साफ नजर आ रहा था कि उसके दो धड़े हैं. एक धड़ा ही चुनाव में हावी था और दूसरा धड़ा किनारे बैठा हुआ था, इससे भी दूसरे धड़े से जुड़े वोटर्स के पास गलत मैसेज गया.

2. वादों की विश्वसनीयता खतरे में
मतदाताओं को “गारंटी” देने की कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठाए गए हैं. आलोचकों का तर्क है कि कर्नाटक और तेलंगाना में इसी तरह के वादों को पूरा करने में विफल रहने के बाद, उनकी गारंटी की विश्वसनीयता काफ़ी कम हो गई है. हरियाणा के मतदाताओं ने दिखाया है कि वे अब ऐसे वादों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं जिनमें कोई दम नहीं.

3. मज़बूत गठबंधन की ज़रूरत
चुनाव परिणामों ने प्रभावी गठबंधन बनाने के लिए कांग्रेस के संघर्ष को उजागर किया. महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में आगामी चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस के लिए अपनी गठबंधन रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है. भाजपा के खिलाफ सीधी जीत हासिल करने में विफलता गठबंधन सहयोगियों के बीच कांग्रेस की मुख्य गठबंधन दल की ताकत को कम करती है. लिहाजा उन पर इसका असर अगले राज्यों के चुनावों में भी पड़ सकता है.

4. रणनीति में अति आत्मविश्वास
कांग्रेस पार्टी का अति आत्मविश्वास हरियाणा में आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन करने से इनकार करने में स्पष्ट था, जिसके बारे में कई लोगों का मानना ​​है कि इसने उसकी हार में योगदान दिया. यह स्थिति ये बताती है कि अति आत्मविश्वास खराब प्रदर्शन का कारण बन सकता है, खासकर जब भाजपा जैसे दमदार प्रतिद्वंद्वी का सामना करना पड़ता है. यानि कांग्रेस को गठबंधन को लेकर तार्किक तरीके से सोचना चाहिए. हरियाणा में कांग्रेस इसलिए भी आत्मविश्वास का शिकार लग रही थी कि उसे लग रहा था कि बीजेपी के लगातार दो बार सत्ता में रहने के कारण वहां एंकैंबेंसी फैक्टर है, जिसका अपने आप उसे फायदा मिलेगा.लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ये आत्मविश्वास उसे ले डूबा.

5. जनभावना को समझें और जवाबदेही भी 
चुनावी परिणाम कांग्रेस के खिलाफ व्यापक तौर पर जाहिर करता है कि जनता की भावना पूरी तरह उसके साथ नहीं थी. बल्कि बीजेपी के पक्ष में ज्यादा थी.े बात ये भी कहती है कि वोटर अब राजनीतिक दलों से जवाबदेही की मांग कर रहे हैं. यह धारणा बढ़ रही है कि कांग्रेस अपने वादों को पूरा करने में विफल रही है, जिससे मतदाताओं के बीच विश्वास में कमी आई है. पार्टी को यह पहचानना चाहिए कि मतदाता कथित बेईमानी और वादों को पूरा नहीं करने को माफ नहीं करती.

तो निचोड़ ये है कि कांग्रेस पार्टी को मतदाताओं का विश्वास फिर हासिल करने के लिए और भविष्य में चुनावी प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए अपने नेतृत्व, वादों, गठबंधन रणनीतियों, विश्वास के प्रति दृष्टिकोण तथा जवाबदेही का गंभीरतापूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए.

Tags: Artificial Intelligence, Congress, Haryana Congress, Haryana predetermination 2024, Rahul gandhi

FIRST PUBLISHED :

October 9, 2024, 12:41 IST

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