पालकी में माता के दर्शन करवाते ले जाते हुए मित्र
पाली. दोस्ती यकीन पर टिकी होती है और यह दीवार बड़ी मुश्किल से खड़ी होती है, फुर्सत मिले तो पढ़ना किताब रिश्तों की, दोस्ती खून के रिश्तों से बड़ी होती है, इसी दोस्ती की कहावत का एक अद्भुत उदाहरण जोधपुर के संदीप अरोड़ा और उनके दोस्तों ने पेश किया. बचपन से पोलियो के कारण संदीप के एक पैर में परेशानी थी, लेकिन उनकी कुलदेवी हिंगलाज माता के दर्शन करने की इच्छा ने उनके दोस्तों को प्रेरित किया. संदीप के दोस्त पदम वडेर ने वैष्णो देवी जैसी तीर्थ यात्राओं से प्रेरणा लेकर पालकी से दर्शन कराने का विचार किया.
हालांकि, न तो जोधपुर और न ही पाली में पालकी उपलब्ध थी. इसलिए पदम ने पालकी तैयार करवाकर पाली के बीजापुर भेजी. इसके बाद एडिशनल एसपी चैन सिंह महेचा ने पालकी उठाने वालों की व्यवस्था की और संदीप के साथ मंदिर तक का सफर तय किया, ताकि किसी तरह की कठिनाई न आए.
बहुत कठिन था रास्ता
पाली के बीजापुर में हिंगलाज माता का मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहां तक पहुंचने का रास्ता बेहद कठिन और फिसलन भरा है. इस रास्ते पर चलकर संदीप को दर्शन करवाना एक चुनौती थी, लेकिन दोस्तों के सहयोग से यह संभव हुआ.
वैष्णो देवी से मिला आईडिया
पदम वडेर ने वैष्णो देवी सहित अन्य तीर्थ स्थलों से पालकी का आईडिया लेकर इसे बनवाया. इस पालकी की लागत लगभग 22 हजार रुपये आई. संदीप और उनके दोस्त माता के जयकारों के बीच पालकी के सहारे मंदिर तक पहुंचे, जहां उन्होंने माता के दर्शन किए.
सच्ची दोस्ती और सहयोग का अद्भुत उदाहरण
मंदिर से लौटने के बाद, दोस्तों ने पालकी को पुलिस को दान कर दिया ताकि अन्य निशक्त भक्त भी इसका उपयोग कर सकें. एडिशनल एसपी चैन सिंह महेचा ने लोकल 19 को बताया कि पालकी बीजापुर पुलिस चौकी में स्थायी रूप से रखी जाएगी और जरूरतमंद दिव्यांग एवं बुजुर्ग श्रद्धालुओं को मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी. इससे न केवल लोगों को मदद मिलेगी, बल्कि धार्मिक पर्यटन और स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा. यह घटना सच्ची दोस्ती और सहयोग का अद्भुत उदाहरण है, जिसने संदीप की इच्छा पूरी करने के साथ-साथ दूसरों की मदद का रास्ता भी खोला है.
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FIRST PUBLISHED :
October 9, 2024, 14:51 IST