यह बायोसेंसर किट एक सेमीकंडक्टर की तरह कार्य करती है,
गोरखपुर: यूपी में गोरखपुर यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर राजर्षि गौर ने एक विशेष बायोसेंसर किट का आविष्कार किया है. इससे किसानों को बड़ी राहत हो सकती है. इस किट की मदद से फसलों और सब्जियों में वायरस की पहचान आसानी से की जा सकेगी, जिससे समय रहते बीमारी पर काबू पाया जा सकेगा. अक्सर देखा गया है कि पर्यावरणीय बदलावों के कारण सब्जियों और मौसमी फलों में वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता है, जिससे पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. इसका प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ता है, क्योंकि संक्रमित फसलें खाने से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
किसानों को मिलेगा बड़ा फायदा
प्रोफेसर राजर्षि गौर और मोदी यूनिवर्सिटी राजस्थान के डॉक्टर राकेश वर्मा ने मिलकर 4 साल तक शोध किया, जिसके परिणामस्वरूप यह बायोसेंसर किट तैयार हुई है. यह किट सब्जी, गन्ना और अन्य फसलों में वायरस की पहचान करने में सक्षम होगी. इंडियन पेटेंट ऑफिस ने इस शोध को अगस्त 2024 में प्रकाशित किया. यह किट संक्रमित पौधे के नमूने के संपर्क में आते ही सिग्नल जनरेट करेगी, जिससे तुरंत पता चल जाएगा कि पौधा कितना संक्रमित है. इससे किसान समय रहते दवा या कीटनाशक का छिड़काव कर सकते हैं और 90% तक फसल के नुकसान से बच सकते हैं.
जानें कैसे काम करती है किट
यह बायोसेंसर किट एक सेमीकंडक्टर की तरह कार्य करती है, जिसमें सिलिकन वेफर पर गोल्ड नैनो पार्टिकल्स लगाए जाते हैं. जब यह किट संक्रमित पौधे के संपर्क में आती है, तो यह एक सिग्नल जनरेट करती है. इस सिग्नल के विश्लेषण से वायरस की मौजूदगी और उसकी गंभीरता का पता चलता है. यदि समय रहते कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है, तो फसल को वायरस से बचाया जा सकता है.
जल्द ही किसानों को मिल जाएगी किट
इस किट के इस्तेमाल से किसानों को न केवल उनकी फसल की रक्षा करने में मदद मिलेगी, बल्कि समय पर उपचार की जानकारी भी मिलेगी. यदि वायरस का इलाज संभव नहीं होता, तो संक्रमित फसल को हटा कर अन्य फसलों को बचाया जा सकेगा. गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने इस आविष्कार के लिए पेटेंट का आवेदन भी कर दिया है, जिससे यह किट जल्द ही किसानों के लिए उपलब्ध हो सकेगी.
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FIRST PUBLISHED :
October 9, 2024, 14:52 IST