देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में ऐसे तो आपने कई डॉक्टर देखे होंगे, लेकिन आज हम आपको मिलवाने वाले हैं. 100 वर्ष की उम्र के सीनियर फिजिशियन से जिनके पिता पाकिस्तान के दर्जी थे. वह भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद देहरादून आए. यहां उन्होंने डीआईएमएस का कोर्स किया. आज भी वह लोगों की नब्ज टटोलकर बीमारी और उनकी दवाएं दे देते हैं. उन्हें दशहरे पर बतौर वीआईपी आमंत्रित किया गया है.
जीवन की शुरुआत और शिक्षा
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के सीनियर फिजिशियन ने लोकल 18 को जानकारी देते हुए कहा है कि डॉक्टर यू सी चांदना उनका पुश्तैनी पाकिस्तान में था. उनके पिता वहां दर्जी का काम किया करते थे. उन्होंने बन्नू के एक स्कूल से हाई स्कूल और इंटर की पढ़ाई की इसके बाद भारत-पाकिस्तान के विभाजन के दौरान उनका परिवार देहरादून शिफ्ट हो गया. उनके पिता ने पलटन बाजार में दर्जी की दुकान खोली और अपना काम शुरू कर दिया. उनके यहां एक देहरादून के बड़े डॉक्टर आये जिन्होंने डॉ यू सी चांदना को मेडिकल की पढ़ाई करवाने की सलाह दी. उस वक्त उन्होंने डीआईएमएस का कोर्स किया और प्रैक्टिस शुरू कर दी. इसके बाद उन्होंने यह काम शुरू कर दिया. साल 1924 में जन्मे डॉ उत्तम चंद चांदना देहरादून के चकराता रोड पर क़ई वर्षों से सेवाएँ दे रहें हैं.
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हालांकि, वह अपनी मदद के लिए असिस्टेंट रखते हैं, लेकिन आज भी वह आपका हाथ देखकर ही आपकी बीमारी और उनकी दवाओं के नाम बता देंगे. 100 वर्षीय डॉ यू सी चांदना के क्लीनिक पर आपको हजारों रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं सिर्फ ₹100 की फीस में आपको दवाइयां मिल जाएंगी. अर्थिक रूप से कमजोर लोगों से तो वह फीस भी नहीं लेते हैं.
ब्रिटिश काल में जेल भी गए डॉ यू सी चांदना
डॉ यू सी चांदना ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ देखा है. जब वह ऋषिकेश में मेडिकल की पढ़ाई के लिए हॉस्टल में ठहरे हुए थे. उस वक्त अंग्रेज युवाओं पर ही फोकस करते थे. उनके हॉस्टल से भी आज़ादी के नारे गूंजने लगे. इसके बाद डॉ यू सी चांदना समेत सारे स्टूडेंट्स को गाड़ियों में भरकर अंग्रेजी सैनिकों ने जेल भेजा. उन्होंने बताया कि न ही खाने के लिए कुछ दिया जाता था और पीने का पानी भी नहीं था. डॉ यू सी चांदना बताते हैं कि कुछ दशकों में ही उन्होंने देहरादून के सूरत-ए- हाल को बदलते देखा है. उन्होंने कहा कि एक जमाना हुआ करता था जब देहरादून में 30 हजार की आबादी थी लेकिन आज आबादी 30 लाख से ज्यादा है.
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FIRST PUBLISHED :
October 9, 2024, 12:47 IST