पांडवों ने अज्ञातवास में बनाया था महाकालेश्वर मंदिर
इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर अनेठा गांव के पास महाकालेश्वर मंदिर स्थापित है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के अलावा देश के विभिन्न स्थानों से हजारों श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए यहां आते हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां आकर मनोकामना करने वाले श्रद्धालुओं की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.
महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास
यह इलाका दुर्गम और कुख्यात डाकुओं के आतंक से जूझता रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं का आना कभी कम नहीं हुआ. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्य से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं. प्राचीन मंदिरों में लगे पत्थर भारत की श्रेष्ठ सांस्कृतिक धार्मिक विरासत का बखान कर रहे हैं.
पंचनद का महत्व
इटावा का पंचनद स्थल विश्व में एकमात्र ऐसा स्थल है जहां पांच नदियों का संगम है – यमुना, चंबल, क्वारी, सिंधु और पहुज. दुनिया में दो नदियों के संगम कई स्थानों पर हैं और प्रयागराज के तीन नदियों के संगम का धार्मिक महत्व है. लेकिन पांच नदियों के संगम स्थल को त्रिवेणी जैसा महत्व नहीं मिल पाया है.
महाभारत काल से जुड़ा स्थल
यह स्थल महाभारत कालीन सभ्यता से भी जुड़ा हुआ माना जाता है क्योंकि यहां पांडवों ने अज्ञातवास बिताया था. बकासुर नामक राक्षस को भीम ने इसी इलाके के एक ऐतिहासिक कुंए में मारा था.
महाकालेश्वर मंदिर और पंचनद संगम
800 ईसा पूर्व बने महाकालेश्वर मंदिर पर साधु-संतों का जमाबड़ा रहता है. श्रद्धालु कालेश्वर के दर्शन से पहले संगम में डुबकी अवश्य लगाते हैं. यहां भगवान विष्णु ने महेश्वरी की पूजा कर सुदर्शन चक्र हासिल किया था.
तुलसीदास और राम चरित मानस
यहां तुलसीदास ने कालेश्वर के दर्शन के बाद राम चरित मानस के कुछ महत्वपूर्ण अंशों की रचना की थी. श्रद्धालुओं का मानना है कि पचनदा जैसी दूसरी तीर्थस्थली भारत में कहीं और नहीं है.
बाबा मुकुंदवन की तपस्थली
पंचनद के एक प्राचीन मंदिर को बाबा मुकुंदवन की तपस्थली माना जाता है. जनश्रुति के अनुसार, भादों की अंधेरी रात में गोस्वामी तुलसीदास को पानी पिलाने का अलौकिक घटना यहीं हुई थी.
उपलवृष्टि से सुरक्षित स्थल
श्रद्धालुओं की मान्यता है कि बाबा की अलौकिक शक्तियां उनकी रक्षा करती हैं, जिससे यहां कभी भी उपलवृष्टि नहीं हुई है. काली मंदिर में बाबा के चरण बने हुए हैं, जिन पर श्रद्धालु माथा टेकते हैं.
पंचनद बांध और सपना
पंचनद बांध बीहड़ के सपनों में शामिल है. यह मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के इटावा, जालौन, औरैया जिले की सीमा पर यमुना और उसकी सहायक नदियों के संगम स्थल पर स्थित है.
बुलंदशहर का यह घाट है 100 साल पुराना तीर्थ स्थल, जहां आस्था और विज्ञान का होता है संगम!
महाकालेश्वर पंचायत के अध्यक्ष बापू सहेल सिंह परिहार बताते है कि महाकालेश्वर मंदिर का जुड़ाव महाभारत काल से माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि पांडवों का अज्ञातवास इसी चकरनगर इलाके में हुआ है और इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के वक्त की थी, इसके बाद से लगातार यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था और श्रद्धा का बड़ा केंद्र बना हुआ है. श्रद्धालु मंदिर में पूजा करने से पहले पांच नदियों के संगम स्थल पचनदा पर स्नान भी करते हैं.
इटावा के वरिष्ठ इतिहासकार और चौधरी चरण सिंह पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के प्राचार्य डॉ.शैलेंद्र शर्मा बताते हैं कि लोक मान्यता के चलते महाकालेश्वर मंदिर का महत्व इतना है कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान,मध्य प्रदेश और देश के अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रद्धा भाव से अपनी मनोकामना लेकर के पूजा करने आते हैं. सभी भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है.
Tags: Etawah news, Local18, Special Project, Uttar pradesh news
FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 16:35 IST