NET पास किए बिना बन सकते हैं असिस्टेंट प्रोफेसर, सिर्फ इनको मिलेगी छूट

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Last Updated:January 12, 2025, 12:06 IST

UGC Guidelines, Assistant Professor Eligibility: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती नियमों में बदलाव किया है. इसके लिए नई गाइडलाइंस भी जारी कर दी गई हैं. यूजीसी का नया ड्राफ्ट नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है....और पढ़ें

नई दिल्ली (UGC Guidelines, Assistant Professor Eligibility). केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में फैकल्टी की नियुक्ति, प्रमोशन और वीसी की भर्ती के संबंध में नई गाइडलाइंस जारी की है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए सहायक प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए नया ड्राफ्ट तैयार किया है. इसके अनुसार, एमई और एमटेक उम्मीदवारों के लिए नेट क्वॉलिफाई करना अनिवार्य नहीं रहेगा.

सहायक प्रोफेसर के पद पर भर्ती के लिए कम से कम 55 प्रतिशत अंकों के साथ एमई यानी मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग एमटेक यानी और मास्टर्स ऑफ टेक्नोलॉजी की डिग्री वाले उम्मीदवारों को सीधे नौकरी दी जाएगी (Assistant Professor Recruitment). उनके लिए यूजीसी नेट यानी राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा क्वॉलिफाई करने की अनिवार्यता खत्म की जा रही है. अब उम्मीदवार पीएचडी वाले विषय के आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के पात्र माने जाएंगे.

Assistant Professor Recruitment: भर्ती के लिए बन गए नए नियम
यूजीसी की नई गाइडलाइंस के अनुसार, उम्मीदवारों को उनकी उच्चतम शैक्षणिक विशेषज्ञता के आधार पर पढ़ाने की अनुमति देने की तैयारी की जा रही है. किसी भी विषय से यूजी और पीजी की पढ़ाई करने वाले उम्मीदवार पीएचडी या नेट के विषयों के आधार पर प्रोफेसर भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसी तरह, जो उम्मीदवार यूजी, पीजी से अलग विषयों में नेट क्वॉलिफाई करेंगे, वे उसी विषय को पढ़ा सकते हैं, जिसमें उन्होंने नेट के लिए अर्हता हासिल की है.

VC Recruitment: कुलपति के लिए भर्ती कैसे होगी?
यूजीसी के नए ड्राफ्ट के अनुसार, अब कुलपति यानी वाइस चांसलर पद पर नियुक्ति के लिए 10 सालों का टीचिंग एक्‍सपीरियंस अनिवार्य नहीं माना जाएगा (Vice Chancellor Recruitment). किसी भी संबंधित फील्ड में अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड के साथ 10 सालों तक काम करने वाले उम्मीदवार कुलपति की भर्ती के पात्र माने जाएंगे. अभी तक किसी यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर बनने के लिए शिक्षाविद्द के तौर पर 10 साल का कार्यकाल जरूरी था.

असिस्टेंट से एसोसिएट प्रोफेसर पद पर प्रमोशन के लिए उम्मीदवारों के पास पीएचडी की डिग्री होनी चाहिए. इसके बिना किसी भी उम्मीदवार को प्रमोट नहीं किया जाएगा.

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