Last Updated:February 02, 2025, 08:03 IST
पाकिस्तान में बलूच विद्रोहियों के हमलों से गृह युद्ध जैसी स्थिति बन रही है। बलूचिस्तान में 18 अर्धसैनिक और 24 विद्रोही मारे गए। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हमले की निंदा की।
हाइलाइट्स
- बलूच विद्रोहियों के हमलों से पाकिस्तान में गृह युद्ध जैसी स्थिति.
- बलूचिस्तान में 18 अर्धसैनिक और 24 विद्रोही मारे गए.
- प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हमले की निंदा की.
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में आंतरिक कलह जारी है. बलूच विद्रोहियों ने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. विद्रोहियों की हरकत से लग लग रहा है कि पाकिस्तान 1971 की स्थिति की ओर बढ़ रहा है. 1971 में पाकिस्तान के दो फाड़ हुए और बांग्लादेश का जन्म हुआ. दरअसल दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान में दो संबंधित घटनाओं में कम से कम 18 अर्धसैनिक सैनिक और 24 विद्रोही मारे गए हैं. अधिकारियों और स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, क्षेत्र में सांप्रदायिक, जातीय और अलगाववादी हिंसा बढ़ रही है. इससे साफ लग रहा है कि पाकिस्तान में गृह युद्ध जैसी स्थिति बन रही है.
न्यूज एजेंसी AP की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की सेना ने शनिवार को कहा कि लड़ाकों ने बलूचिस्तान के अशांत प्रांत में रात भर सड़क अवरोधक लगाने की कोशिश की, और ज्यादातर मौतें तब हुईं जब सुरक्षा बलों ने उन्हें हटाया. मंगोचार कस्बे के पास “निर्दोष फ्रंटियर कॉर्प्स अर्धसैनिकों को ले जा रहे एक वाहन” पर “70 से 80 सशस्त्र हमलावरों ने गोलीबारी की, जिन्होंने सड़क को अवरुद्ध कर दिया था.”
अधिकारी ने कहा कि तीन अन्य अर्धसैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए जबकि दो सुरक्षित बच निकले. बलूच लिबरेशन आर्मी ने एक बयान में अर्धसैनिकों पर हमले की जिम्मेदारी ली, लेकिन मृतकों की संख्या 17 बताई. कम से कम 12 हमलावरों को शनिवार को सैन्य द्वारा “क्लियरेंस ऑपरेशन्स” के दौरान मार गिराया गया.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बयान में हमले की निंदा की. खनिज संपन्न बलूचिस्तान, जो ईरान और अफगानिस्तान की सीमा से सटा है, दशकों से अलगाववादी बलूच जातीय समूहों के विद्रोह का केंद्र रहा है. कई सशस्त्र समूह भी वहां सक्रिय हैं.
विद्रोहियों का गुट काफी सक्रिय
मंगलवार को, एक अलग घटना में, विस्फोटक से भरे वाहन में हमलावरों को अफगानिस्तान की सीमा के पास एक पाकिस्तानी सुरक्षा चौकी पर हमला करने से रोका गया. जनवरी में, कम से कम छह लोग एक हमले में मारे गए थे, जिसकी जिम्मेदारी भी बीएलए ने ली थी, जो क्षेत्र के मुख्य अलगाववादी समूहों में से एक है. नवंबर में, बीएलए ने समन्वित हमलों का दावा किया था जिसमें कम से कम 39 लोग मारे गए थे, जो क्षेत्र में सबसे अधिक मौतों में से एक है.
अगस्त में, कम से कम 73 लोग बलूचिस्तान में मारे गए थे जब अलगाववादी लड़ाकों ने पुलिस स्टेशनों, रेलवे लाइनों और राजमार्गों पर हमला किया था, और सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की थी. यह हिंसा पाकिस्तान और अफगानिस्तान के तालिबान शासकों के बीच बिगड़ते संबंधों की पृष्ठभूमि में भी हो रही है. हाल के महीनों में पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के हमलों में वृद्धि देखी गई है, जिसमें उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत भी शामिल है. 2024 में ही, सेना ने विभिन्न सीमा क्षेत्र संघर्षों में 383 सैनिकों और 925 लड़ाकों के मारे जाने की सूचना दी है. ये तमाम घटनाएं संकेत दे रहे हैं कि पाकिस्तान काफी अशांत होता जा रहा है.
First Published :
February 02, 2025, 08:03 IST