Agency:News18 Himachal Pradesh
Last Updated:February 01, 2025, 16:56 IST
Union Budget 2025: 2025 का केंद्रीय बजट हिमाचल प्रदेश के बागवानों और किसानों के लिए निराशाजनक साबित हुआ. बागवानों को आयात शुल्क में कोई राहत नहीं मिली, जिससे उनकी उम्मीदें टूट गईं.
केंद्रीय बजट से बागवानों के हाथ लगी निराशा
हाइलाइट्स
- बागवानों को आयात शुल्क में कोई राहत नहीं मिली।
- पीएम किसान सम्मान निधि में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई।
- किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख की गई।
शिमला. 1 फरवरी 2025 को मोदी सरकार का 11वां बजट पेश हुआ. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश किया. हर साल देश के सभी वर्गों को बजट से ढेरों उम्मीदें रहती हैं. क्योंकि यह मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल है, तो इस साल भी लोगों को बजट से बहुत उम्मीदें थीं. बजट से कई लोगों की उम्मीदें पूरी हुई हैं, तो कई लोगों को निराशा हाथ लगी है. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के बागवानों को बजट में क्या मिला है? क्या बागवान बजट से खुश हैं या उनके हाथ निराशा लगी है?
वादे पर खरे नहीं उतरा बजट
फल, फूल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि बजट से बागवानों की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो वादे हिमाचल आकर किए थे, वे बजट में कहीं भी नजर नहीं आए. बागवानों को उम्मीद थी कि विदेश से आने वाले सेब पर आयात शुल्क 100 प्रतिशत तक किया जाएगा, जिससे हिमाचली सेब को बाजार में उचित दाम मिल सके. प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे पर बागवानों को हिमाचल आकर आश्वासन दिया था, लेकिन बजट में इसे लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान
हरीश चौहान ने बताया कि आयात शुल्क न बढ़ने के कारण बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान होगा. साथ ही किसानों को दी जाने वाली पीएम किसान सम्मान निधि में भी कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. किसानों को उम्मीद थी कि इसे 6 हज़ार रुपए से बढ़ाकर 18 हज़ार रुपए प्रति वर्ष किया जाएगा, लेकिन बजट में इस पर भी कोई राहत नहीं मिली. हालांकि, बजट में किसान क्रेडिट कार्ड के तहत मिलने वाले कर्ज की सीमा 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दी गई है, जिससे कुछ किसानों को राहत मिल सकती है. लेकिन किसान लंबे समय से कर्ज माफी की मांग कर रहे थे, जिसे सरकार ने पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है. लोन की सीमा बढ़ाने से सिर्फ कर्ज लेने की प्रवृत्ति बढ़ेगी, जबकि किसानों को कर्ज माफी की आवश्यकता थी. हिमाचल के बागवानों को इससे कोई बड़ी राहत नहीं मिलेगी.
किसान बागवानों के मुद्दों पर विचार विमर्श की मांग
हरीश चौहान ने बताया कि हिमाचल में सेब की फसल के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) पहले लागू थी, लेकिन इसे बहाल करने पर बजट में कोई चर्चा नहीं की गई. इसके अलावा खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों और कीटनाशकों पर लगने वाले GST में भी कोई रियायत नहीं दी गई, जिससे किसानों की लागत बढ़ती रहेगी. पहाड़ी राज्यों के किसानों को खेती के लिए विशेष रियायतें मिलनी चाहिए थीं, लेकिन बजट में उनके लिए कुछ नहीं है. इससे हिमाचल के बागवान बेहद निराश हैं. इस बजट से हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों को कोई विशेष राहत नहीं मिली. उन्होंने आयात शुल्क, कर्ज माफी, किसान सम्मान निधि और GST रियायत जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार से फिर से विचार करने की मांग की.
Location :
Shimla,Himachal Pradesh
First Published :
February 01, 2025, 16:56 IST