Last Updated:February 11, 2025, 14:09 IST
23 Years Girl Died While Dancing: सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक 23 साल की लड़की की डांस करते-करते मौत हो जाती है. आखिर डांस करते-करते लोगों की मौत क्यों हो जाती है. इस बारे में कार्डियोलॉजि...और पढ़ें
![शरारा-शरारा गाने पर डांस करते-करते 23 साल की युवती की मौत, पर बच सकती शरारा-शरारा गाने पर डांस करते-करते 23 साल की युवती की मौत, पर बच सकती](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2025/02/woman-dies-while-dancing-2025-02-f03f68eb6a779987523a1ec2f52c0e9a.jpg?impolicy=website&width=640&height=480)
डांस करते-करते 23 साल की युवती की मौत. @Gurjarrrrr
23 Years Girl Died While Dancing: हार्ट अटैक से संबंधित आपने कई वीडियो देखें होगे जिसमें लोगों की चलते-चलते मौत हो जाती है. लेकिन यह वीडियो बेहद चौंकाने वाला है. इस वीडियो में इंदौर की परिणीता जैन स्टेज पर सरारा-सरारा गाने पर डांस कर रही हैं. डांस करते-करते अचानक वह गिर जाती है और उसकी मौत हो जाती है. यह वाकया कितना दुखद रहा होगा कि इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि वह सिर्फ 23 साल की थी और उसके एक भाई की मौत भी 12 साल में हो गई थी. वह कजिन बहन की शादी में इंदौर से विदिशा आई थीं. इसके बाद शादी का क्या हुआ होगा आप सोच ही सकते हैं. ऐसे कई मामले आते हैं जिसमें लोग जिम करते-करते, चलते-चलते या खड़े-खड़े ही गिर जाते हैं और हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट से मौत हो जाती है. आखिर इसकी वजह क्या है और इसका खतरा किन लोगों में ज्यादा है. इस विषय पर हमने फोर्टिस अस्पताल, नई दिल्ली में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी से बात की.
अगर यह डिवाइस लगा रहता तो बच जाती लड़की की जान
डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि जैसा कि कहा जा रहा है कि उसके एक 12 साल के भाई की मौत भी हार्ट की जटिलताओं के कारण हो गई थी. ऐसे मामलों में माता-पिता में किसी एक में हाइपरट्रोपिक कार्डियोमायोपैथी नाम की यह बीमारी रही होगी. हालांकि जरूरी नहीं कि मां-बाप में हो तभी यह बच्चों में होगी लेकिन यदि मां-बाप को है तो बच्चों में इसके चांसेज ज्यादा रहते हैं. इस केस में यही मामला था. चूंकि लड़की की भाई की मौत हो चुकी थी इसलिए माता-पिता को इसके लिए डॉक्टर से जरूर मिलना चाहिए. क्योंकि अगर एक बच्चे को यह बीमारी है तो यह सभी भाई-बहनों में हो सकती है. इसे वेंट्रिकुलर ट्रैकियोकार्डिया वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन VT VF कहा जाता है. ऐसे मामलों में ईसीजी, इको और होल्टर टेस्ट की जरूरत होती है. होल्टर टेस्ट से यह पता चलता है कि हार्ट में वेंट्रिकुलर एक्टोपिक आ रहा है या नहीं.
डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया वेंट्रिकुलर एक्टोपिक का मतलब है कि हार्ट में इलेक्ट्रिक सिग्नल जिस जगह से शुरू होनी चाहिए, उस जगह से शुरू नहीं हो रही है. इससे धड़कनें तेज हो जाती है. हार्ट बीट 250 से 300 तक पहुंच जाती है. अगर वेंट्रिकुलर एक्टोपिक आ रहा है तो इस कंडीशन में मरीज के हार्ट में एक डिवाइस लगाया जाता है जिसे एआईसीडी- Automatic Implantable Cardioverter Defibrillator-AICD कहा जाता है. जैसे ही हार्ट बीट बहुत ज्यादा हो जाता वैसे ही यह डिवाइस हार्ट बीट को सामान्य कर देता है. इसलिए माता-पिता को निश्चित रूप से ऐसे मामलों में जांच कराना चाहिए. अगर यह डिवाइस लड़की के हार्ट में लगी होती तो संभवतः लड़की की मौत नहीं होती. इसलिए भविष्य में जिस किसी के घर में अचानक मौत हो गई हो उसे ईसीजी, इको और होल्टर टेस्ट हर हाल में कराना चाहिए. यह कहीं भी हो जाता है और हर जगह हो जाता है.
लड़की की मौत का यह था कारण
डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि लड़की की मौत की वजह जो सोशल मीडिया में बताई जा रही है वह कार्डिएक अरेस्ट है. उसे पहले से ही हार्ट की जेनेटिक बीमारी थी. इसे हाइपरट्रोपिक कार्डियोमायोपैथी hypertrophic cardiomyopathy कहा जाता है. इस बीमारी में हार्ट का निचला चैंबर वाले वेंट्रिकल्स की दीवाल मोटी हो जाती है. इससे हार्ट बीट बढ़ जाती है. जब यह दीवाल बहुत ज्यादा मोटी हो जाती है तो वह उस पूरे चैंबर को घेर लेती है जिसके कारण इस चैंबर से खून को पंप करना मुश्किल हो जाता है. जब यह ऐसे ही होता रहता है तो एक दिन दीवाल मोटी होती-होती चैंबर को ही ब्लॉक कर देती है जिसके बाद खून कहीं पहुंच ही नहीं पाता. लेकिन इस अचानक मौत से उसे बचाया जा सकता था.
एक नहीं कई कारण
जब चलते-फिरते लोगों की अचानक हार्ट अटैक से मौत हो जाती है तो इसका सबसे बड़ा कारण हाई कोलेस्ट्रॉल है. डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि ऐसे अधिकांश मामलों के लिए हाई कोलेस्ट्रॉल जिम्मेदार होता है जिसका शरीर में पहले से कोई लक्षण नहीं दिखता. इसमें खून में कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है. कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने से यह आर्टरीज में प्लैक (गंदा चिपचिपा फैट) को जमा करने लगता है जिससे आर्टरीज पतली हो जाती है और खून के प्रवाह को कम कर देती है. इसका पता नहीं चलता लेकिन कभी-कभी अचानक आर्टरीज से यह प्लैक फट जाती है जिससे हार्ट को खून पहुंचाने वाली नली का रास्ता रूक जाता है और इससे खून हार्ट में नहीं पहुंचता. जब खून नहीं पहुंचेगा तो हार्ट पंप नहीं करेगा और अचानक हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट आ जाएगा. हाई कोलेस्ट्रॉल के अलावा भी कई तरह की अन्य परेशानियों से भी अचानक हार्ट अटैक आ सकता है. लॉन्ग क्यू टी सिंड्रोम, कुछ जेनेटिक बीमारियां, सोडियम, पौटैशियम के चैनल्स में गड़बड़ियां आदि भी सडेन कार्डिएक अरेस्ट के कारण हो सकते हैं.
इससे बचे कैसे
डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी कहते हैं कि इससे बचने का तरीका है कि आप नियमित रूप से हार्ट से संबंधित जांच कराते रहें. साल में एक बार लिपिड प्रोफाइल टेस्ट जरूर कराएं. अगर हार्ट की जटिलताएं हैं या परिवार में किसी को पहले से हार्ट से संबंधित बीमारियां हैं तो हर हाल में जांच कराते रहें. वहीं हार्ट की परेशानी न हो, इसके लिए हेल्दी डाइट जैसे कि साबुत अनाज से बनी चीजें, हरी पत्तीदार सब्जियां, ताजे फल, सीड्स आदि का सेवन करें. तनाव से दूर रहें, पर्याप्त नींद लें और पर्याप्त पानी पिएं.
First Published :
February 11, 2025, 14:09 IST