दुनिया में हर धर्म के लोग अपने धार्मिक स्थल जाते हैं. चाहे वह मंदिर हो मस्जिद हो या फिर चर्च हो, लोग ईश्वर तक अपनी समस्याओं को पहुंचाने और उसका समाधान लेने जरूर जाते हैं. प्रार्थनाओं के तरीके अलग अलग होते हैं, पर लोग अपने ईश्वर, खुदा या गॉड से कुछ ना कुछ मांगते जरूर पाए जाते हैं. ईसाई धर्म के चर्च में तो लोग एक खास बक्से में जा कर ईश्वर से बात करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांग कर उनसे बात तक करते हैं. कई जगह चर्च के फादर ईश्वर के प्रतिनिधि को तौर पर लोगों से बात करते हैं. पर एक पुराना और मशहूर चर्च है जहां आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की मदद से “जीजस” को ऐसे तैयार कर लिया गया है कि वे 100 भाषाओं में लोगों की बात सुन सकेंगे.
एआई तकनीक का किया गया इस्तेमाल
जी हां, यह खास प्रजोक्ट स्विट्जरलैंड के एक चर्च में लाया गया है जहां एआई से बने जीजस 100 भाषाओं में लोगों के कन्फेशन सुन पाएंगे और धर्म के मुताबिक उनके जवाब भी दे पाएंगे. स्विस शहर ल्यूसर्न के सबसे पुराने चर्च, सेंट पीटर चैपल में पुजारी के स्थान पर कन्फेशनल बूथ में एआई-संचालित कंप्यूटर लगाया गया है.
खास प्रयोग का हिस्सा
इस प्रोजेक्ट को “देवस इन मशीना” नाम दिया गया है, जो इमर्सिव रियलिटी पर एक स्थानीय विश्वविद्यालय के साथ सहयोग का हिस्सा है. ,” द गार्जियन ने चर्च के मार्को श्मिड के हवाले से कहा, “हम देखना और समझना चाहते थे कि लोग एआई जीसस पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं. वे उसके साथ किस बारे में बात करेंगे? क्या उससे बात करने में कोई दिलचस्पी होगी? हम शायद इस मामले में आगे हैं.
लोग चर्च के कन्फेशन बॉक्स में खास तौर से अपने गुनाह कबूल करने और धार्मिक मार्गदर्शन आते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
कौन सुनेगा, पादरी या खुद जीजस?
श्मिड के जीजस के होलोग्राम का फैसला आसान नहीं था. उन्होंने इसकी खूब चर्चा की कि कन्फेशनल बूथ श्रोता को कौन सा अवतार दिया जाना चाहिए. बाद में उन्होंने खुद जीसस पर ध्यान केंद्रित किया. फिलहाल बूथ में इस तरह के कन्फेशन चर्च के पादरी ही करते हैं. जबकि इस प्रोजेक्ट में लोगों को एक तरह से सीधे जीजस से बात करने जैसा अनुभव मिल रहा है.
इंसानों की तरह होती है बातचीत
खास बात ये है कि यह कम्प्यूटर ईसाई धर्मशास्त्र में प्रशिक्षित है और स्क्रीन पर जीजस का होलोग्राम दिखता है जो सवालों के जवाब देता है. यह छवि पादरी की तरह पहले यह कहती है कि कि कोई भी व्यक्तिगत जानकारी साझा न की जाए, और ‘सहमत’ बटन दबाने के बाद, उपासक अपनी चिंताएं साझा कर सकते हैं.
अभी तक का अनुभव बताता है कि यह प्रयोग बहुत से लोगों को अच्छा लग रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
क्या दूसरे चर्चों में होने लगेगा ऐसा?
अगस्त में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट 27 नवंबर को खत्म होगा जिसके बाद इसके नतीजों का विश्लेषण होगा. श्मिड के अलावा, AI प्रोग्राम को होच्स्चुले लुज़र्न के इमर्सिव रियलिटीज़ सेंटर के फिलिप हसलबाउर और अलजोसा स्मोलिक ने विकसित किया था. यह अभी तय नहीं है कि इस प्रोजोक्ट को दूसरे चर्चों पर लागू किया जाएगा या नहीं.
गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन और वियतनाम के पर्यटकों के साथ-साथ मुसलमानों सहित 1,000 से अधिक लोगों ने जीसस से ‘बात’ की. और श्मिड के अनुसार, उनमें से दो-तिहाई ने महसूस किया कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव था. उन्होंने बताया,”तो हम कह सकते हैं कि इस AI जीसस के साथ उनके पास धार्मिक रूप से सकारात्मक क्षण थे. मेरे लिए, यह आश्चर्यजनक था,” . लेकिन कुछ ऐसे भी थे जिन्हें लगा कि बातचीत यांत्रिक थी.
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साफ है कि इस तरह के परियोजना कई सवाल उठाएगी. पहले तो क्या एआई का इस तरह से धार्मिक उपयोग उचित है? दूसरा सवाल ये है कि क्या पादरी की जगह एआई वाले पादरी या जीजस को कन्फेशन बॉक्स में बैठना उचित और मानवीय होगा? शायद इन सवालों के जवाब अभी देना जल्दबाजी हो, लेकिन ये सवाल देर सबेर उठेंगे जरूर!
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FIRST PUBLISHED :
November 22, 2024, 19:29 IST