Purva Phalguni Nakshatra : पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र को पूर्वा षाढ़ा नक्षत्र भी कहा जाता है. पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के जातकों को बुद्धि और आत्मविश्वास दोनों प्राप्त होते हैं. ऐसे व्यक्ति भाग्यशाली और सम्मानित व्यक्ति होते हैं, जिनका समाज में हर कोई अनुसरण करना चाहता है. इस नक्षत्र का प्रतिनिधित्व शुक्र देवता करते हैं. ऐसे व्यक्ति को परिवार के सभी लोग मुखिया की भूमिका में देखते हैं. ऐसे जातकों में नेतृत्व क्षमता बचपन से ही होती है. इन्हें अनुशासन में रहना पसंद है तथा दूसरों से भी अनुशासन की अपेक्षा करते हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक स्वभाव से चंचल एवं त्यागी होगा. इस नक्षत्र में जन्में जातक मनमोहक छवि और मीठा बोलनेवाले होते हैं. इस नक्षत्र में जन्मी स्त्री सौम्य स्वभाव की होती हैं. दूसरों की मदद और दान करना उनके विशेष गुण है. इस नक्षत्र की महिलाएं अच्छी गृहिणी होती हैं.
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र का व्यक्तित्व: पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति के जीवन में प्रेम का विशेष महत्व है, इसे ही जीवन का आधार मानते हैं. विपरीत लिंग के व्यक्ति के प्रति इनमें काफी आकर्षण रहता. अपने प्रेम प्रसंग के कारण चर्चा में रहते हैं. बारह आदित्यों में से भग को इस नक्षत्र का अधिपति माना जाता है. भग और शुक्र दोनों ही भौतिक सुख और वैभव का प्रतीक माने जाते हैं. यही कारण है कि पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति अधिक से अधिक भौतिक सुख-सुविधाएं पाने की कोशिश करते हैं.
इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति कला और साहित्य में भी रूचि रखते हैं. आराम करना इन्हें बहुत पसंद होता है. आमतौर पर यह आराम पूर्वक अपना काम करना पसंद करते हैं. इनका सामाजिक दायरा बड़ा होता है क्योंकि नए-नए लोगों से दोस्ती करने का इन्हें शौक रहता है.
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मीं महिलाएं काफी शौकीन होती हैं. इन्हें सजना-संवराना और अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना बहुत पसंद होता है. आमतौर पर यह खूबसूरत होती भी हैं लेकिन इनके अंदर अहं का भाव होता है. स्वभाव में चंचलता इनके व्यक्तित्व की एक बड़ी विशेषता होती है.
इस नक्षत्र के व्यक्ति माता-पिता की ओर से कोई लाभ प्राप्त नहीं करते, लेकिन भाई-बहनों से पूर्ण सहयोग और लाभ मिलने की संभावनाएं रहती हैं. विवाह में विलंब होने के बावजूद वैवाहिक जीवन सुखी रहता है. इन जातकों की संतान प्रतिभाशाली और प्रतिष्ठा बढ़ानेवाली होती है. इस नक्षत्र के चारों चरणों के अलग-अलग प्रभाव होते हैं.
प्रथम चरण: इस चरण का स्वामी सूर्य है. इस चरण में जन्मा जातक मीठा बोलनेवाला एवं सुंदर होता है. ऐसा व्यक्ति सर्वगुणसंपन्न और समर्थ होता है. मंगल की दशा में जातक का भाग्योदय होता है.
द्वितीय चरण: इस चरण के स्वामी बुध देव हैं. बुध के प्रभाव के कारण जातक वेद शास्त्रों का ज्ञाता होता है. सूर्य की दशा जातक के लिए स्वास्थ्यवर्धक होती है तथा मंगल की दशा, अंतर्दशा में जातक का भाग्योदय होता है. बुध की दशा में धन प्राप्ति के योग बनते हैं.
तृतीय चरण: इस चरण का स्वामी शुक्र है. इस नक्षत्र के तृतीय चरण में जन्मा व्यक्ति क्रूर होगा. सूर्य की दशा जातक के लिए स्वास्थ्यवर्धक होगी तथा मंगल की दशा, अंतर्दशा में जातक का भाग्योदय होगा. बुध की दशा में धन प्राप्ति के योग बनेंगे.
चतुर्थ चरण: इस चरण के स्वामी मंगल देव हैं. मंगल शुक्र देव के शत्रु एवं क्रूर ग्रह हैं. अत इस चरण में जन्में जातक की आयु अधिक नहीं होती. सूर्य की दशा मध्य फल देगी एवं मंगल की दशा में जातक का भाग्योदय होगा.
पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के लिए व्यवसाय : पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र वाले, किसी के अधीन कार्य करना पसंद नहीं करते इसलिए वरिष्ठों की जवाबदेही वाले कार्यक्षेत्र, इनके लिए अच्छा विकल्प नहीं होते और नौकरी से ज्यादा व्यवसाय करना लाभकारी रहता है. इस नक्षत्र का आत्मविश्वास और रचनात्मकता नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए उपयुक्त बनाती है. इस नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए अभिनय, संगीतकार, कलाकार या मॉडल, उद्यमी, कार्यकारी या प्रबंधक,शिक्षक, प्रोफेसर, निजी प्रशिक्षक, चिकित्सक, परामर्शदाता, फैशन, सौंदर्य प्रसाधन, फोटोग्राफी, या विवाह उद्योग जैसे क्षेत्र उपयुक्त होते हैं.
इन लोगों को ऑफिस में सामूहिक जिम्मेदारी वाले कार्यों की जगह एकल जिम्मेदारी वाले कार्य करने चाहिए क्योंकि यह अकेले ही, बड़ी जिम्मेदारियां निभाने में निपुण होते हैं. इसके अलावा, स्वाभाविक रूप से नेतृत्व गुणों के चलते, ये लोग प्रबंधक और प्राधिकरण में उच्च पद पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं. साथ ही सामाजिक लोक कल्याण में संग में रहते हैं
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र संबंधी उपाय:
- धन और प्रचुरता की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से, बाधाओं को दूर करके समृद्धि और प्रचुरता पाने में मदद मिलती है.
- इस नक्षत्र से संबंधित सूर्य को जल अर्पित करने से, सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.
- पीले रंग के वस्त्र धारण करने से भी इस नक्षत्र की ऊर्जा में सक्रियता आती है और सफलता व सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
- नियमित रूप से अन्न का दान करने से सकारात्मकता के साथ ही, इस नक्षत्र से जुड़े देवताओं की कृपा बनी रहती है.
- प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भी, इस नक्षत्र के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है.
- इस नक्षत्र से संबंधित वैदिक मंत्रों का जाप करने से, नक्षत्र की ऊर्जा को सक्रिय करने में मदद मिलती है.
Tags: Astrology, Dharma Aastha
FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 10:16 IST