Agency:Local18
Last Updated:February 04, 2025, 23:48 IST
No crows village: महाराष्ट्र के अमरावती जिले का देऊरवाड़ा गांव अनोखी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है. यहां न कभी कवेलू का उपयोग हुआ, न ही कौवे दिखते हैं.
क्या आपने कभी सुना है कि कोई गांव ऐसा भी हो सकता है, जहां कभी किसी घर की छत पर कवेलू न दिखे? या फिर जहां कौवे तक नहीं आते? यह सुनने में अजीब लगता है, लेकिन महाराष्ट्र के अमरावती जिले में एक ऐसा ही गांव मौजूद है, जिसका नाम है देऊरवाड़ा. यह गांव अपनी अनोखी परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं की वजह से बहुत प्रसिद्ध है. यहां के लोग आज भी कवेलू का उपयोग नहीं करते और इसे एक बड़ी आस्था से जोड़कर देखते हैं.
गांव की अनोखी परंपरा
अतीत में भारत के अधिकतर गांवों में घरों की छतों पर कवेलू और छप्पर का उपयोग किया जाता था. ये मजबूत और टिकाऊ होते थे, जिससे घर ठंडे और सुरक्षित रहते थे. लेकिन अमरावती जिले के चांदुर बाजार तालुका के देऊरवाड़ा गांव में कवेलू का उपयोग कभी नहीं किया गया. यह गांव ‘देवाच वाड़ा’ के नाम से भी जाना जाता है. यहां के लोग भगवान नरसिंह की आस्था में इतने डूबे हैं कि उन्होंने कवेलू को अपने घरों की छत से हमेशा के लिए दूर रखा है.
देऊरवाड़ा में कवेलू क्यों नहीं?
गांव के बुजुर्गों के अनुसार, इसके पीछे एक पुरानी धार्मिक मान्यता है. इस गांव में भगवान नरसिंह की एक स्वयं निर्मित मूर्ति स्थापित है, जिसे लोग बहुत श्रद्धा से पूजते हैं. मान्यता है कि भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह ने अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यप का वध किया था. इसके बाद उनके नाखूनों में सूजन आ गई. वे इस दर्द को शांत करने के लिए इधर-उधर भटके, और अंततः पयोष्णी नदी के तट पर आकर रुके.
करशुद्धि तीर्थ का महत्वगांव में मौजूद
करशुद्धि तीर्थ एक ऐसा स्थान है, जहां नरसिंह भगवान ने अपने नाखूनों को पयोष्णी नदी में डुबोया था. ऐसा करने से उनके नाखूनों की सूजन कम हो गई. तभी से इस स्थान को पवित्र माना जाता है और लोग यहां नरसिंह भगवान की पूजा करने आते हैं. गांव वालों का मानना है कि चूंकि कवेलू का आकार भगवान नरसिंह के नाखूनों से मिलता-जुलता है, इसलिए वे इसका उपयोग नहीं करते.
गांव में कौवे क्यों नहीं आते?
इस गांव की एक और दिलचस्प बात यह है कि यहां कभी कोई कौवा नजर नहीं आता. यह बात वैज्ञानिक नजरिए से अजीब लगती है, लेकिन ग्रामीणों का मानना है कि भगवान नरसिंह की शक्ति और आशीर्वाद के कारण यहां कौवे नहीं आते. वर्षों से चली आ रही यह परंपरा गांव को एक रहस्यमयी पहचान भी दिलाती है.
Location :
Amravati,Maharashtra
First Published :
February 04, 2025, 23:48 IST