इजरायल ने दो मोर्चे तो खोल लिए, क्या झेल पाएगा, क्योंकि हिजबुल्लाह हमास नहीं

2 hours ago 1

हाइलाइट्स

इजरायली सेना अब थकने लगी है और दबाव में भी आ रही हैदो मोर्चा पर लंबी लड़ाई इजरायल के लिए भी मुश्किल होगीइजरायल की अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट, उसकी क्रेडिट रेटिंग गिरी

करीब एक साल पहले इजरायल ने गाजा में हमास के खिलाफ मोर्चा खोला था. जंग का ऐलान कर दिया था. तब से वहां जंग चल रही है. साथ ही साथ लेबनान की सीमा पर छिटपुट हिजबुल्लाह के साथ भी गोलाबारी जारी थी. पिछले हफ्ते हिजबुल्लाह के सैकड़ों पेजर्स में विस्फोट और 30 से ज्यादा लोगों के मरने के बाद हालात विस्फोटक हो गए. अब पिछले तीन दिनों से इजरायल ने दक्षिण लेबनान को रॉकेट और मिसाइल्स की मार से पाट दिया है. एक तरह से उसने हिजबुल्लाह के खिलाफ जंग शुरू कर दी है.

पहले तो हमास के खिलाफ लड़ाई से ही इजरायली सेना पर दबाव में थी. सैनिकों को बहुत कम राहत मिल रही थी. अधिकारी सेना की कमी का हवाला दे रहे थे. इजरायल की अर्थव्यवस्था वर्षों में सबसे तेज गिरावट का सामना कर रही है. इजरायल की जनता युद्ध विराम और बंधक समझौते के लिए दबाव बना रही थी. जनता की नाराजगी रैलियों के जरिए नजर आ रही थी. ऐसे में इजरायल ने दूसरा मोर्चा हिजबुल्लाह के खिलाफ भी खोल दिया है. क्या वाकई वो इसे झेल पाएगा, क्योंकि हिजबुल्ला के बारे में कहा जाता है कि वो हमास की तुलना में कहीं ज्यादा ताकतवर है.

क्या इजरायल दोनों मोर्चे एक साथ संभाल सकता है
सीएनएन की रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि यदि इजरायल हिजबुल्लाह के साथ पूर्ण युद्ध में उतरता है, तो उसे हमास की तुलना में कहीं अधिक मजबूत खतरे का सामना करना पड़ेगा. इसकी उचित कीमत भी चुकानी पड़ेगी.

अमेरिका के लास एंजल्स में इजरायल के साउथ लेबनान हमलों के खिलाफ पदर्शन. प्रदर्शनकारी इजरालय के हमलों का विरोध कर रहे हैं.

तेल अवीव में इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज (आईएनएसएस) के सीनियर रिसर्च फैलो योएल गुज़ांस्की ने कहा, “हिजबुल्लाह हमास नहीं है.वो एक देश के भीतर एक देश है. उसके पास कहीं अधिक परिष्कृत सैन्य क्षमताएं हैं.

दोनों ओर से हजारों लोग सीमा पर अपने घर छोड़ चुके हैं
इज़रायली मीडिया के अनुसार, पिछले एक साल में सीमा पार से होने वाले आदान-प्रदान के कारण इज़रायल के उत्तरी भाग में 62,000 से ज़्यादा लोगों को अपने घरों से निकाला जा चुका है. 26 इज़रायली नागरिकों और 22 सैनिकों और रिजर्व सैनिकों की मौत हो चुकी है. रॉयटर्स के अनुसार, सप्ताहांत में होने वाले तनाव से पहले, लेबनान की तरफ़ से 94,000 से ज़्यादा लोग विस्थापित हो चुके थे. 740 से ज़्यादा लोग मारे गए. जिनमें 500 हिज़्बुल्लाह लड़ाके भी शामिल थे. लेबनानी अधिकारियों के अनुसार, सोमवार से ही इज़रायली हमलों में कम से कम 558 लोग मारे गए. 16,500 लोग विस्थापित हुए.

हिजबुल्लाह के साथ इजरायल की मुख्य चुनौतियां
एक मजबूत दुश्मन
ईरान के सबसे करीबी क्षेत्रीय साझीदार शिया इस्लामिस्ट समूह हिजबुल्लाह ने पिछले वर्ष न केवल अधिक परिष्कृत हथियारों का प्रदर्शन किया बल्कि इराक और यमन सहित मध्य पूर्व में अपने सहयोगियों और साझीदारों के माध्यम से अपनी जबरदस्त ताकत भी दिखाई.

2006 में लेबनान में हुए अंतिम युद्ध के बाद से इजरायल की सैन्य क्षमताओं में सुधार हुआ है. तब यहूदी देश के पास आयरन डोम रक्षा प्रणाली नहीं थी. वहीं हिजबुल्लाह के शस्त्रागार और ताकत दोनों बढ़ी है.

इजरायल की आयरन डोम एयर डिफेंस 24 सितंबर को साउथ लेबनान से उत्तरी इजरायल की ओर दागे गए रॉकेट्स के अटैक को निष्क्रिय करने के लिए इंटरसेप्ट रॉकेट फायर करता हुआ. (AP Photo/Ohad Zwigenberg)

सैन्य विश्लेषकों का अनुमान है कि हिजबुल्लाह के पास 30,000 से 50,000 सैनिक हैं. हालांकि साल की शुरुआत में इसके नेता हसन नसरल्लाह ने दावा किया था कि उसके पास 100,000 से ज़्यादा लड़ाके और रिज़र्व सैनिक हैं. माना जाता है कि इस समूह के पास 120,000 से 200,000 रॉकेट और मिसाइलें भी हैं.

उसके पास लंबी दूरी की मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल हैं, जो हजारों की संख्या में हैं, ये 300 किलोमीटर तक सटीक मार कर सकती हैं. ये हिजबुल्लाह की बड़ी ताकत हैं. अगर इजरायल दो मोर्चों पर युद्ध लड़ता है तो निश्चित तौर पर अमेरिकी मदद की जरूरत होगी. जो शायद उसे मिल भी जाएगी. उसे अमेरिका से गोला-बारूद चाहिए होगा. अलबत्ता इजरायल की खुफिया व्यवस्था बहुत मजबूत है, जो उसने समय समय पर दिखा दिया है.

सैन्य विस्तार
इजराइल एक छोटा सा देश है. इसकी सैन्य शक्ति असीमित नहीं है. अगर ये दूसरे मोर्चे को पूरी ताकत से खोलता है तो आईडीएफ की कुछ प्रमुख डिविजनों को गाजा से हटाकर उत्तरी सीमा पर भेजना होगा, जो ये कर रहा है लेकिन इसी समय अगर हमास ने भी अपनी बची-खुची ताकत से गाजा में हमले किए तो मुश्किल बढ़ेगी. इन इकाइयों में इज़रायल की कुलीन 98वीं डिवीज़न भी शामिल है. इज़रायली मीडिया के अनुसार, इस पैराट्रूपर डिवीज़न को उत्ज़बत हाएश के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें 10,000 से 20,000 सैनिक शामिल हैं.
हालांकि इज़रायली मीडिया में बार बार कहा जा रहा है कि आईडीएफ कमी से जूझ रहा है. उसके पास सैनिकों की कमी है. गाजा की लड़ाई में खुद उसके काफी सैनिक मारे गए. अगर इजरायल दूसरे मोर्चे पर लंबी लड़ाई में उलझा तो कमजोर होगा.

अर्थव्यवस्था में गिरावट
गाजा में युद्ध के कारण इजरायल की अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जिसे 7 अक्टूबर के हमले के शुरुआती दिनों से ही गहरा झटका लगा है. हजारों व्यवसायों को नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि रिजर्व सैनिकों ने अपने नागरिक जीवन को छोड़कर हथियार उठा लिए. देश की अर्थव्यवस्था खतरनाक दर से सिकुड़ रही है. यह इज़रायली अर्थव्यवस्था और इज़रायली समाज के लिए विनाशकारी है. इसका प्रभाव आने वाले कई वर्षों तक बना रहेगा.

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने अपनी तिमाही रिपोर्ट में कहा है कि इस वर्ष अप्रैल से जून के बीच इजरायल में सबसे तीव्र आर्थिक मंदी देखी गई. ओईसीडी के आंकड़ों के अनुसार, युद्ध के शुरुआती महीनों में इजरायल की अर्थव्यवस्था में 4.1% की गिरावट आई.

अर्थव्यवस्था में गिरावट तब देखने को मिल रही है जब इज़रायल का सैन्य खर्च आसमान छू रहा है. इस साल की शुरुआत में इज़रायल के केंद्रीय बैंक के गवर्नर अमीर यारोन ने चेतावनी दी थी कि युद्ध की वजह से इज़रायल को 2023 से 2025 के बीच 253 बिलियन इज़रायली शेकेल (67 बिलियन डॉलर) तक का नुकसान होने की उम्मीद है. संघर्ष ने इजरायल की क्रेडिट रेटिंग को भी प्रभावित किया है, जिससे कर्ज लेना अधिक महंगा हो गया है. युद्ध शुरू होने के बाद से कई रेटिंग एजेंसियों ने देश की रेटिंग घटा दी है.

इजरायल के खिलाफ वैश्विक आलोचना
जिस तरह इजरायल ने पेजर्स के जरिए हिजबुल्लाह और साउथ लेबनान में सैकड़ों विस्फोट किए. फिर रॉकेट और मिसाइल्स के हमलों से उसे पाट दिया, उससे लगातार बेगुनाहों की जान जा रही है. अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार, इजरायल के ये काम युद्ध अपराध की श्रेणी में आते हैं, अब उसकी आलोचना वैश्विक तौर पर बढ़ रही है.अब उसे अंतर्राष्ट्रीय न्यायालयों में युद्ध अपराध और नरसंहार के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. खुद घरेलू मोर्च पर इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू को ले्कर नाराजगी बढ़ रही है. सर्वेक्षणों से पता चलता है कि पिछले महीनों में घरेलू समर्थन कम हो गया है.

खुद इजरायली अब नाराजगी जाहिर करने लगे हैं
जुलाई में इजरायल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट थिंक टैंक द्वारा प्रकाशित एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 42% इजरायली सोचते हैं कि उनके देश को भविष्य में अतिरिक्त संघर्ष की संभावनाओं के बावजूद हिजबुल्लाह के साथ एक कूटनीतिक समझौता करना चाहिए, जबकि 38% का मानना ​​है कि इजरायल को समूह के खिलाफ सैन्य जीत हासिल करनी चाहिए, भले ही नागरिक क्षेत्रों को काफी नुकसान क्यों न उठाना पड़े.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि मतभेद के बावजूद, 2023 के अंत में मिलने वाली प्रतिक्रियाओं की तुलना में अब हिजबुल्लाह के साथ युद्ध के लिए कम समर्थन है.

Tags: Israel, Israel aerial strikes

FIRST PUBLISHED :

September 25, 2024, 12:04 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article