Last Updated:February 11, 2025, 13:07 IST
अमेरिका द्वारा स्टील आयात पर 25% टैरिफ लगाने से भारतीय स्टील इंडस्ट्री को बेशक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. चीन जैसे देश अपने सस्ते स्टील को भारत में डंप कर सकते हैं. हालांकि इससे भारत में मैन्युफैक्चिरिंग, ...और पढ़ें
![इतना बुरा भी नहीं स्टील पर ट्रंप टैरिफ, भारत में सस्ते हो जाएंगे मकान व गाड़ी! इतना बुरा भी नहीं स्टील पर ट्रंप टैरिफ, भारत में सस्ते हो जाएंगे मकान व गाड़ी!](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2025/02/steel-2025-02-8b99e11e34355d7f32cfb3ed12ab2686.jpg?impolicy=website&width=640&height=480)
अमेरिका ने हाल ही में स्टील और एल्युमिनियम आयात पर 25% का टैरिफ लगाने की घोषणा की है. यह कदम अमेरिकी स्टील उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है, ताकि घरेलू मांग और सेल वैल्यू में वृद्धि हो सके. हालांकि, इसका असर अन्य स्टील उत्पादक देशों, जैसे कि भारत, पर भी पड़ सकता है. अमेरिका में स्टील निर्यात कम होने से चीन जैसे देश अपने स्टील को भारत जैसे बाजारों में डंप कर सकते हैं. यह स्थिति भारतीय स्टील इंडस्ट्री के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन साथ ही कुछ क्षेत्रों के लिए यह फायदेमंद भी साबित हो सकती है.
भारत में स्टील इंडस्ट्री एक महत्वपूर्ण आर्थिक स्तंभ है. देश के प्रमुख स्टील उत्पादक जैसे टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) को इस नई नीति से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. चीन से सस्ते स्टील के भारत में आने से घरेलू उत्पादकों के मुनाफे पर दबाव बढ़ सकता है. स्टील की कीमतें गिरने से उनकी आय में कमी आ सकती है, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धा क्षमता प्रभावित हो सकती है.
हालांकि, भारत सरकार ने ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए पहले भी सुरक्षात्मक उपाय किए हैं. 2018 में जब अमेरिका ने स्टील इम्पोर्ट पर टैरिफ लगाया था, तब भारत ने भी स्टील इम्पोर्ट पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी (Anti-dumping duty) लगाई थी. इस बार भी सरकार ऐसे कदम उठा सकती है ताकि घरेलू उत्पादकों को संरक्षण मिल सके.
स्टील इम्पोर्ट पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी क्या है?
एंटी-डंपिंग ड्यूटी एक विशेष टैक्स होता है, जिसे किसी देश की सरकार तब लगाती है जब कोई विदेशी कंपनी अपनी वस्तुओं को बहुत कम कीमत पर निर्यात करती है, जिससे घरेलू उद्योगों को नुकसान होता है. चीन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देश कभी-कभी अपनी अतिरिक्त स्टील उत्पादन क्षमता के कारण भारत में सस्ते दामों पर स्टील बेचते हैं. यह कीमत उत्पादन लागत से भी कम होती है.
भारत के संदर्भ में बात करें तो इससे भारतीय स्टील निर्माता जैसे टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, सेल (SAIL) आदि को नुकसान होता है, क्योंकि वे इतने कम दाम पर स्टील नहीं बेच सकते. घरेलू स्टील कंपनियों को बचाने के लिए भारत सरकार एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाती है, जिससे विदेशी कंपनियां भारत में स्टील को बहुत सस्ते में नहीं बेच सकतीं.
भारत में 2016 में चीन, जापान, कोरिया, रूस से सस्ते स्टील के आयात को रोकने के लिए 5 साल के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई गई थी. उसके बाद 2021 में सरकार ने कुछ स्टील उत्पादों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी हटाई, जिससे ऑटोमोबाइल और कंस्ट्रक्शन सेक्टर को फायदा मिला. 2023 में चीन से आने वाले स्टेनलेस स्टील पर फिर से एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई गई थी.
सस्ते स्टील से भारत में किन्हें होगा फायदा?
जहां एक ओर स्टील उत्पादकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, वहीं दूसरी ओर स्टील का उपयोग करने वाले कई क्षेत्रों को इस स्थिति से फायदा हो सकता है. सस्ते स्टील से उनकी उत्पादन लागत कम होगी, जिससे वे अपने उत्पादों को और सस्ते दामों पर बाजार में उतार सकते हैं.
इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र: सड़कों, पुलों, रेलवे और मेट्रो नेटवर्क जैसे बड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए एक प्रमुख कच्चा माल स्टील है. स्टील की कीमतें कम होने से इन परियोजनाओं की लागत में कमी आएगी, जिससे सरकारी योजनाएं तेजी से पूरी हो सकेंगी. सस्ते स्टील से आवासीय परियोजनाओं की लागत भी कम होगी, जिससे आम लोगों को सस्ते घर मिल सकेंगे.
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री: कारों के निर्माण में स्टील का बड़ा योगदान होता है. कार बॉडी, चेसिस और इंजन कंपोनेंट्स के लिए स्टील की आवश्यकता होती है. स्टील की कीमतें कम होने से टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी और महिंद्रा जैसी कंपनियों को लाभ होगा. इससे वाहनों की कीमतें कम हो सकती हैं, जिससे ग्राहकों को फायदा मिलेगा.
रियल एस्टेट और आवासीय प्रोजेक्ट: ऊंची इमारतों, कमर्शियल स्पेस और आवासीय परियोजनाओं में स्टील का व्यापक उपयोग होता है. स्टील की कीमतें कम होने से निर्माण लागत में कमी आएगी, जिससे डेवलपर्स को फायदा होगा. इससे आवासीय परियोजनाएं सस्ती होंगी और आम लोगों को सस्ते घर मिल सकेंगे.
इंजीनियरिंग और कैपिटल गुड्स सेक्टर: मशीनरी और उपकरण निर्माण में स्टील का बड़ा योगदान होता है. स्टील की कीमतें कम होने से एलएंडटी, भेल और सीमेंस इंडिया जैसी कंपनियों को लाभ होगा. इससे इंडस्ट्री को सस्ते उपकरण मिलेंगे, जिससे उत्पादन लागत कम होगी.
रेलवे और मेट्रो परियोजनाएं: भारतीय रेलवे और मेट्रो परियोजनाओं के लिए स्टील एक महत्वपूर्ण कच्चा माल है. स्टील की कीमतें कम होने से रेलवे कोच और नई रेलवे परियोजनाओं की लागत में कमी आएगी. इससे सरकारी योजनाएं तेजी से पूरी हो सकेंगी.
Location :
New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
February 11, 2025, 13:07 IST