ये प्लेटफॉर्म बना वरदान! महिलाओं की मेहनत लाई रंग, आमदनी 20 गुना तक बढ़ी

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Agency:News18 Himachal Pradesh

Last Updated:February 11, 2025, 18:25 IST

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई हिमइरा वेबसाइट प्रदेश की महिलाओं के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का जरिया बनी है. पहले महिलाएं अपने उत्पाद सिर्फ सरकारी मेलों में बेच पाती थीं, लेकिन अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से देशभर ...और पढ़ें

ये प्लेटफॉर्म बना वरदान! महिलाओं की मेहनत लाई रंग, आमदनी 20 गुना तक बढ़ी

एक हजार से 20 हजार रुपए हुई मासिक आय, प्रदेश की महिलाओं ने किया सरकार का धन्यवाद

हाइलाइट्स

  • हिमइरा वेबसाइट से महिलाओं को ऑनलाइन बाजार मिला.
  • पहले सिर्फ सरकारी मेलों में ही बिक्री होती थी.
  • अब देशभर से ऑर्डर मिलने लगे हैं.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में 44,000 स्वयं सहायता समूहों से करीब 3 लाख महिलाएं जुड़ी हुई हैं. पहले ये महिलाएं अपने उत्पाद केवल सरकारी मेलों और विशेष आयोजनों में ही बेच पाती थीं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 3 जनवरी 2025 को महिलाओं के उत्पादों को ऑनलाइन बाजार देने के लिए हिमइरा वेबसाइट की शुरुआत की. इस पहल से महिलाओं को देशभर से ऑर्डर मिलने लगे हैं और उनकी बिक्री में काफी बढ़ोतरी हुई है.

महिलाओं को अब तक 1,000 से अधिक ऑर्डर मिल चुके हैं, जिन्हें सफलतापूर्वक डिलीवर किया गया है. सरकार की इस पहल को महिलाओं ने बेहद सराहा है, जिससे उन्हें आर्थिक मजबूती और व्यापक बाजार मिला है.

स्वयं सहायता समूह से जसविंद्र कौर की बदली जिंदगी
सोलन जिले के नालागढ़ की जसविंद्र कौर के जीवन में साईनाथ स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद बड़ा बदलाव आया. 60,000 रुपए के ऋण की मदद से उन्होंने गाय के गोबर से उत्पाद बनाने का काम शुरू किया. पहले उनकी मासिक आय मात्र 1,000 रुपए थी, जो अब बढ़कर 20,000 रुपए हो गई है. उन्होंने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार जताते हुए कहा कि पहले उनकी आय से बच्चों की स्कूल फीस भरना भी मुश्किल था, लेकिन अब वे शिक्षा, पशुधन और भविष्य के लिए निवेश कर पा रही हैं. स्वयं सहायता समूह से मिले कौशल और आर्थिक सहयोग ने उनके जीवन को नई दिशा दी है.

आत्मनिर्भरता की मिसाल बनी मेघा देवी
कांगड़ा जिले के सुलह की मेघा देवी ने अपने संघर्ष और दृढ़ संकल्प से जीवन में बड़ा बदलाव लाया है. श्री गणेश स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने डोना-पत्तल निर्माण का उद्यम शुरू किया. उनकी मासिक आय 5,000 रुपए से बढ़कर 20,000 रुपए हो गई है. पहले वे पूरी तरह पति की आय पर निर्भर थीं, लेकिन अब स्वावलंबी बन चुकी हैं. उन्होंने कहा कि अपने जुनून और मेहनत के दम पर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. अब हर बिक्री और बनाए गए पत्तल के साथ वे न केवल लाभ कमा रही हैं, बल्कि अपने बच्चों के सपनों को साकार कर रही हैं.

स्वावलंबन की नई मिसाल
लाहौल-स्पीति जिले के केलांग की रिग्जिन को कांगला बेरी स्वयं सहायता समूह से जुड़कर जीवन में एक नया अवसर मिला. कृषि, पशुपालन, हस्तशिल्प और हथकरघा जैसे कार्यों से उनकी मासिक आय 4 हजार रुपए से बढ़कर 25 हजार रुपए हो गई है. अब वे अपने उद्यम का विस्तार करने और ग्रामीण बाजारों में नए अवसरों की तलाश में जुटी हैं. उन्होंने कहा कि यह अविश्वसनीय है कि नए कौशल सीखने से न सिर्फ उनकी आय में बढ़ोतरी हुई, बल्कि जीवन के प्रति उनका पूरा नजरिया ही बदल गया.

ऐसे बदली अनीता देवी की जिंदगी
हमीरपुर जिले के झमियात गांव की अनीता देवी पहले एक निजी आईटी नौकरी पर निर्भर थीं, जहां उन्हें मात्र 5 हजार रुपये मिलते थे. लेकिन स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने मशरूम की खेती शुरू की. एनआरएलएम द्वारा मिले प्रशिक्षण से उनकी मासिक आय धीरे-धीरे बढ़कर 20 हजार रुपये हो गई. अनीता न केवल अपने परिवार की आर्थिक रीढ़ बन चुकी हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रही हैं. उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन से उन्होंने अपनी छोटी सी बचत को एक संपन्न व्यवसाय में बदल दिया.

Location :

Shimla,Himachal Pradesh

First Published :

February 11, 2025, 18:25 IST

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