महाकुंभ में भीड़, पर डिस्पोजेबल में 85% तक कमी, क्‍या लोगों ने खाना छोड़ा ?

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Last Updated:February 11, 2025, 18:29 IST

Mahakumbh News- प्रयागराज में इतनी भीड़ बढ़ने के बाद वहां पर डिस्पोजेबल प्लेटों, गिलासों और कटोरों (पत्तल-दोना) के इस्‍तेमाल में 85 फीसदी तक कमी आई है. श्रद्धालुओं में प्रयागराज में खाना पीना बंद कर दिया है, क्...और पढ़ें

महाकुंभ में भीड़, पर डिस्पोजेबल में 85% तक कमी, क्‍या लोगों ने खाना छोड़ा ?

यहां पर करोड़ों रुपये की हो रही है बचत.

प्रयागराज. महाकुंभ स्‍नान के लिए देश विदेश से प्रयागराज पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्‍या बढ़ रही है. आसपास के कई जिलों तक में जाम लग गया है. इतनी भीड़ बढ़ने के बाद वहां पर डिस्पोजेबल प्लेटों, गिलासों और कटोरों (पत्तल-दोना) के इस्‍तेमाल में 85 फीसदी तक कमी आई है. श्रद्धालुओं में प्रयागराज में खाना पीना बंद कर दिया है, क्‍या है इसकी असल वजह, जानें .

प्रयागराज में अपशिष्ट उत्पादन (डिस्पोजेबल) को कम करने के लिए संघ ने महाकुम्भ 2025 को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के उद्देश्य से “वन प्लेट, वन बैग” अभियान की शुरुआत “वन प्लेट, वन बैग” का अभियान चलाया. इस संबंध में एक रिपोर्ट जारी की गयी है.

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक प्रमुख काशी प्रांत डॉ मुरार जी त्रिपाठी बताते हैं कि महाकुम्भ में चलाए गए इस अभियान से अपशिष्ट में एक तरफ जहां कमी आई है, वहीं लागत में बचत हुई है. महाकुम्भ में डिस्पोजेबल प्लेटों, गिलासों और कटोरों (पत्तल-दोना) का उपयोग 80-85% तक कम हुआ. इतना ही नहीं इससे अपशिष्ट उत्पादन में लगभग 29,000 टन की कमी आई, जबकि अनुमानित कुल अपशिष्ट 40,000 टन से अधिक हो सकता था.

इसका एक पहलू बजट लागत में कमी आना भी है. डिस्पोजेबल प्लेटों, गिलासों और कटोरों पर प्रतिदिन ₹3.5 करोड़ की बचत हुई, जो कुल ₹140 करोड़ थी. यही नहीं, थालियों को पुन: धोकर काम में लिया जा रहा है. भोजन परोसने में सावधानी बरती जा रही है. इससे खाद्य अपशिष्ट में 70% की कमी आई.

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अभियान में थालियां बांटी गयीं

महाकुम्भ के इस अभियान के दीर्घकालिक प्रभाव भी सामने आएंगे. आयोजन में वितरित की जाने वाली स्टील की थालियों का उपयोग वर्षों तक किया जाएगा, जिससे अपशिष्ट और लागत में कमी जारी रहेगी. इस पहल ने सार्वजनिक आयोजनों के लिए “बर्तन बैंकों” के विचार को प्रोत्साहित किया है.

2,241 संगठन शामिल

अभियान को शून्य बजट के साथ सफलतापूर्वक लागू किया गया जिसमें 2,241 संगठन और 7,258 संग्रहण स्थान शामिल थे. इस अभियान में 2,241 संस्थाएं और संगठन शामिल बने.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

February 11, 2025, 18:28 IST

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