बेकार लकड़ी से बनी साम्रगी
Banda: बुंदेलखंड के बांदा कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों ने पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एक नई पहल की है. इसकी मदद से विश्वविद्यालय के छात्र आत्मनिर्भर तो होंगे ही साथ ही एनवारयनमेंट को भी फायदा पहुंचेगा. यूनिवर्सिटी के छात्रों ने बेकार लकड़ी से नए और उपयोगी उत्पाद विकसित किए हैं. पहले केवल जलाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इस लकड़ी को अब आर्ट और क्राफ्ट के जरिए नया जीवन दिया जा रहा है. इन्हें लोग खूब पसंद भी कर रहे हैं.
बेकार लकड़ी से छात्रों ने बनाई ये चीजें
बता दें कि बांदा कृषि विश्वविद्यालय के छात्रों ने विभिन्न रोजमर्रा की इस्तेमाल की चीजें जैसे झुमके, चाबी के छल्ले, कंगन और हेयर बैंड वगैरह से लकड़ी के खिलौने, कुल्हाड़ी, आरी और मोबाइल बॉक्स जैसे उत्पाद बनाए हैं. इन उत्पादों का निर्माण उन लकड़ियों से किया जा रहा है, जो पेड़ों के कटने के बाद बेकार हो जाती थी. लोग इन्हें चूल्हे में जलाने या कबाड़ में फेंकने के लिए छोड़ देते थे, लेकिन अब इन्हीं लकड़ियों को छात्रों ने उपयोगी उत्पादों में बदल दिया है.
कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने दी जानकारी
कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने लोकल 18 को बताया कि विश्वविद्यालय में एफपीयू फॉरेस्ट प्रोडक्ट, यूटिलाइजेशन जैसे कोर्स चलाए जाते हैं, जहां छात्रों को वन उत्पादों के सही उपयोग की जानकारी दी जाती है. इससे न केवल छात्रों को नौकरी के अवसर मिलते हैं, बल्कि वे आत्मनिर्भर भी बन रहे है. उन्होंने आगे बताया कि इस पहल का एक बड़ा लाभ यह है कि इससे घरेलू कचरे में कमी आएगी.
एक नहीं तीन फायदे
छात्र पेड़ों की जड़ों को भी एकत्र कर उपयोगी उत्पाद बना रहे हैं, जिससे पर्यावरण को संरक्षित करने में मदद मिल रही है. यह अभिनव प्रयास स्थानीय बाजार में भी अच्छी प्रतिक्रिया प्राप्त कर रहा है. कुल मिलाकर इस कोशिश से एक नहीं तीन फायदे हैं. एक तो छात्रों को रोजगार मिल रहा है, दूसरा ये पर्यावरण के लिए लाभकारी है और तीसरा इससे घरेलू कचरे का सही इस्तेमाल हो पा रहा है.
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FIRST PUBLISHED :
October 21, 2024, 14:39 IST