गया : गया जिले के इमामगंज प्रखंड क्षेत्र के पत्थल धंसा गांव जहां के लोग बारिश पर अपनी खेती के लिए निर्भर रहते हैं. जब यहां बारिश होती है तो खेती होती है अन्यथा अन्य दिनों में यहां के खेत ऐसे ही पड़े रहते हैं. हालांकि ग्रामीणों ने श्रमदान करके गांव के बगल में स्थित पहाड़ पर एक छोटा सा तालाब का निर्माण किया है और जिला प्रशासन से ग्रामीणों की मांग है कि यहां पर एक बड़ा डैम या आहर का निर्माण हो जाए तो इन्हें खेती करने में सहूलियत होगी. साथ ही साथ पानी की तलाश में जो जंगली जानवर गांव में प्रवेश कर जाते हैं उनमें भी रुकावट आएगी.
बता दें कि यह गांव काफी सुदूरवर्ती इलाके में मौजूद है और आसपास जंगल और पहाड़ हैं. बरसात के दिनों में यहां के पानी पहाड़ से उतरकर नदी के रास्ते बह जाती थी और खेती में उसका इस्तेमाल नही हो पाता था. जिसके बाद स्थानीय लोग और वन समिति के अध्यक्ष के पहल पर पहाड़ पर ग्रामीणों ने एक छोटा सा तालाब बना दिया है ताकि यह खेती कर सकें. हालांकि सालोभर खेती के लिए बडे तालाब के निर्माण के लिए सरकार से मांग भी कर रहे हैं. यहां की आबादी लगभग 600 के करीब है और यहां के लोगों का जीविकोपार्जन का मुख्य साधन खेती और वन्य संपदा है.
इस गांव में न ही स्कूल है न आंगनबाड़ी और न ही यहां तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता. जंगल, नदी, पहाड और पगडंडी के सहारे यहां तक लोग पहुंचते हैं. गांव के रहने वाले ग्रामीणों ने लोकल 18 को बताया कि बरसात के दिनों में पहाड़ का पानी को स्टोर करने के लिए हम लोगों के पास कोई साधन नहीं है. बरसाती पानी नदी के रास्ते बह जाती है जिस कारण हम लोगों को खेती किसानी तथा पशु पालन में परेशानी होती है. इसके बाद हम लोगों ने अपने बदौलत पहाड़ पर ही एक छोटा सा तालाब बना दिया है जिससे जंगली जानवर अब गांव में प्रवेश नहीं करते हैं और पहाड़ में चरने जाते हमारे जानवर को आसानी से पानी मिल जाती है.
गांव के लोगों ने जिला प्रशासन और सरकार से मांग की है कि अगर यहां पर एक बड़ा सा तालाब का निर्माण हो जाता है तो हम लोगों को खेती बाड़ी और पशुपालन में काफी सहूलियत होगी. पानी के अभाव में हम लोग साल भर खेती नहीं कर पाते हैं जिस कारण यहां के अधिकांश लोग दूसरे राज्यों में मजदूरी करने चले जाते हैं. सरकार को इस गांव में तालाब के साथ सड़क और स्कूल पर भी ध्यान देना होगा. हमारे गांव से स्थानीय स्कूल की दूरी तीन चार किलोमीटर होने के कारण गांव का एक भी बच्चा पढ़ने स्कूल नहीं जाते.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 12:37 IST