Last Updated:January 18, 2025, 18:30 IST
Mandir Ke Mukh ki Disha : भाग-दौड़ भरे जमाने में सबके लिए ऐसा संभव नहीं हो पाता है कि वो मंदिर जाकर पूजा-पाठ करें, इसलिए वे अपने घर पर ही मंदिर बनवा कर अपने इष्ट देव की मूर्ति स्थापित कर पूजा-पाठ करते हैं. लेकिन मंदिर...और पढ़ें
घर में इस दिशा में बनवाएं मंदिर
हरिद्वार : भारतीय परंपरा के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा लगभग हर घर में की जाती है. हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा होती है लेकिन हर इंसान के इष्ट देवता अलग-अलग हैं. हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान सिर्फ मंदिरों में ही बल्कि कण-कण में भी वास करते हैं. रोजमर्रा के काममें व्यस्त होने की वजह से बहुत से लोग रोज भगवान के दर्शन के लिए मंदिर नहीं जा पाते हैं. इसीलिए घर के भीतर ही मंदिर, पूजा घर या किसी कोने में भगवान की मूर्ति स्थापित कर लेते हैं. इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है. लेकिन अगर मंदिर, मूर्ति या पूजा की चौकी को घर के किसी गलत कोने में रख दिया जाए तो पूजा का सही फल नहीं मिल पाता है. कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि आखिर घर के किस कोने में मंदिर स्थापित करना शुभ है और भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए.
हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं घर में रसोई, मंदिर, कमरें आदि के निर्माण के लिए निश्चित दिशा बताई गई है. घर में अपने इष्ट देव की पूजा करने के लिए मंदिर को घर के ईशान कोण में बनवाना बहुत शुभ होता है. घर में मंदिर ईशान कोण, पूर्व उत्तर दिशा, पूर्व दिशा या पश्चिम दिशा में बनवाने पर सुख समृद्धि खुशहाली आती है. शास्त्रों के अनुसार ईशान कोण में देवताओं का वास माना गया हैं. वही शास्त्रों में ईशान कोण बुद्धि और विवेक का प्रतीक भी माना जाता है. मंदिर के ईशान कोण में होने से जीवन में सुख समृद्धि, धन, वैभव, मान सम्मान की प्राप्ति होती है और घर से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पूर्ण रूप से खत्म हो जाता है.
दक्षिण दिशा में होता है पितरों का वास
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर यदि दक्षिण दिशा में है या मंदिर का मुंह दक्षिण दिशा की तरफ है तो घर में नकारात्मकता नकारात्मक ऊर्जा का संचार होने के साथ ही गृह क्लेश की आशंका बढ़ जाती है. वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा में मंदिर बनाने की मनाही होती है. इससे देवी-देवता नाराज हो सकते है. और जीवन में कई परेशानियां खड़ी हो सकती हैं. वहीं,दक्षिण दिशा में बने मंदिर में पूजा-पाठ करने से कोई फल नहीं मिलता है. और न ही कोई मनोकामना पूर्ण होती है. वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा को पितरों का स्थान बताया गया है. इस दिशा में मंदिर बनवाने से पितृदोष लगता है. पितरों की नाराजगी घर की सुख-समृद्धि, आर्थिक स्थिति, सम्मान, तरक्की को रोक देती है. और जीवन में कई तरह की समस्याएं खड़ी हो जाती हैं.
Note : घर में मंदिर किस दिशा में बनवाना श्रेष्ठ होता है इसकी अधिक जानकारी के लिए आप हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री से उनके फोन नंबर 9557125411 और 9997509443 पर संपर्क कर सकते हैं.
Location :
Hardwar,Hardwar,Uttarakhand
First Published :
January 18, 2025, 18:30 IST