इस बालक के इलाज में 5 करोड़ से अधिक का है खर्च, प्रशासन से सहयोग की मांग

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Last Updated:January 19, 2025, 12:42 IST

Samastipur News : रोशन कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने उन्हें बताया कि ऐसी बीमारियों के इलाज में 50 लाख रुपये तक की मदद की जा सकती है, लेकिन बाकी खर्च के लिए उन्हें खुद फंड जुटाना होगा. उन्होंने कहा कि अगर वह अपनी...और पढ़ें

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माता-पिता

माता-पिता के साथ बच्चा

समस्तीपुर : बीमारी एक ऐसी चीज होती है जो जिसके घर में प्रवेश करती है, उसके घर को उजार देती है. ऐसा ही एक मामला समस्तीपुर जिले के धमौन गांव से सामने आया है, जहां एक 7 साल के बच्चे, किसलय आनंद को गंभीर बीमारी डीएमडी (ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्रोफी) से जूझते हुए अपनी जिंदगी की जंग लड़ना पड़ रहा है. दिल्ली के एम्स अस्पताल ने उनके इलाज के लिए सालाना 5 करोड़ 43 लाख 93 हजार 885 रुपये का खर्च बताया है. उनके पिता, रोशन कुमार ने बताया कि वह अपनी पूरी संपत्ति तक बेचने के बावजूद इस भारी खर्च को उठाने में असमर्थ हैं.

पीड़ित पिता ने साझा की दर्द भरी कहानी
समस्तीपुर जिले के शाहपुर पटोरी प्रखंड स्थित धमौन गांव के निवासी रोशन कुमार ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि उनके पुत्र किसलय आनंद को जब 5 साल की उम्र में चलने-फिरने में परेशानी और गिरने की समस्या आई, तो उन्होंने पटना के कई अस्पतालों में इलाज कराया. बाद में पता चला कि उनके बेटे को डीएमडी बीमारी हो गई है. इसके बाद वे दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज करवाने गए. रोशन कुमार ने कहा कि एम्स ने उन्हें 5 करोड़ 43 लाख 93 हजार 885 रुपये का इलाज खर्च का एस्टीमेट दिया है. वह अपनी पूरी संपत्ति बेचने के बावजूद इस खर्च को पूरा नहीं कर पा रहे हैं.

स्थानीय प्रतिनिधि से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लगा चुके हैं गुहार
उन्होंने बताया कि इस मुश्किल वक्त में उन्होंने मदद के लिए स्थानीय विधायक, सांसद, कई मंत्रियों और विधायकों से मुलाकात की. इसके साथ ही प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से भी गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि अगर कोई मदद नहीं मिलती है, तो वह अपने पूरे परिवार के साथ जीवन लीला समाप्त करने की अनुमति की मांग करेंगे.

रोशन कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने उन्हें बताया कि ऐसी बीमारियों के इलाज में 50 लाख रुपये तक की मदद की जा सकती है, लेकिन बाकी खर्च के लिए उन्हें खुद फंड जुटाना होगा. उन्होंने कहा कि अगर वह अपनी पूरी संपत्ति भी बेच दें, तो भी एक साल के इलाज का खर्च उठाना उनके लिए संभव नहीं हो पाएगा. फिलहाल, हर 3 महीने में एम्स जाना और 15 से 20 दिनों तक इलाज कराना पड़ता है. जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ रही है, वैसे-वैसे उसकी बीमारी के लक्षण और भी गंभीर होते जा रहे हैं.

Location :

Samastipur,Bihar

First Published :

January 19, 2025, 12:42 IST

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इस बालक के इलाज में 5 करोड़ से अधिक का है खर्च, प्रशासन से सहयोग की मांग

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